एमएस स्वामीनाथन MS Swaminathan के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जताया दुख
भारत में हरित क्रांति Green revolution के जनक एवं कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुख जताया है।
प्रधानमंत्री ने एक्स हैंडल पर एम एस स्वामीनाथन के साथ दो तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ।

हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में, कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा डॉ. स्वामीनाथन नवप्रवर्तन के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक प्रेरक गुरु थे। अनुसंधान और परामर्श के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और नव प्रवर्तकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।
हरित क्रांति के जनक मशहूर वैज्ञानिक डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में गुरुवार को चेन्नई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
सूत्रों को कहना है कि स्वामीनाथन लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
वह लगातार डॉक्टरों की निगरानी में थे लेकिन आज उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी और सुबह 11.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका जन्म 07 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था।

उल्लेखनीय है कि हरित क्रांति के बाद ही भारत अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो पाया था। यह पहल एम.एस स्वामीनाथन के नेतृत्व में शुरु हुई थी। स्वामीनाथन का मानना था कि भारत की बहुत बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, इस लिए सजग रहने की बहुत जरूरत है। वह अपने उद्बोधनों में हमेशा कहा करते थे कि भारत में कृषि से होने वाली आय छोटे किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है। वह हमेशा खेती में प्रयोग और तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करते रहे।
स्वामीनाथन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार ने वर्ष 1972 में पद्मभूषण से नवाजा था। उन्हें कृषि के क्षेत्र में कई अन्य अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।