Special Report – एक फर्जी देश कनाडा या ‘दूसरा पाकिस्तान’

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जिस तरह पाकिस्तान आतंकियों की ‘पनाहगाह’ है, कनाडा भी उसी राह पर है।

Too late For Canada –We see more khalistani flags on roads instead of Canada’s own country flags that is missing from the streets. Ideally this is an alarming situation that Its logical diplomats have failed to analyse. Canada is Another Pakistan or Khalistan itself in progress and no one can stop this Disaster now.

पंजाब में जो नौजवान मौजूदा व्यवस्था से नाराज हैं और लंबे वक्त से बेरोजगार हैं, उन्हें खालिस्तान-समर्थक एक खास चिट्ठी देते हैं। उसके आधार पर उन्हें आसानी से कनाडा का वीजा मिल जाता है।

लोकसभा सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने ऐसी चिट्ठी की पुष्टि की है। चिट्ठी लेने वाले 35,000 रुपए से एक लाख रुपए अथवा डेढ़-दो लाख रुपए तक का चंदा पार्टी को देते हैं। कनाडा जाने वाले ऐसे पंजाबियों को वहां प्लंबर, ड्राइवर, सेवादार, मैकेनिक, पाठी और रागी आदि के काम भी दिलवा दिए जाते हैं, लेकिन खालिस्तान के भारत-विरोधी धंधों में भी उन्हें शामिल किया जाता है। कनाडा में ऐसे 30 गुरुद्वारे बताए जाते हैं, जिनका पूरा नियंत्रण खालिस्तानियों के पास है।

भारतीय पंजाब से जाने वाले चिट्ठीधारक नौजवानों को इन गुरुद्वारों में ही रहने-ठहरने की जगह दी जाती है। धीरे-धीरे खालिस्तान-समर्थकों की एक ‘फौज’ तैयार हो जाती है, जो कनाडा के ही नागरिक बना दिए जाते हैं। वे खालिस्तानी ही भारतीय दूतावासों और संस्थानों पर धावा बोल कर प्रदर्शन करते हैं, लेकिन कनाडा सरकार कोई कारगर कार्रवाई नहीं करती।

दोनों देशों के बीच अब यह विवाद और तनाव कूटनीतिक रंग लेता जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा का नाम लिए बिना ही संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कहा है कि राजनीतिक सुविधा के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करना गलत है।

सवाल यह है कि क्या कनाडा ‘दूसरा पाकिस्तान’ बन गया है? खालिस्तानी आतंकवाद और हिंसा को लेकर दोनों देश आपस में साजिशें रच रहे हैं। पाकिस्तान में सरेआम सक्रिय रहे खालिस्तानी अब दहशत के खौफ में भी हैं, क्योंकि भारत ने आतंकी करणवीर सिंह के खिलाफ ‘इंटरपोल’ का रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवा दिया है। अमूमन खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ पंजाब में नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी, हिंसा और हत्या, आपराधिक साजिश की धाराओं में कई प्राथमिकियां दर्ज हैं।

समाज और देश के इन दुश्मनों को कड़े सबक सिखाए जाने चाहिए। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की जासूस एजेंसी आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकियों की पनाह के लिए, पाक-ईरान की पश्चिमी सीमा पर, सेना मुख्यालय में ही ‘सेफ हाउस’ बना रखा है। करीब 15 आतंकियों को 12 ‘सेफ हाउस’ में पनाह दी गई है।

आजकल कई खालिस्तानी आतंकियों का ‘अंतरराष्ट्रीय बेस’ पाकिस्तान में ही है। क्या इस संदर्भ में कनाडा-पाकिस्तान साथ-साथ नहीं हैं? चिट्ठी पाने वाले पंजाब के नौजवानों को कनाडा के अलावा ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्टे्रलिया और अमरीका में भी ‘राजनीतिक शरण’ दी जाती रही है।

क्या इन देशों ने भारत से कभी पूछा है कि ऐसे चेहरों को ‘राजनीतिक शरण’ क्यों दी जाए? किन्होंने इनका उत्पीडऩ किया है या मानवाधिकार छीने हैं? वैसे ये देश खुद को भारत का ‘जिगरी दोस्त’ और ‘रणनीतिक साझेदार’ कहते हुए नहीं थकते! ब्हरहाल खालिस्तानियों को लेकर हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने आक्रामक रुख अख्तियार किया है और एजेंसियां लामबंद हुई हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रॉ, आईबी, राज्यों के एटीएस प्रमुखों की बैठक बुलाई है।

खालिस्तान समर्थक 19 आतंकियों की सूची भी तैयार की गई है, जिनकी पंजाब में संपत्तियां जब्त की जा रही हैं और उनकी कुर्की भी की जा सकती है। कनाडा को, अंतत:, झुकना ही पड़ेगा, क्योंकि वहां के प्रधानमंत्री ट्रूडो अपनी कुर्सी बचाए रखने को झूठ बोल रहे हैं। आश्चर्य है कि एक प्रधानमंत्री ऐसे आतंकवादी की पैरवी कैसे कर सकता है, जिसके खिलाफ कई केस पंजाब में दर्ज हैं और जो 1996 में फर्जी पासपोर्ट लेकर कनाडा में घुसा था। हैरानी यह भी है कि ऐसे व्यक्ति को कनाडा का नागरिक कैसे बना दिया गया?

क्या कनाडा खुद एक फर्जी देश है? किसी भी बड़े देश ने कनाडा के प्रधानमंत्री के भारत पर आरोप का समर्थन नहीं किया है और न ही ठोस साक्ष्य कनाडा ने भारत को सौंपा है। बल्कि हमारी एजेंसियों को अब साफ तौर पर कनाडा को आगाह कर देना चाहिए कि भारत-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए किसी भी खालिस्तानी को अब माफ नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे तुरंत ढेर कर दिया जाएगा।

कनाडा खालिस्तानियों पर फिदा होकर भी देख ले।

अमरीका, रूस, ब्रिटेन आदि देशों को चाहिए कि वे कनाडा का बहिष्कार करें। वैसे अमरीका और पश्चिमी देशों ने कनाडा से दूरी बना ली है। भारत को कूटनीति से काम लेना होगा।

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