Investigation -आईपीओ घोटाला: ईडी ने तीन लोगों को किया गिरफ्तार / ईडी समन के खिलाफ सोरेन की याचिका खारिज

WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

ED arrested 3 more people in IPO Scam. In another high profile case HC rejected plea of Shibu Soren.

प्रवर्तन निदेशालय ने हैदराबाद में करोड़ों रुपये के कथित आईपीओ घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले की जांच के तहत तीन लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है।

इनमें से एक अमेरिका का निवासी, एक वानुअतु का और एक भारतीय है।

अमेरिका के निवासी पवन कुचाना, वानुअतु गणराज्य के निवासी निर्मल कोटेचा और किशोर तापड़िया को 11 अक्टूबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया था।

इन तीनों को बृहस्पतिवार को हैदराबाद में विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने 25 अक्टूबर तक ईडी को इनकी हिरासत सौंप दी है।

एजेंसी की ओर से जारी बयान के अनुसार, धन शोधन का मामला 55,00,000 शेयरों (प्रति शेयर 10 रुपये) के आईपीओ के संबंध में अनियमितताओं के लिए तकशील सॉल्यूशंस लिमिटेड, इसके प्रवर्तकों तथा निदेशकों और अन्य के खिलाफ सेबी अधिनियम 1992 के तहत भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड द्वारा दायर एक शिकायत के बाद सामने आया। इसके तहत निर्गम मूल्य 150 रुपये तय किया गया था और इससे तक्षशील ने 80.50 करोड़ रुपये जुटाए थे।

झारखंड उच्च न्यायालय ने ईडी समन के खिलाफ सोरेन की याचिका खारिज की

रांची, झारखंड उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा समन जारी किए जाने को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ ने पाया कि समन में पेश होने की अवधि पहले ही खत्म हो चुकी है अत: याचिका अर्थहीन हो गई है।

प्रवर्तन निदेशालय ने सोरेन को समन जारी किया था और 14 अगस्त को रांची में संघीय जांच एजेंसी के कार्यालय में पेश होने को कहा था। इसके अलावा उन्हें बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत अपना बयान दर्ज कराने के लिए भी समन भेज गया था।

सोरेन ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसी द्वारा उन्हें भेजे गए समन अनुचित थे।

उच्चतम न्यायालय द्वारा समन के खिलाफ उनकी अर्जी पर सुनवाई करने से इंकार करने के बाद मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्चतम न्यायालय के न्यायामूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायामूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने हालांकि उन्हें मामले में राहत पाने के लिए झारखंड उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल करने की इजाजत प्रदान की थी।

Share Reality:
WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *