रैगिंग से टेंशन में छात्र-अभिभावक. Ragging is strictly a punishable Offence but Himachal students are least bothered about the law and orders. Even after strict orders ragging incidents are beyond control. Not only students but their parents are also in deep stress with increasing incidents of humiliation and ragging on the name of introduction.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद हिमाचल प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। डेढ़ महीने के अंदर लगातार चार मामले प्रकाश में आए हैं, लेकिन कोई खूनी वारदात नहीं हुई है।
इसके बावजूद छात्रों और अभिभावकों में टेंशन का माहौल है। चारों मामले सरकारी क्षेत्र के तीन प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े हैं। इनमें से एक केंद्रीय शिक्षण संस्थान है, जहां इंजीनियरिंग के प्रतिष्ठित कोर्स में दाखिला के लिए देश भर के मेधावी छात्र आते हैं, जबकि अन्य दो संस्थान हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण वाले दो मेडिकल कालेज हैं।

इनमें से एक कालेज में तीन दिन के भीतर रैगिंग की दो वारदातें हुई हैं। सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर संदेश देने का प्रयास किया गया है कि रैगिंग अक्षम्य अपराध है, जो किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
पहला मामला आईआईटी, मंडी से जुड़ा है, जहां 11 अगस्त को प्रथम वर्ष के जूनियर्स के लिए ‘फ्रेशर मिक्सर’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। आरोप है कि इस कार्यक्रम में सीनियर्स ने अपने जूनियर्स की रैगिंग की। सभी को लम्बे टाइम तक एक कोने में खड़ा रहने के लिए विवश किया गया। जूनियर्स ने इसकी शिकायत एंटी रैगिंग सेल से की। इसके बाद, आईआईटी प्रशासन हरकत में आया और जांच-पड़ताल शुरू हुई तो सीनियर्स ने रैगिंग के आरोप को सीरे से नकार दिया।

अपने बचाव में उन्होंने जांच दल के सामने कहा कि 11 अगस्त को जो कुछ हुआ, वह एक ‘मजाक’ था। ‘फ्रेशर मिक्सर’ के दौरान जूनियर्स के साथ ऐसा करने की परम्परा रही है। वहां वही सब कुछ हुआ, जो पहले से होता आ रहा है। सीनियर्स के इस जवाब से आईआईटी प्रशासन संतुष्ट नहीं हुआ और जूनियर्स की रैगिंग करने के आरोप में 72 छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की।
छात्र संगठन के तीन पदाधिकारियों सहित दस आरोपियों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया। सभी से छात्रावास खाली करा लिए गए हैं। इस घटना के ठीक एक महीने बाद अर्थात 12 सितंबर को मंडी जिले के नेरचौक स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज में रैगिंग का दूसरा मामला प्रकाश में आया, जहां सीनियर्स ने अज्ञात नंबर से फोन कर जूनियर्स को छात्रावास की छत पर बुलाया और परिचय के बहाने रैगिंग की।

बताया जाता है कि सीनियर्स ने अपने जूनियर्स को गाना गाते हुए परिचय देने का आदेश दिया। ऐसा करने से मना करने वालों के साथ दुव्र्यवहार किया गया। यह प्रकरण कालेज प्रशासन के पास पहुंचा था, जिस पर कोई कार्रवाई होती, उससे पहले तीसरा मामला सामने आ गया।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज में ही 14 सितम्बर को देर रात दो सीनियर छात्राएं दीवार फांद कर जूनियर्स के छात्रावास में घुस गई तथा गैलरी में प्रथम वर्ष की छात्राओं की परिचय के नाम पर रैगिंग करने लगी। इस दौरान जूनियर्स से नृत्य कराया गया।

गीत गाने के लिए विवश किया गया। इस घटना की जानकारी जूनियर्स ने अपने परिजनों को दी। 15 सितम्बर को देर शाम एक छात्रा के अभिभावक ने प्राचार्य को पूरे प्रकरण से अवगत कराया। इसके बाद 16 सितम्बर को कालेज प्रशासन हरकत में आया। आनन-फानन में एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसमें जूनियर्स, सीनियर्स के अलावा हॉस्टल वार्डन भी सम्मिलित थे। सात घंटे तक चली मैराथन बैठक में आरोपियों के बयान कलमबंद किए गए।
इस दौरान छह सीनियर्स ने लिखित रूप से रैगिंग करने का जुर्म कबूल किया। एंटी रैगिंग कमेटी की सिफारिश पर कॉलेज प्रशासन ने सभी को छह महीने के लिए छात्रावास से तथा तीन महीने के लिए क्लास रूम से निष्कासित कर दिया है। सभी आरोपियों पर 25-25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।

चौथा मामला कांगड़ा जिले के टांडा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज से जुड़ा है, जहां 17 सितम्बर को छात्रावास की रूटीन चेकिंग के दौरान जूनियर्स के कमरे से सीनियरों की फाइल्स और बुक्स मिली। पूछताछ के दौरान जूनियर्स ने स्वीकार किया कि सीनियर्स जबरन अपना काम कराते हैं। इसकी जानकारी मिलने पर कालेज प्रशासन ने आपात बैठक बुलाई।
इस दौरान निर्णय लिया गया कि सीनियर्स द्वारा जूनियर्स से जबरन काम कराना रैगिंग के अंतर्गत आता है, जो अक्षम्य श्रेणी का अपराध है। इसके बाद रैगिंग के आरोप में चिन्हित किए गए 12 सीनियर्स के परिजनों को बुलाया गया, जिनकी उपस्थिति में सभी को छह महीने के लिए छात्रावास और तीन महीने के लिए क्लास रूम से सस्पेंड करने की सजा सुनाई गई।
सभी आरोपी छात्रों को 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड जमा करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसी मेडिकल कालेज में वर्ष 2009 में अमन काचरू नामक छात्र की रैगिंग के दौरान मौत हो गई थी।
इसके बाद रैगिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए देशभर में बवाल मच गया था। इस घटना का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और रैगिंग की समस्या का समाधान तलाशने के लिए एक उप-समिति का गठन किया, जिसने अपनी रिपोर्ट में रैगिंग को शिक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा घाव बताया बताया और इलाज करने के लिए सख्त कानून बनाने की सिफारिश की। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया।
यूजीसी ने रैगिंग की शिकायत के लिए टोल फी नम्बर 1800-180-5522 और ई-मेल भी जारी किया। साथ ही अपनी वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई। रैगिंग की शिकायत मिलने पर दोषियों के खिलाफ सात दिनों के अंदर कार्रवाई न करने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया।
तब से पूरे देश में रैगिंग पर ब्रेक लग गई, लेकिन हिमाचल प्रदेश की तरह देश के अन्य राज्यों में भी रैगिंग के मामले इसी तरह बढ़ते रहे तो किसी अप्रिय घटना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।