American President Joe Biden to face court proceedings for his infamous directions on refugees.
वाशिंगटन, अप्रवासी अधिकार संगठनों के एक समूह ने बुधवार को राष्ट्रपति जो बाइडन के हालिया निर्देश को लेकर बाइडन प्रशासन पर मुकदमा किया।
बाइडन ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर शरणार्थियों के प्रवेश पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी थी, जिसका विरोध करते हुए समूह ने दावा किया कि राष्ट्रपति का यह निर्णय ट्रंप प्रशासन के दौरान उठाये गये कदम से बहुत अलग नहीं है, जिसपर अदालतों ने रोक लगा दी थी।
‘लास अमेरिकाज इमिग्रेंट एडवोकेसी सेंटर’ और ‘आरएआईसीईएस’ की ओर से ‘अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन’ (एसीएलयू) और अन्य ने यह मुकदमा दाखिल किया है। यह मुकदमा सीमा पर बाइडन की व्यापक कार्रवाई की वैधता की पहली परीक्षा है। व्हाइट हाउस के आंतरिक विचार-विमर्श के महीनों बाद सीमा पर शरणार्थियों के प्रवेश पर रोक लगाने का फैसला किया गया। इस फैसले का उद्देश्य आव्रजन से निपटने के तरीके पर राष्ट्रपति के खिलाफ राजनीतिक हमलों को रोकना है।
एसीएलयू के वकील ली गेलरेंट ने कहा, ”शरण लेने वालों पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद हमारे पास मुकदमा दाखिल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था। बाइडन प्रशासन का यह फैसला कानूनी रूप से ट्रंप के प्रतिबंध से अलग नहीं है, जिसपर हमने सफलतापूर्वक रोक लगवाई थी।”
पिछले सप्ताह बाइडन प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बंदरगाहों पर पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या प्रतिदिन 2,500 तक पहुंचने पर शरण प्रक्रिया सीमित हो जाएगी। लेकिन नये आंकड़ों में साफ हुआ कि संख्या चार हजार के आंकड़े को पार कर गयी है, जिसके कारण यह नियम तुरंत प्रभावी हो गया।
ये प्रतिबंध दो सप्ताह तब तक के लिए प्रभावी रहेंगे, जब तक कि बंदरगाहों पर पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या प्रतिदिन 1,500 या उससे कम नहीं हो जाती। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि संख्या कब इतनी कम होगी।
पिछली बार जुलाई 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान ऐसा हुआ था।
बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि यह आदेश पांच जून से प्रभावी हुआ है।
न्यूजीलैंड पहुंचे चीन के प्रधानमंत्री, सुरक्षा मामलों पर हो सकती है चर्चा
वेलिंगटन, चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग बृहस्पतिवार को न्यूजीलैंड पहुंचे जहां दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों का जश्न मनाने के साथ ही दक्षिण प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है। क्विंग की यह यात्रा पश्चिमी लोकतंत्रों में अपने सबसे करीबी साझेदार देश की एक महत्वपूर्ण यात्रा है।
चीन के दूसरे सबसे बड़े नेता ली 2017 में ली कीक्विंग की यात्रा के बाद न्यूजीलैंड का दौरा करने वाले पहले चीनी प्रधानमंत्री हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया का भी दौरा करेंगे।
चीनी प्रधानमंत्री की यह यात्रा ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच हाल के वर्षों में रिश्तों में आया तनाव कम होने के बाद हुई है।
समझा जाता है कि न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन इस सप्ताह सार्वजनिक बयानों में चीन के साथ व्यापारिक संबंधों की सराहना करेंगे। चीन दक्षिण प्रशांत देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 22 अरब अमेरिकी डॉलर है।
दोनों देशों के बीच 2008 में एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे।
ली की यह यात्रा 2014 में हस्ताक्षरित संबंधों को मजबूत करने के संकल्प की 10वीं वर्षगांठ का प्रतीक है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आखिरी बार वेलिंगटन का दौरा किया था।
लक्सन ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में इस यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि इससे व्यापार के नए अवसर पैदा होंगे।
ली शनिवार को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी जाएंगे। हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया से बीजिंग के संबंध संतोषजनक नहीं रहे हैं।
समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे बाइडन और जेलेंस्की, जी7 के नेता रूसी संपत्तियों से कीव की मदद को तैयार
ब्रिंडिसी (इटली), अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बृहस्पतिवार को इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। जी7 समूह के सदस्य देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि जब्त की गयी रूसी संपत्तियों से प्राप्त 50 अरब अमेरीकी डॉलर की सहायता राशि यूक्रेन को किस तरह प्रदान की जाए। इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
जी7 समूह, 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किये जाने के बाद रूस के बाहर जब्त की गई उसकी 260 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की संपत्तियों का उपयोग कीव की मदद के लिए करने के तरीकों पर चर्चा कर रहा है।
दोनों लोगों ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि यूरोपीय अधिकारियों ने कानूनी और वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए संपत्तियों को जब्त करने का विरोध किया, हालांकि इस योजना के जरिये यूक्रेन के युद्ध प्रयासों में मदद करने के लिए संपत्तियों पर अर्जित ब्याज का उपयोग किया जाएगा।
रूस की जब्त अधिकांश संपत्तियां यूरोप में स्थित हैं।
इस समझौते की फिलहाल औपचारिक रूप से घोषणा नहीं की गयी है।
फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने बुधवार को इस तरह की घोषणा होने की पुष्टि जरूर की थी।
समझौते की घोषणा ऐसे समय में हो रही है, जब बाइडन जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं। जी7 बैठक में कुछ बड़े फैसलों पर जल्द ही मुहर लग सकती है, जिसमें रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन की मदद करना शामिल है और इस जंग में जब्त की गयी रूसी संपत्तियों से प्राप्त होने वाले अरबों डॉलर का प्रयोग करने पर विचार हो सकता है।
बाइडन के यूरोप की यात्रा पर रवाना होने से पहले व्हाइट हाउस ने कहा कि सुरक्षा समझौते का उद्देश्य रूस को यह दिखाना है कि अमेरिका कीव का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि सुरक्षा समझौते का मतलब यह नहीं है कि अमेरिकी सैनिकों को रूस के आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन में सीधे तौर पर तैनात कर दिया जाएगा बल्कि मॉस्को को सिर्फ अमेरिका का दृढ़संकल्प दिखाना है।
बाइडन ऐसा करने से इसलिए भी हिचकिचा रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि यह फैसला परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच सीधे संघर्ष में तब्दील हो सकता है।
सुलिवन ने कहा, ”हम सिर्फ यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका, यूक्रेन के लोगों का समर्थन करता है, हम उनके साथ खड़े हैं और उनकी सुरक्षा जरूरतों को हल करने में उनकी मदद करना जारी रखेंगे।”