140 करोड़ परिवारजनों का परिवारवाद से युद्ध- भारत होगा शुद्ध

WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

देश के प्रधानमंत्री के तौर पर लाल किले से सबसे ज्यादा 17 बार तिरंगा नेहरू ने फहराया है। उनके बाद पूर्व पीएम इंदिरा का स्थान आता है। उन्होंने भी 17 बार तिरंगा फहराया। अब इस सूची में तीसरे स्थान पर डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मोदी शामिल है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले, बतौर पीएम यह उनका आखिरी संबोधन होगा।

मोदी लाल किले से अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते आए हैं। इसके अलावा उन्होंने कई प्रमुख योजनाओं की घोषणा भी स्वतंत्रता दिवस पर की है। प्रधानमंत्री के संबोधनों में राजनीतिक संदेश भी छिपे रहते हैं। इस बार के संबोधन में भी आगामी लोकसभा चुनाव की दिशा में संकेत है।

ऐसे परिवारजन जो शहरों में रहते हैं, किराए के मकान में रहते हैं, ऐसे अगर परिवारजन जो मकान बनाना चाहते हैं, जो बैंक से लोन मिलेगा उसके ब्याज के अंदर राहत देने का निर्णय किया है।

  • मुझे मेरे देशवासियों को महंगाई का बोझ कम से कम हो, मुझे इस दिशा में कदम उठाने हैं। मेरा प्रयास निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि गांव-गांव तक पक्की सड़क बन रही है। हम सेमी कंडक्टर का भी निर्माण कर रहे हैं। जिसका शिलान्यास जो हमारी सरकार करती है, उसका उद्घाटन भी हमारे कालखंड में ही करती है। इन दिनों जो मैं शिलान्यास जो मैं कर रहा हूं आप लिख कर रखिए उसका उदघाटन भी आप सबने मेरे नसीब में ही छोड़े हुए हैं।
  • आज भारत को G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है। बीते वर्ष में जिस प्रकार भारत के कोने-कोने में G20 के अनेक आयोजन हुए, उससे दुनिया को भारत के सामान्य जन के सामर्थ्य, भारत की विविधता का परिचय हुआ है।
  • सरकार अगले महीने पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए 13,000 से 15,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ विश्वकर्मा योजना शुरू करेगी।
  • आज झुग्गी-झोपड़ी से निकले बच्चे दुनिया में पराक्रम दिखा रहे हैं। छोटे-छोटे गांव, कस्बे के नौजवान, हमारे बेटे-बेटियां आज कमाल दिखा रहे हैं। मैं देश के नौजवानों को कहना चाहता हूं, आज अवसरों की कमी नहीं है। आप जितने अवसर चाहेंगे, ये देश आसमान से ज्यादा अवसर देने का सामर्थ्य रखता है।

सीमाएं सुरक्षित, बम धमाके पुरानी बात: पीएम मोदी

हमारी सीमाएं पहले से ज्यादा सुरक्षित है। सेना का आधुनिकीकरण हो। हमारी सेना युद्ध के लिए तैयार रहे। इसलिए लगातार सुधार का काम हमारी सेना में हो रहा है। आए दिन हम सुना करते थे यहां बम धमाका हुआ वहां बम धमाका हुआ। हर जगह लिखा होता था कि इस बैग तो मत छूना। आज देश शांति को देख रहा है।

सीरियल बम धमाके का जमाना बीती हुई बात हो गई है। निर्दोषों के जो मौत होते थे वो अब बीते हुए कल की बात हो गई है। आज देश में आतंकी हमलों में भारी कमी आई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है। परिवर्तन का वातावरण बना है।

वीरों ने इस कालखंड में… कोई भूभाग ऐसा नहीं था… कोई समय ऐसा नहीं था जब उन्होंने देश की आजादी के लौ को जलता न रखा हो। मां भारती बेड़ियों से मुक्त होने के लिए उठ खड़ी हुई थी। जंजीरों को झकझोर रही थी। देश की नारी शक्ति से लेकर कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं था जो आजादी के सपने को लेकर जीता न हो। त्याग और तपस्या का वो व्यापक रूप एक नए विश्वास जगाने वाला वो पल आखिरकार 1947 में देश में आजाद हुआ। 1000 साल की गुलामी में संजोये हुए सपने देश ने संवरते हुए देखा। मैं देख रहा हूं फिर एकबार देश के सामने एक मौका आया है। ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, या तो हम जवानी में जी रहे हैं, या हम इस कालखंड में जी रहे हैं। सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के लिए काम करेंगे।

इस कालखंड में कोई भूभाग ऐसा नहीं था, कोई समय ऐसा नहीं था जब भारत के वीरों ने देश की आजादी की लौ को जलाये न रखा हो। देश की नारीशक्ति, देश के किसान, देश के मजदूर, कोई भी ऐसा नहीं था जो आजादी के सपने को लेकर जीता न हो।

जनचेतना का वह व्यापक रूप, त्याग और तपस्या का वह व्यापक रूप, जन-जन के अंदर विश्वास जगाने वाला वह पल, आखिरकार 1947 में देश आजाद हुआ।पूर्वोत्तर में विशेषकर मणिपुर में, जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ। लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं। देश मणिपुर के लोगों के साथ है, मणिपुर के लोगों ने कुछ दिनों से जो शांति बनाए रखी है, उसको आगे बढ़ाए। शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा।

केंद्र और राज्य की सरकार मिलकर उन समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है और करती रहेगी।कोविड-19 महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था, एक नया भू-राजनीतिक समीकरण बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भू-राजनीति की परिभाषा बदल रही है। आज नई विश्व व्यवस्था को आकार देने में 140 करोड़ लोगों की क्षमता देखी जा सकती है।

इस बार प्राकृतिक आपदा ने देश के अनेक हिस्सों में अकल्पनीय संकट पैदा किए। जिन परिवारों ने इस संकट को सहन किया है मैं उन सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। राज्य-केंद्र सरकार मिलकर उन सभी संकटों से मुक्त होकर तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ेंगी, ये विश्वास दिलाता हूं।

वीरों ने इस कालखंड में… कोई भूभाग ऐसा नहीं था… कोई समय ऐसा नहीं था जब उन्होंने देश की आजादी के लौ को जलता न रखा हो। मां भारती बेड़ियों से मुक्त होने के लिए उठ खड़ी हुई थी। जंजीरों को झकझोर रही थी। देश की नारी शक्ति से लेकर कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं था जो आजादी के सपने को लेकर जीता न हो। त्याग और तपस्या का वो व्यापक रूप एक नए विश्वास जगाने वाला वो पल आखिरकार 1947 में देश में आजाद हुआ। 1000 साल की गुलामी में संजोये हुए सपने देश ने संवरते हुए देखा। मैं देख रहा हूं फिर एकबार देश के सामने एक मौका आया है। ये अमृतकाल का पहला वर्ष है, या तो हम जवानी में जी रहे हैं, या हम इस कालखंड में जी रहे हैं। सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के लिए काम करेंगे।

Share Reality:
WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *