
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से पुणे महाराष्ट्र में सम्मानित किए गए। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए उल्लेखनीय एवं असाधारण काम किया हो। इससे पहले प्रधानमंत्री ने दगडूशेठ मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार भी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट ने गठित किया था। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है और जिनके योगदान को उल्लेखनीय और असाधारण के रूप में देखा जा सकता है। यह हर साल एक अगस्त- लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर प्रस्तुत किया जाता है। प्रधानमंत्री इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता बनेंगे। इसे पहले डॉ. शंकर दयाल शर्मा, प्रणब मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, एन.आर. नारायण मूर्ति, डॉ. ई. श्रीधरन जैसे दिग्गजों को प्रदान किया जा चुका है।
लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने पर पुणे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा यह मेरे लिए एक यादगार पल है। भारत की आजादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका, उनके योगदान को कुछ घटनाओं और शब्दों में समेटा नहीं जा सकता है।

लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने का फैसला किया है। मैं इस पुरस्कार को देश के 140 करोड़ लोगों को समर्पित करना चाहता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा ‘व्यवस्था निर्माण से संस्था निर्माण’, ‘व्यवस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण’, ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ की दृष्टि राष्ट्र निर्माण के लिए एक रोडमैप की तरह काम करती है। भारत आज इस रोडमैप का पूरी निष्ठा से पालन कर रहा है।