यूपी सरकार ने राज्य में कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘उद्योग ’का दर्जा देने का फैसला किया है. अधिकारियों ने कहा कि इससे वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक पार्क स्थापित करने की लागत घटेगी.
वेयरहाउसिंग की कमी के चलते किसानों को फल एवं सब्जियां और अनाज के भंडारण में काफी दिक्कत आती है. सरकार के इस कदम से किसानों को भी लाभ होगा. पिछले हफ्ते, यूपी सरकार ने नई औद्योगिक इकाइयों के लिए कामकाज आसान बनाने के लिए अधिकांश श्रम कानूनों को तीन साल के लिए निलंबित कर दिया था.

उद्योग मंत्री सतीश महाना ने कहा कि लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम करने वाले लाखों मजदूर यूपी आ चुके हैं. उन्हें रोजगार चाहिए. वेयरहाउंसिग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि इस कदम से यूपी निवेश के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन जाएगी.
इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर आलोक टंडन ने बताया कि पार्क स्थापित करने की लागत में कमी कैसे आएगी. उन्होंन कहा कि वर्तमान में जमीन के कृषि की जगह वाणिज्यिक उपयोग के लिए उसका दर्जा बदलने में सर्कल दर का 150% चार्ज लगता है. यह अब सर्कल रेट का केवल 35% होगा. उन्होंने कहा, “अब उत्तर प्रदेश में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की इकाइयों और पार्कों पर औद्योगिक भूमि उपयोग शुल्क लागू होगा.”

इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के प्रधान सचिव, आलोक कुमार ने कहा कि इसके बाद, यूपी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स पॉलिसी -2018 के प्रावधान के अनुरूप राज्य के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में ‘औद्योगिक’ भूमि उपयोग के लिए वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक पार्क गतिविधियों पर विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा, “वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इकाइयां औद्योगिक गतिविधि के लिए औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को औद्योगिक गतिविधि के लिए आरक्षित क्षेत्रों के आवंटन और भूमि उपयोग के लिए औद्योगिक दर का 1.5 गुना भुगतान करेगी, लेकिन यह वाणिज्यिक शुल्क के तहत भुगतान करने की तुलना में काफी कम है.

वर्तमान में, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए उपलब्ध भूमि की कीमत औसतन 40-60,000 रुपये प्रति वर्गमीटर है. लेकिन अब इसे घटाकर लगभग 15-20,000 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को आदेश जारी किए गए हैं कि वे अपने मास्टर प्लान में संशोधन कर और तुरंत कानून बनाकर इस प्रावधान को अपनाएं.