Lok sabha Elections 2024 results lead to mixed situation and Indian voters lead a confused role in choosing national interest vs. caste oriented personal interests driven motives like reservation, NRC, UCC, Khalistan etc. सिक्किम की एकमात्र लोकसभा सीट पर एसकेएम उम्मीदवार की जीत
गंगटोक, एसकेएम के उम्मीदवार इंद्र हंग सुब्बा ने मंगलवार को सिक्किम की एकमात्र लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर ली है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सिटीजन एक्शन पार्टी (सीएपी-सिक्किम) के भरत बसनेत को 80,830 मतों से हराया।
मौजूदा सांसद सुब्बा (35) को 1,64,396 वोट मिले, जबकि बसनेत को 83,566 वोट मिले।
एसकेएम के प्रमुख पी.एस तमांग ने लिखा, “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और राजग को 18वीं लोकसभा के चुनाव में मिली शानदार जीत पर बधाई। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) पार्टी हमारे देश के विकास और समृद्धि के लिए राजग का पूर्ण समर्थन करती है।”
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के उम्मीदवार पी.डी. राय 77,171 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
भाजपा के दिनेश चंद्र नेपाल 19,035 वोटों के साथ पांचवें स्थान पर रहे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार लातेन शेरिंग शेरपा को 21,263 वोट मिले।
सिक्किम में लोकसभा सीट और 32 विधानसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान हुआ था।
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा रविवार को 31 विधानसभा सीट जीतकर राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने की अग्रसर है।
लद्दाख लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा ने जीत दर्ज की
लेह, लद्दाख लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा ने जीत हासिल कर ली है। यह जानकारी निर्वाचन अधिकारी संतोष सुखदेव ने दी।
सुखदेव ने बताया कि हनीफा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के त्सेरिंग नामग्याल को 27,906 मतों के अंतर से हराया।
सुखदेव ने संवाददाताओं को बताया कि हनीफा को 65,303 वोट मिले जबकि कांग्रेस पार्टी से उनके प्रतिद्वंद्वी नामग्याल को 37,397 वोट मिले। उन्होंने बताया कि त्रिकोणीय मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ताशी ग्यालसन को 31,956 वोट मिले।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व जिलाध्यक्ष हनीफा 1967 में इस सीट के गठन के बाद से यह सीट जीतने वाले चौथे निर्दलीय हैं। यह सीट 1989, 2004 और 2009 के आम चुनाव में निर्दलीयों ने जीती थी। वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने यह सीट जीती थी और 2019 में भी इसे बरकरार रखा था।
कांग्रेस ने इस सीट पर सबसे ज्यादा छह बार जीत दर्ज की है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस दो बार पहले भी इस सीट से विजयी हुई है।
असम: बरपेटा में अगप के फणी भूषण चौधरी, नगांव में कांग्रेस के बारदोलोई आगे
गुवाहाटी, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल असम गण परिषद (अगप) के फणी भूषण चौधरी असम के बरपेटा निर्वाचन क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के दीप बायन से दो लाख नौ हजार 79 मतों से आगे हैं।
चौधरी को अब तक आठ लाख 18 हजार 131 वोट मिले हैं जबकि बायन को छह लाख नौ हजार 52 वोट मिले हैं।
अगप से आठ बार विधायक रहे चौधरी राज्य में सबसे लंबे समय तक विधायक रहे हैं। वह पूर्ववर्ती अगप सरकार के साथ-साथ पिछली भाजपा नीत सर्बानंद सोनोवाल सरकार में भी मंत्री थे।
पूर्व में अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र रहे बरपेटा में परिसीमन की कवायद के दौरान विधानसभा क्षेत्रों को फिर से आकार दिया गया था।
परिसीमन के बाद बदली जनसांख्यिकीय स्थिति में कांग्रेस ने अपने मौजूदा सांसद अब्दुल खालिक को टिकट देने से इनकार कर दिया।
इस बीच, कांग्रेस सांसद प्रद्युत बारदोलोई नगांव लोकसभा क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुरेश बोरा (भाजपा) से एक लाख 99 हजार 923 मतों से आगे हैं।
नगांव सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे बारदोलोई को अब तक सात लाख 37 हजार 265 वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बोरा को पांच लाख 37 हजार 342 वोट मिले हैं।
बारदोलोई पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार में मंत्री थे, जबकि बोरा लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे।
लोस चुनाव: केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को बढ़त
केरल में मंगलवार को लोकसभा चुनाव की मतगणना का अंतिम दौर चल रहा है और अधिकतर सीट पर कांग्रेस नीत गठबंधन यूडीएफ बढ़त हासिल करता हुआ दिख रहा है। यूडीएफ के उम्मीदवार माकपा नीत एलडीएफ और भाजपा नीत राजग के निकटतम प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ सुरक्षित मतांतर से आगे बढ़ रहे हैं।
केरल में भाजपा के चुनावी सूखे को समाप्त करते हुए, पार्टी के उम्मीदवार व अभिनेता सुरेश गोपी ने एलडीएफ और यूडीएफ के अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ मध्य केरल निर्वाचन क्षेत्र में 75,079 मतों की बढ़त बना रखी है।
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी तथा उसके सहयोगी दलों के कई अन्य मौजूदा सांसदों ने बढ़त बना रखी है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणामों की तरह सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ गठबंधन को कासरगोड, कन्नूर, वडकारा और पलक्कड़ में झटका लगा है।
हालांकि, अलाथुर सीट पर माकपा के के. राधाकृष्णन अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की राम्या हरिदास के खिलाफ बढ़त बनाए हुए हैं, और अट्टिंगल में माकपा के उम्मीदवार वी. जॉय अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अदूर प्रकाश से 4,000 वोटों से आगे हैं।
रुझानों के अनुसार, यूडीएफ उम्मीदवार डीन कुरियाकोस (कांग्रेस) और एन के प्रेमचंद्रन (आरएसपी) क्रमशः इडुक्की और कोल्लम लोकसभा सीटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से भारी अंतर से आगे हैं।
तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर कांग्रेस के शशि थरूर ने भाजपा के राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ बढ़त हासिल कर रखी है।
लोकसभा चुनाव में मंगलवार को मतगणना के शुरुआती रुझान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लिए निराशाजनक साबित होते दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों में उसकी करारी हार होती दिख रही है। हालांकि, इसके बावजूद करीब 290 सीटों के साथ उसके सरकार बनाने की उम्मीद बरकरार है।
ओडिशा, तेलंगाना और केरल में महत्वपूर्ण बढ़त के बावजूद भाजपा अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से नीचे जाती दिख रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील हो चुके हिंदी पट्टी के राज्यों में दिख रही अप्रत्याशित हार से इतर ओडिशा, तेलंगाना और केरल में उसके लिए कुछ सांत्वना मिलती दिख रही है।
राजग के मुकाबले के लिए बना प्रतिद्वंद्वी ‘इंडिया’ गठबंधन करीब 230 सीटों पर आगे है। पिछले चुनाव में भाजपा के पास 303 सीटें थीं, जबकि राजग के पास 350 से अधिक सीटें थीं।
रुझानों से यह संकेत स्पष्ट दिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा के लिए जो 370 सीटों और राजग के लिए ‘400 पार’ का दावा किया था, वह उसके करीब नहीं पहुंच पाएगी। अब तक के रुझानों ने एग्जिट पोल के अनुमानों को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
अगर यही रुझान जारी रहा तो भाजपा को लोकसभा में बहुमत बनाए रखने के लिए तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) और एकनाथ शिंदे की शिवसेना जैसे अपने सहयोगियों पर बहुत हद तक निर्भर रहना पड़ेगा।
कांग्रेस ने कहा कि इस चुनाव का यह संदेश है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दें।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि लोकसभा चुनाव की मतगणना के रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि ‘निवर्तमान प्रधानमंत्री’ अब भूतपूर्व होने जा रहे हैं।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अपने आप को अभूतपूर्व होने का दिखावा करते थे। अब साबित हो गया है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री भूतपूर्व होने वाले हैं। नैतिक ज़िम्मेदारी लें और इस्तीफ़ा दें। यही इस चुनाव का संदेश है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘अब सभी 543 सीटों के रुझान आ गए हैं। दो चीजें बिल्कुल स्पष्ट हैं। पहली यह कि यह नरेन्द्र मोदी के लिए एक चौंकाने वाली राजनीतिक और निर्णायक नैतिक हार होगी।’’
रुझानों में कांग्रेस 99 सीटों पर आगे है जबकि 2019 में उसने सिर्फ 52 सीटें ही जीती थीं। हालांकि, सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी का रहा। वह उत्तर प्रदेश में 34 सीटों पर आगे है। पिछले चुनाव में उसे केवल पांच सीटें मिली थीं।
सपा और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट करके उसे उसके सबसे मजबूत गढ़ में ही मात देता दिख रहा है। भाजपा ने पिछली बार 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि इस बार वह केवल 35 सीटों पर ही सिमटती दिख रही है। सपा-कांग्रेस गठबंधन 42 सीटों पर आगे है।
राहुल गांधी रायबरेली से 1.24 लाख वोटों से आगे हैं जबकि केंद्रीय मंत्री और भाजपा की स्मृति ईरानी अमेठी में लगभग 32,000 वोटों से पीछे हैं।
मोदी वाराणसी में 60,000 से अधिक मतों से आगे हैं। कन्नौज में सपा नेता अखिलेश यादव 52,000 वोटों से आगे हैं।
अब तक के रुझानों से लगता है कि चुनाव में खासकर हिंदी पट्टी के मतदाताओं ने मतदान के जरिए रोजी-रोटी को लेकर अपनी चिंता प्रकट की है। ऐसा लग रहा है विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों के इर्दगिर्द जनमत जुटाने में कामयाब रहा।
राजस्थान में भाजपा केवल 13 सीटों पर आगे है, जबकि पिछली बार उसका गठबंधन सभी 25 सीटों पर जीता था। ‘इंडिया’ गठबंधन यहां 12 सीटों पर आगे है।
हरियाणा में भी भाजपा को भारी झटका लगता दिख रहा है। पिछले चुनाव में राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत करने वाली पार्टी इस बार केवल चार सीटों पर आगे है।
महाराष्ट्र में भी भाजपा को झटका मिलता दिख रहा है। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टूटे हुए धड़ों के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की उसकी उम्मीदों को झटका लगता दिख रहा है। राज्य की 48 सीटों में से, भाजपा गठबंधन केवल 18 सीटों पर आगे है जबकि 2019 में उसने 41 सीटें जीती थीं।
ओडिशा में भाजपा 21 सीटों में से 17 पर बढ़त के साथ शानदार प्रदर्शन कर रही है, जबकि सत्तारूढ़ बीजू जनता दल सिर्फ तीन सीटों पर सिमटता दिख रहा है। ओडिशा विधानसभा चुनावों में भी भाजपा आगे है। राज्य की 146 सीटों में से 76 पर वह आगे है।
पड़ोसी राज्य बिहार में, नीतीश कुमार की जद (यू) 14 सीटों पर बढ़त के साथ उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। भाजपा और उसकी सहयोगी लोजपा (रामविलास विलास) क्रमशः 11 और पांच सीटों पर आगे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन आठ सीटों पर आगे है।
पश्चिम बंगाल ने भी ममता बनर्जी की अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी को 31 सीटों पर बढ़त देकर तमाम अनुमानों को धता बता दिया है। इसके साथ ही 2019 में मिली 18 सीटों के आंकड़े में सुधार की भाजपा की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। भाजपा यहां केवल 10 सीटों पर आगे है जबकि कांग्रेस एक सीट पर आगे है।
आंध्र प्रदेश में जहां लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के भी चुनाव हुए थे, वहां भाजपा के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर सत्ता से बाहर होती दिख रही है। राज्य की 25 लोकसभा सीटों में तेदेपा 16 सीटों पर आगे है जबकि उसकी सहयोगी भाजपा तीन और जन सेना पार्टी दो पर आगे है।
भाजपा तेलंगाना में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। वह राज्य की 17 में से आठ सीटों पर आगे है। हालांकि, कर्नाटक में भाजपा को झटका लगता दिख रहा है और उसकी सीटों की संख्या 25 से घटकर 16 पर आती नजर आ रही है।
केरल में कांग्रेस 20 सीटों पर जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। हालांकि तिरुवनंतपुरम सीट पर उसे झटका लग सकता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर इस सीट पर भाजपा के राजीव चंद्रशेखर से 13,000 मतों से पीछे हैं। भाजपा ने त्रिशूर सीट पर भी बढ़त बना रखी है।
तमिलनाडु में भाजपा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है। ‘इंडिया’ गठबंधन 39 में से 35 सीटों पर बढ़त के साथ काफी आगे दिख रहा है। इसके साथ ही भाजपा के उस दावे पर पानी फिर गया कि वह इस बार दक्षिण में बड़ी जीत हासिल करेगी।
भाजपा की कृति देवी देबबर्मन ने त्रिपुरा पूर्व लोकसभा सीट 4.86 लाख मतों से जीती
अगरतला, टिपरा मोथा के संस्थापक प्रद्योत देबबर्मा की बहन एवं भाजपा उम्मीदवार कृति देवी देबबर्मन ने मंगलवार को त्रिपुरा पूर्व लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से यह जानकारी मिली।
आयोग के मुताबिक, कृति ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा उम्मीदवार राजेंद्र रियांग को 4,86,819 मतों से हराया। कृति को 7,77,447 वोट जबकि रियांग को 2,90,628 वोट मिले।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि कर्नाटक की गुलबर्गा सीट से जीते
बेंगलुरु, कांग्रेस अध्यक्ष एम. मल्लिकार्जुन खरगे के दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि ने मंगलवार को कर्नाटक की गुलबर्गा लोकसभा सीट 27,205 वोटों के अंतर से जीत ली। उन्होंने भाजपा के उमेश जाधव को हराया, जो सीट से मौजूदा सांसद थे। डोड्डामणि को 6,52,321 वोट जबकि जाधव को 6,25,116 वोट मिले।
राजस्थान की राजसमंद सीट से भाजपा की महिमा कुमारी मेवाड़ जीतीं
जयपुर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार महिमा कुमारी मेवाड़ ने राजसमंद लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, भाजपा उम्मीदवार महिमा कुमारी मेवाड़ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 3,92,223 मतों से हराया।
कांग्रेस के दामोदर गुर्जर दूसरे स्थान पर रहे जिन्हें 3,88,980 मत मिले। महिमा कुमारी को कुल 7,81,203 मत मिले।
उल्लेखनीय है कि 2019 के आम चुनाव राजसमंद सीट पर भाजपा की दीया कुमारी ने 5,51,916 मतों से जीत दर्ज की। महिमा कुमारी मेवाड़ का यह पहला संसदीय चुनाव था।
वे मेवाड़ के पूर्व राजघराना परिवार से आती हैं। उनके पति विश्वराज सिंह नाथद्वारा से विधायक हैं।
लोस चुनाव: भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही, विपक्ष को हो रहा है लाभ
लोकसभा चुनाव के अब तक आए नतीजों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है लेकिन बहुमत से वह दूर नजर आ रही है। लिहाजा, सरकार बनाने के लिए उसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ेगा जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ एक मजबूत ताकत के रूप में उभरती दिख रही है।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनावों के लिए मतों की गिनती आगे बढ़ी, रुझानों में स्पष्ट होता चला गया कि सत्तारूढ़ गठबंधन उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहा है और एग्जिट पोल के अनुमान भी गलत साबित हो रहे हैं।
अब तक के रूझान और नतीजे इस बात की भी तस्दीक कर रहे हैं कि किसी एक दल को बहुमत देने के पिछले एक दशक के जनादेश में बदलाव आया है और एक बार फिर देश की राजनीति में गठबंधन युग की वापसी हो रही है।
तकरीबन साढ़े पांच बजे तक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भाजपा 38 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी थी जबकि 201 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे थे। भाजपा कुल मिलाकर 239 सीटों पर आगे थी। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में बहुमत के लिए आवश्यक 272 के जादुई आंकड़े से वह पीछे है।
हालांकि राजग का आंकड़ा 300 के करीब पहुंचता दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर ‘इंडिया’ गठबंधन करीब 227 सीटों पर आगे है। कांग्रेस 12 सीटों पर जीत चुकी है और 87 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे हैं। साल 2019 के प्रदर्शन के मुकाबले कांग्रेस लगभग दोगुनी सीट की ओर आगे बढ़ती दिख रही है।
पिछले चुनाव में भाजपा के पास 303 जबकि राजग के पास 350 से अधिक सीटें थीं।
राजग यदि फिर से सत्ता में आता है और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में वह जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे।
भाजपा को इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में में खासा झटका लगा है जहां समाजवादी पार्टी ने उसे पीछे छोड़ दिया है। राजस्थान और हरियाणा में भी उम्मीद के विपरीत उसका प्रदर्शन रहा।
चुनावी परिदृश्य बहुत साफ तो नहीं है लेकिन इसके बावजूद दोनों प्रमुख गठबंधन के नेताओं ने अपने-अपने दावे किए हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा, ‘‘यह करीबी मुकाबला नहीं है। भाजपा के नेतृत्व वाला राजग प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने जा रहा है। मतगणना खत्म होने दीजिए, यह स्पष्ट हो जाएगा। देश की जनता मोदी के साथ है।’’
कांग्रेस के जयराम रमेश ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वह दिखावा करते थे कि वह असाधारण हैं।’’
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अब यह साबित हो गया है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री अब पूर्व प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। वह नैतिक जिम्मेदारी लें और इस्तीफा दें। यह इस चुनाव का संदेश है।’’
उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जो लोकसभा में 80 सांसदों को भेजता है और भाजपा के लिए पिछले दो लोकसभा चुनावों में यह राज्य खेल बदलने वाला साबित हुआ है।
सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट करके भाजपा को उसके सबसे मजबूत गढ़ में मात दे दी है। पिछली बार 62 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा 32 सीटों पर आगे है। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा 38 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। साल 2019 में उसे सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिल सकी थी। कांग्रेस छह सीटें जीतने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
मोदी वाराणसी में 1.52 लाख वोटों से आगे है। हालांकि, उनकी पार्टी की सहयोगी स्मृति ईरानी अमेठी में कांग्रेस उम्मीदवार और गांधी परिवार के किशोरी लाल शर्मा से 1.31 लाख से अधिक मतों से पीछे हैं।
रायबरेली से राहुल गांधी, लखनऊ से राजनाथ सिंह और कन्नौज से अखिलेश यादव आगे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जहां उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन का मनोबल ऊंचा रखा है, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में 29 सीटों पर आगे है। साल 2019 में 22 सीटों के मुकाबले सात सीटों की बढ़त हासिल करती दिख रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा फिलहाल 12 सीटों पर आगे है।
पड़ोसी राज्य बिहार में, भाजपा 12 और उसकी सहयोगी जद-यू भी 12 सीटों पर आगे है। राजद चार सीटें जीतने की ओर अग्रसर है।
राजस्थान में भाजपा ने जयपुर लोकसभा सीट जीत ली है जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव समेत पार्टी के 13 उम्मीदवार रुझानों में आगे हैं। वहीं कांग्रेस आठ सीट पर बढ़त बनाए हुए है।
‘इंडिया’ के घटक दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) एक-एक सीट पर आगे हैं। इसी तरह बांसवाड़ा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) का उम्मीदवार आगे है।
अड़तालीस लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना इस बार दो धड़ों में बंटी हुई है। पांच साल पहले 23 सीटें जीतने वाली भाजपा 11 सीटों पर बढ़त हासिल किए हुए है जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना छह सीटें जीत सकती है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस 11 सीटों पर आगे है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना 11 सीटों पर आगे है।
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) 25 में से 16 सीटों पर, भाजपा तीन पर और वाईएसआरसीपी चार सीटों पर आगे है।
कर्नाटक के रुझानों के अनुसार कांग्रेस वहां लाभ की स्थिति में है। वह नौ सीटों पर बढ़त में हैं जबकि 2019 में 25 सीटें पाने वाली भाजपा 17 पर आगे है।
केरल के सुदूर दक्षिण भारत में भाजपा अपना खाता खोल सकती है। रुझानों के अनुसार उसे एक सीट मिल सकती है। पिछली बार 15 सीटें पाने वाली कांग्रेस 14 पर आगे है। इसमें वायनाड भी शामिल है जहां से राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। माकपा को एक सीट पर बढ़त हासिल है।
तमिलनाडु एक बार फिर भाजपा को खारिज करता दिख रहा है। सत्तारूढ़ द्रमुक 22 और कांग्रेस नौ सीटों पर आगे है। दोनों दलों का प्रदर्शन ठीक उसी तरह दिख रहा है, जैसा 2019 में था।
लोकसभा चुनाव के साथ ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा के भी चुनाव हुए थे। इन चुनावों में दोनों राज्यों के सत्तारूढ़ दलों को जनता खारिज करती दिख रही है।
ओडिशा में नवीन पटनायक नीत बीजद अप्रत्याशित हार की ओर बढ़ रहा है। रिकॉर्ड छठी बार मुख्यमंत्री बनने की पटनायक की कोशिशों को जोरदार झटका लगा है। भाजपा ने ओडिशा में कम से कम 80 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर ली है। दूसरी ओर, बीजद उम्मीदवार राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 49 निर्वाचन क्षेत्रों में आगे हैं। कांग्रेस भी 14 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) 175 सदस्यीय विधानसभा में 125 सीटों पर बढ़त के साथ सत्ता की ओर बढ़ रही है। वाई एस जगन रेड्डी के नेतृत्व वाला वाईएसआरसीपी केवल 21 सीटों पर आगे है।
तृणमूल के युसूफ पठान सहित कम से कम 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को बढ़त
पश्चिम बंगाल के बहरामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार युसूफ पठान सहित विभिन्न दलों के कम से कम 15 मुस्लिम उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बनाई हुई है।
बहरामपुर में युसूफ पठान कांग्रेस उम्मीदवार एवं वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी से 73 हजार से अधिक मतों से बढ़त बनाए हुए हैं। इस लोकसभा चुनाव में कुल 78 मुस्लिम उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद 80,000 से अधिक मतों की बढ़त बनाये हुए हैं, जबकि कैराना से 29 वर्षीय उम्मीदवार इकरा चौधरी भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 60,000 से अधिक मतों से आगे हैं।
गाजीपुर से निवर्तमान सांसद अफजाल अंसारी भी अपनी सीट पर 1.20 लाख से अधिक मतों से आगे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद सीट पर तीन लाख से अधिक मतों से आगे हैं। वह यहां के मौजूदा सांसद भी हैं।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा जान ने 28,673 मतों की बढ़त हासिल कर ली है, जबकि बारामूला से एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख लगभग दो लाख मतों से आगे हैं।
उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से मोहिबुल्लाह 80,000 से अधिक मतों से आगे हैं, जबकि संभल से जिया-उर-रहमान ने 1.3 लाख से अधिक मतों की बढ़त बना ली है।
अनंतनाग-राजौरी सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के मियां अल्ताफ अहमद अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से 2.75 लाख से अधिक मतों से आगे हैं।
श्रीनगर से नेकां उम्मीदवार आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी 1.8 लाख से अधिक मतों से आगे हैं।
पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट पर एक और अप्रत्याशित रुझान सामने आ रहा है। यहां तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार और पहली बार चुनाव लड़ रहे यूसुफ पठान निवर्तमान लोकसभा में कांग्रेस के नेता और छह बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी से 73,262 मतों से आगे हैं।
सरकार गठन की कवायद पर कोई भी फैसला ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक मिलकर करेंगे: राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में साफ संदेश दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नहीं चाहती।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार घटन के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से कवायद पर कोई भी फैसला इस विपक्षी गठबंधन के घटक दल मिलकर करेंगे।
राहुल गांधी ने संवादददाताओं से कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि ‘इंडिया’ गठबंधन की कल बैठक होगी, उसमें इस बारे में चर्चा होगी।’’
उनका कहना था, ‘‘यह चुनाव हमने भाजपा, हिंदुस्तान की संस्थाओं, शासन का ढांचा, सीबीआई, ईडी, आयकर और आधी न्यायपालिका के खिलाफ लड़ा। नरेन्द्र मोदी जी और अमित शाह जी ने संस्थाओं डराया और धमकाया।’’
उन्होंने कहा कि लड़ाई संविधान को बचाने की थी और संविधान बचाने में गरीबों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘देश ने साफ कह दिया है कि हम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को नहीं चाहते। जनता नहीं चाहती कि जिस तरह से पिछले 10 वर्षों देश को चलाया गया है, वैसे चलाया जाए।’’