मणिपुर : छात्रों और आरएएफ के बीच झड़प के बाद इंफाल में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण
इंफाल, मणिपुर की राजधानी इंफाल के सिंग्जामेई इलाके में छात्रों और द्रुत कार्य बल (आरएएफ) के बीच झड़प के बाद, बुधवार को स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण बनी हुई है। गत रात हुई झड़प में 45 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे।

इंफाल घाटी में प्रदर्शन और हिंसा की आशंका को देखते हुए मणिपुर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ के कर्मियों को तैनात किया गया है।
छह जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों और आरएएफ कर्मियों के बीच मंगलवार रात को झड़प हो गयी जिसके बाद कानून प्रवर्तन अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, लाठीचार्ज करना पड़ा और रबड़ की गोलियां चलानी पड़ी जिसमें 45 लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर छात्र हैं।

इस बीच, मणिपुर पुलिस ने कहा कि सीआरपीएफ/आरएएफ ने प्रदर्शनकारियों से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करने से इनकार किया है।
यह स्पष्टीकरण एक वीडियो के सोशल मीडिया पर आने के बाद आया है जिसमें आरएएफ के एक कर्मी को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया, ”यह हमारी जाति नहीं है, कुछ भी करो।”
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस वीडियो की निंदा की है।

पुलिस ने मंगलवार रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”व्हाट्सएप समूहों/ट्विटर पर आए एक वीडियो में आरएएफ कर्मियों को हिंसक भीड़ से निपटते वक्त जातिवादी टिप्पणियां करते हुए दिखाया गया है। क्लिप में सुनायी दे रही आवाज आरएएफ कर्मियों की नहीं है। ऐसा लगता है कि वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने आरएएफ बलों की छवि बिगाड़ने के लिए अपनी आवाज में जानबूझकर जातिवादी टिप्पणियां रिकॉर्ड की। यह कथित वीडियो आरएएफ कर्मियों को बदनाम तथा हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है जो पूरे समर्पण और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।”
पुलिस ने कहा, ”आरएएफ कर्मी कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए इंफाल के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात तैनात हैं। आरएएफ कर्मी न्यूनतम बल प्रयोग के सिद्धांत पर काम करते हैं।”

राज्य सरकार ने बुधवार को स्कूलों में अवकाश घोषित किया है लेकिन इंफाल के कुछ संस्थानों के छात्रों ने अपने स्कूल में एकत्रित होने का आह्वान किया जिससे और प्रदर्शन होने की आशंका को बल मिला है।
एक अधिकारी ने कहा, ”किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।”
सिंग्जामेई में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण है। हालांकि, दुकानें और व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुले हैं और सड़कों पर वाहन चल रहे हैं।
एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, राज्य सरकार ने लोगों को दवा तथा खाद्य सामग्री समेत आवश्यक सामान खरीदने देने के लिए बुधवार को इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिले में सुबह पांच बजे से रात नौ बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है।
इसमें कहा गया है, ”बहरहाल, कर्फ्यू में ढील के दौरान सक्षम प्राधिकरण से अनुमति लिए बगैर किसी तरह की सभा/धरना-प्रदर्शन/रैली नहीं करने दी जाएगी।”

झड़पों के बाद राज्य सरकार ने किसी भी तरह की भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए एक अक्टूबर को रात सात बजकर 45 मिनट तक इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया।
राज्य में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी और चार महीने से अधिक समय बाद इसे हटाया गया था।
राज्य सरकार ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर सभी स्कूलों में 27 और 29 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। 28 सितंबर को पैगंबर मोहम्मद की जयंती ईद-ए-मिलाद के अवसर पर राज्य में सार्वजनिक अवकाश है।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

मणिपुर : दो युवकों की हत्या के मामले की जांच के लिए आज आएगा सीबीआई का विशेष दल
इंफाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के साथ एक विशेष दल, छह जुलाई से लापता हुए दो युवकों की हत्या के मामले की जांच करने के लिए बुधवार को इंफाल पहुंचेगा।
दोनों लापता युवकों के शव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद राज्य में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। ये तस्वीरें सोमवार को सोशल मीडिया पर आयी थीं।
अधिकारियों ने बताया कि जुलाई में कथित तौर पर अगवा किए गए दो युवकों की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने मंगलवार को इंफाल घाटी में आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया जिसमें 45 छात्र घायल हो गए। घायलों में कई लड़कियां भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”लापता विद्यार्थियों की दुखद मौत के बारे में जो निराशाजनक खबर आई, उसके संदर्भ में मैं राज्य के लोगों को आश्वासन देना चाहता हूं कि राज्य एवं केंद्र सरकार अपराधियों की धरपकड़ के लिए मिलकर काम कर रही हैं।”
उन्होंने कहा, ”इस अहम जांच को आगे ले जाने के लिए सीबीआई के निदेशक विशेषज्ञ टीम के साथ विशेष उड़ान से इंफाल आएंगे। उनकी यात्रा इस मामले को त्वरित रूप से सुलझाने की हमारे प्रशासन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।”
उन्होंने कहा कि वह हत्या के दोषियों को पकड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निरंतर संपर्क में हैं।
राज्य सरकार ने पहले कहा था कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है।

छह जुलाई से लापता हुए इन छात्रों की पहचान फिजाम हेमजीत (20) और हिजाम लिनथोइनगांबी (17) के रूप में की गई। इन छात्रों की दो तस्वीरें सोमवार रात सोशल मीडिया पर आईं। इनमें से एक तस्वीर में छात्र दो हथियारबंद लोगों के साथ नजर आ रहे हैं और दूसरी तस्वीर में दो शव दिख रहे हैं।
पुलिस ने पहले कहा था कि दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा है और उनके मोबाइल फोन भी बंद पाए गए हैं। उन्होंने कहा था कि उनके फोन की आखिरी लोकेशन चुराचांदपुर जिले के लमदान में पाई गई थी।
मणिपुर में मई की शुरुआत से ही जातीय हिंसा जारी है।

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 175 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।