Vishwa Guru – सब शिव का ही है अंश

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महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेशानंद गिरी जी महाराज / Mahamandaleshwar Shri Shri 1008 Swami Maheshanand Giri Ji Maharaj

“महादेव के मनन से, सिद्ध हो जाते काज। नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज”

गुरुओं के गुरु, आदि गुरु शिव क्या नहीं है। शिव ही सब है और सब शिव का ही अंश है। शिव की शक्ति हमें जीवित रखती है। शिव में ‘शि’ ध्वनि का अर्थ मूल रूप से शक्ति या ऊर्जा होता है। इसलिए “महादेव के मनन से, सिद्ध हो जाते काज। नमः शिवाय रटता जा, शिव रखेंगे लाज”।। हमारी आत्मा शिव है। शिव रूपी आत्मा यानि प्राण के निकलते ही चलता फिरता शरीर शव समान हो जाता है। फिर मुक्ति धाम में अंतिम आराम मिलता है। साधु कहते हैं  –शिव ही विधाता, शिव है विधान। शिव ही ज्ञानी, शिव ही ज्ञान।

शिवलिंग पर रोज चंदन का त्रिपुण्ड लगाने से देह के तीन दोष, त्रिदोष, त्रिव्याधि, त्रिताप, त्रिपाप का सर्वनाश हो जाता है। शिव का अध्यात्मिक अर्थ, रहस्य और विज्ञान

  • शि शब्द में  जुड़ने से सृष्टि का संतुलन होने लगता है। शि प्रकृति है और व चिदाकाश है।  को वाम से लिया गया है, जिसका अर्थ है प्रवीणता।शि-व मंत्र में एक अंश उसे ऊर्जा देता है और दूसरा उसे संतुलित या नियंत्रित करता है। दिशाहीन ऊर्जा का कोई लाभ नहीं है। यह भटकाव है। विनाशकारी हो सकती है।शिव नाम की ऊर्जा ५० पचड़ों, झंझट से बचाकर अंधकार से प्रकाश की दिशा में ले जाती है। देह का जो मान सम्मान, अज्ञान,अंधकार, अहंकार सब शिव कृपा से ही संभव है। अरबों पुष्पों में कोई विशेष फूल चुनकर उसे परमहंस बना देते हैं।
जैसे चन्दन वृक्ष को, डसते नहीं है नाग।
शिव भक्तो के चोले को, कभी ना लगता दाग।।

भगवान शिव सृष्टि के सबसे बड़े साधक हैं जो सृष्टि के एक-एक कण को साधे हुए हैं। सब कुछ सधा, ….सदा रहे,; इसलिए सदाशिव हमेशा ॐ के ध्यान मंत्र और साधना मैं लीन है! शिवलिंग शिव का वैज्ञानिक पिंड है यह परम ऊर्जा और ऊष्मा से परिपूर्ण है, इसमें प्रचंड अग्नि है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ईश्वरोउपनिषद, स्कंदपुराण, शिवपुराण, शिव सहिंता, रहस्योउपनिषद, धर्मशास्त्र का इतिहास आदि में महाकाल की महिमा है। लगभग 100 से अधिक प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों का महत्व, रहस्य, निर्माण विधि, पूजा विधान का वर्णन मिलता है। संसार को चलाने वाले ये जो पंचमहाभूत हैं ये ही भगवान हैं।

शिवलिंग इसी पंचतत्व का प्रतीक है। बनारस के महान शिव सन्त तैलंग स्वामी ने कहा है कि मानव मस्तिष्क शिवलिंग का प्रतीक है। हमारे मस्तिष्क में वही शिवलिंग में है। अगर मानव मस्तिष्क खण्डित हो जाता है, तो उसे संसार में कोई नहीं पूछता। अतः जीवन को स्वास्थ्य, सुखी और समृद्ध बनाने के लिए केवल शिव का ही ध्यान करें। शिवलिंग पर मात्र एक लोटा जल चढ़ाकर जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं। शिव की भक्ति से सब कुछ मिलता जाता है।

शिव के ये सभी पंचतत्व ज्योतिर्लिंग प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंचमहाभूत कहते हैं। पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन्हीं पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों को प्रतिष्टापित किया गया है। जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में है, यह मन्दिर त्रिची से 6 km दूर है। ये शिवालय जम्बुकेश्वरा महादेव के नाम से करोड़ों वर्षों से स्वयम भू रूप में स्थापित है।

    1. जम्बुकेश्वरा की खोज महान महादेव भक्त महर्षि अगस्त्य ने की थी।
    आग अर्थात अग्नि का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में है। यह स्वयम्भू शिवालय वेकुर से 60 km दूर अरुणाचलेश्वराय के नाम से स्थापित है।हवा का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में है। यहां कालसर्प दोष की शांति की जाती है। कुबेर ने यहां शिव की तपस्या कर वरदान पाया था।
    1. श्री कालहस्ती में श्रीकृष्ण, राम, लक्ष्मण, महर्षि दुर्वासा, श्री गणेश, भगवान कार्तिकेय, शनिदेव, यमराज, सप्तर्षि आदि द्वारा शिवलिंग स्थापित हैं।
    पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम् में है। यह शिवालय चेन्नई से 50 km की दूरी पर है। औरअतं में अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में है!वास्तु-विज्ञान-वेद का अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ये पांच मंदिर।
भगवान शब्द भी 5 अक्षर से निर्मित है। यही पांच शब्द से पंचाक्षर मन्त्र की रचना हुई, जिसे जपकर एक सामान्य व्यक्ति परम्ज्ञाहंस स्वरूप ईश्वर हो जाता है।
  • भ से भूमिग से गगनव से वायुअ से अग्निन से नीर
यही भगवान का सार हैं।

विश्व के अग्रणी संतों में ख्याति प्राप्त महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी महेशानंद गिरी जी महाराज ना सिर्फ धर्माधिकारी, मुखर  प्रावाचक, अखिल भारतीय सनातन परिषद एवं पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, नव चंडी सेवा आश्रम सहस्त्रधारा देहरादून उत्तराखंड देवभूमि के अधिपति और सत्य सनातन के ज्योति स्तंभ के रूप में विख्यात हैं साथ ही महाराज जी भारत भर में चलाए जा रहे एक महा अभियान के लिए भी जाने जाते हैं। यह अभियान है भारत भूमि से भयावह चर्म रोग सोरायसिस, सफेद दाग, शरीर पर हुई किसी भी प्रकार की चर्म अनियमितता को जड़ से मिटाना।  महाराज जी ने चर्म रोगों से मुक्त भारत का जो दिव्य संकल्प लिया है उसमे नव चंडी आश्रम में उनके साथ वरिष्ठ चिकित्सक एवं वैद्यराज का पूरा दल इन लाइलाज माने जाने वाले रोगों पर शोध करने के साथ साथ दुर्लभ साधनाओं से सिद्ध किए गए गुप्त धनवंतरी मंत्रों से, समय काल दर्शन ऋतुपक्ष के सूत्रों के प्राचीन तंत्र से सभी औषधियों को तैयार और अभिमंत्रित करते हैं। यह महाराज जी की अनंत कृपा ही है जो ऐसी दुर्लभ औषधियां जनमानस में  पूर्णतः निशुल्क वितरित की जाती है। सभी शिविर पूर्णतः निशुल्क हैं। विगत अनेक वर्षों में लाखों की संख्या में चर्म रोगी पीड़ित महाराज जी के चिकित्सा कैंप द्वारा बिल्कुल स्वस्थ हो चुके हैं। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, इत्यादि अन्य कई राज्यों में पूरे मास निश्चित दिन यह शिविर आयोजित किए जाते हैं जिसकी जानकारी आपको आश्रम की वेबसाइट पर उपलब्ध हो जायेगी।

https://www.jksas.org/

नवचंडी आश्रम जनकल्याण सेवा आश्रम समिती, पता – सोमेश्वर धाम, नवचंडी आश्रम, सहस्रधारा देरादून, उत्तराखंड टोल फ्री न0. 1800 200 8055 मोबाइल न0. 9997450702 , ईमेल info@jksas.org

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