उत्तरकाशी, सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के आठवें दिन रविवार को उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की कवायद में तेजी आयी है जिसके तहत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सुरंग के ऊपर से ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू करने के लिए रास्ता बनाने में जुटा है। Its a war like situation and a grave challenge for everyone working on Uttarakhand tunnel rescue operation. Good news is that all the stuck workers are safe inside.

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुंरग के एक हिस्से के ढहने से पिछले सात दिनों से फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए ‘लंबवत ड्रिलिंग’ के विकल्प पर शनिवार शाम से काम शुरू किया गया।
मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि बीआरओ द्वारा बनाया जा रहा रास्ता दोपहर तक तैयार हो जाएगा जिससे सुरंग के ऊपर चिह्नित बिंदु तक मशीनें पहुंचाने के बाद ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू की जा सके।
शनिवार को मौके पर पहुंचे प्रधानमंत्री कार्यालय के कई अधिकारी और देश-विदेश के विशेषज्ञ फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों की निगरानी के लिए सिलक्यारा में डटे हुए हैं।

पिछले एक सप्ताह से अमल में लाई जा रही योजनाओं के इच्छित परिणाम न मिलने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे सहित वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया था।
खुल्बे ने संवाददाताओं को बताया कि इन पांच योजनाओं में सुरंग के सिलक्यारा और बड़कोट, दोनों छोरों से ड्रिलिंग करने के अलावा सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग और सुरंग के बायें और दाएं से ड्रिलिंग करना शामिल है।
12 नवंबर को दीवाली वाले दिन की सुबह सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं।
श्रमिकों को निकालने के लिए सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील की कई पाइप डालकर ‘निकलने का रास्ता’ बनाने की योजना में तकनीकी अड़चन आ जाने से शुक्रवार दोपहर बाद से ही अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग का काम ठप है।

मौके पर स्थापित नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार, फंसे श्रमिकों तक पर्याप्त भोजन तथा अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए बड़े व्यास के पाइप डाले गए हैं।
खुल्बे ने कहा कि ठोस प्रयासों से चार-पांच दिन में या उससे भी पहले अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, टीएचडीसी इंडिया और रेल विकास निगम लिमिटेड में से प्रत्येक को एक-एक विकल्प पर काम करने का जिम्मा सौंपा गया है।
बीआरओ तथा भारतीय सेना की निर्माण इकाई भी बचाव अभियान में सहायता करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि एनएचआइडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय की जिम्मेदारी दी गयी है और वह सिलक्यारा में ही रहेंगे।
उत्तराखंड सरकार की ओर से समन्वय के लिए सचिव नीरज खैरवाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
सूत्रों ने बताया कि सभी संबंधित एजेंसियों ने मौके पर अपने वरिष्ठ अधिकारी तैनात कर दिए हैं और सरकार ने उन्हें साफ निर्देश दिए हैं कि बचाव अभियान के लिए सबसे अच्छे प्रयास किए जाएं।