लखनऊ विकास प्राधिकरण के नाक के नीचे बन रहे रो-हाऊस

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लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के प्रवर्तन दल व जोन प्रभारी के नाक के नीचे कालोनाइजर अपने रो-हाऊस का नक्शे के विपरित निर्माण कार्य करा रहे हैं। लखनऊ के एलडीए के क्षेत्र में ये नजारें हर तरफ देखने को मिल रहे हैं। देवा रोड, सुलतानपुर रोड, रायबरेली रोड पर तो इसकी भरमार है।

एलडीए के उपाध्यक्ष डा.इन्द्रमणि त्रिपाठी की लाख कोशिशों के बावजूद उनके अधिकारियों की फिल्ड में मौजूदगी नहीं हो पा रही है। प्रवर्तन दल के अधिकारी भी फिल्ड में कम वक्त दे पा रहे हैं, जिससे नक्शे से विपरित निर्माण कार्य होने से वे रोक नहीं पा रहे हैं। बाद में अवैध रुप से निर्माण कार्य होने की जानकारी होने पर नोटिस भेजना, कार्य रोकने की चेतावनी देना जैसे कार्य किये जाते हैं, जो कि 50 प्रतिशत ही कार्रवाई के दायरे में आ पाते हैं।

नीलमथा गांव अब पूरी तरह से शहर का रुप ले लिया है। इस क्षेत्र में कालोनाइजरों ने किसानों से जमीनें खरीदी और तेजी से रो-हाऊस का निर्माण कराया। एलडीए के जोन दो में आने वाले नीलमथा क्षेत्र में आजकल 12 से अधिक कालोनाइजर सक्रिय हैं, जो रो-हाऊस बनाकर बेच रहे हैं। उनके रो-हाऊस में ज्यादातर बिक भी चुके हैं और उसमें लोगों का रहना शुरु हो गया है। ऐसे में एलडीए के प्रवर्तन दल के अधिकारी नक्शे के विपरित निर्माण का कुछ भी कर नहीं पा रहे हैं।

एलडीए के जोन पांच में कल्याणपुर क्षेत्र जो पूरी तरह से आवासीय कालोनी के रुप में विकसित हो चुका है। यहां 2018 में बनाये जा रहे रो-हाऊस को नक्शा स्वीकृत न होने पर रोकने का आदेश हुआ। बाद में यहां एलडीए की प्रवर्तन दल ने निर्माण कार्य रोका भी था। इसके बावजूद रो-हाऊस बन कर तैयार हुआ और वहां आजकल कई परिवार रह रहे हैं।

उपाध्यक्ष की सक्रियता में बाद सील

एलडीए के उपाध्यक्ष डा.इन्द्रमणि की सक्रियता बढ़ने पर रो-हाऊस बनवाने वाले कालोनाइजरों पर एक्शन शुरु हुआ है। तकरोही मार्ग पर चांदन क्षेत्र में निर्माणाधीन रो-हाऊस बन जाने के बाद फिनिशिंग कार्य को कराये जाने के वक्त एलडीए का प्रवर्तन दल पहुंचा और उस कार्य को रुकवाते हुए बिल्डिंग को सील कर दिया। ऐसे ही जोन 05 के अंतर्गत कुर्सी रोड पर भी एक्शन लिया गया और निर्माणधीन रो-हाऊस को सील किया जाता है।

निर्माण कार्य होने तक मेहरबान

लखनऊ में ज्यादातर रो-हाऊस बने तो उनके बनने तक वहां एलडीए का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। रो-हाऊस बन जाने के बाद वहां प्रवर्तन दल पहुंचा और दल के सदस्यों ने एक्शन किया। ऐसा हर बार ही होता है कि एलडीए निर्माण कार्य पूरा होने तक सील की कार्रवाई नहीं कर पाता है।

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