ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे, मुस्लिम पक्ष का बहिष्कार बहाना या मकसद है मुंह छिपाना

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ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का सर्वेक्षण, मुस्लिम पक्ष ने बहिष्कार किया क्यों 

ज्ञान वापी सर्वे से मुस्लिम समुदाय मुश्किल में क्यों ?

वाराणसी (उप्र), इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह शुरु किया।

इस सर्वेक्षण का मकसद यह पता लगाना है कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। ज्ञानवापी मस्जिद 17वीं शताब्दी की है।

जुमे की नमाज के कारण सर्वे का काम दोपहर 12 से दो बजे तक के लिए रोका गया।

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि एएसआई की 43 सदस्यीय एक टीम सुबह करीब सात बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई और काम शुरू किया। सर्वे का काम पांच-छह दिनों तक चलने की संभावना है।

यादव ने बताया कि इस अवधि के दौरान मामले में वादी लक्ष्मी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक और मंजू व्यास अपने वकीलों के साथ एएसआई टीम के साथ मौके पर मौजूद रहेंगी।

मामले की एक अन्य वादी राखी सिंह शुक्रवार को सर्वेक्षण में उपस्थित नहीं थीं, उनके वकील मौजूद थे।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

एसएसआई की टीम के साथ सर्वे के लिए परिसर में मौजूद हिंदू पक्ष के ही एक अन्य अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने बताया,” ज्ञानवापी मस्जिद में जुमे की नमाज की वजह से सर्वेक्षण का कार्य दोपहर 12 से दो बजे तक के लिए रोका गया। दो बजे के बाद काम फिर शुरू होगा।”

सर्वे के दौरान हिंदू याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधि मौके पर मौजूद रहे। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे से अलग रहने का फैसला किया है।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुस्लिम पक्ष के वकील इस सर्वे में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से उच्चतम न्यायालय में इस सर्वे के निर्णय को पहले ही चुनौती दी जा चुकी है।

उन्होंने कहा, ‘उच्च न्यायालय ने बिना तोड़ फोड़ किए एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद का साइंटिफिक सर्वे का आदेश दिया है। अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद ने कल ही सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश के विरुद्ध अपील कर दी थी जिसकी आज सुनवाई होनी है। इसकी सूचना हमने वाराणसी के उच्च अधिकारियो को दे दी थी।’

यासीन ने कहा, ‘हमारा अनुरोध था कि शीर्ष अदालत के आदेश तक सर्वे स्थगित रखा जाए। दिल्ली से हमारे अधिवक्ता ने भी इसी आशय का पत्र भी यहां के अधिकारी को भेजा था लेकिन उसका जवाब नहीं मिलने पर कमेटी ने देर रात बैठक करके तय किया कि वह इस सर्वे से विरत रहेगी।’

इससे पहले, वाराणसी की जिला अदालत के निर्णय के बाद एएसआई की टीम ने पिछली 24 जुलाई को भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू किया था लेकिन कुछ ही घंटों बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस सर्वे पर तत्काल रोक लगा दी थी और मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रखने को कहा था।

उच्च न्यायालय ने तीन अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।

मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बृहस्पतिवार को ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी है। मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में है।

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