गणतंत्र दिवस की परेड में शुक्रवार को कर्तव्य पथ पर निर्वाचन आयोग की झांकी निकाली गई जिसमें ”भारत-लोकतंत्र की जननी” का चित्रण किया गया।
लोकसभा चुनाव को लोगों और सामग्री की आवाजाही के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया माना जाता है।
इस झांकी में देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी, सुलभ और भागीदारीपूर्ण चुनावों के संचालन को दर्शाया गया।

झांकी के सामने स्याही लगी एक उंगली को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का एक बटन दबाते हुए दिखाया गया।
इसमें लोकसभा चुनाव के बड़े स्तर को भी दर्शाने का प्रयास किया गया जो कुछ महीने बाद होने वाला है। लोकसभा चुनाव में लगभग 96 करोड़ लोग 12 लाख मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालने के पात्र होंगे। मतदान कराने के लिए करीब डेढ़ करोड़ कर्मी तैनात किये जायेंगे।
झांकी में देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हुए समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को एक कतार में खड़े दिखाया गया है।
झांकी के पिछले हिस्से में ”कोई मतदाता न छूटे” की दिशा में चुनाव आयोग के प्रयास को प्रदर्शित किया गया।
गुजरात में झांकी में कच्छ का धोर्डो गांव रहा मुख्य आकर्षण
भारत के पश्चिमी सिरे पर स्थित कच्छ के रण का प्रवेश द्वार धोर्डो शुक्रवार को गणतंत्र दिवस परेड में गुजरात की झांकी का मुख्य आकर्षण रहा।

धोर्डो ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की सर्वश्रेष्ठ गांवों की सूची में जगह बनाई थी।
झांकी ने इस सीमावर्ती गांव को गुजरात के पर्यटन विकास के वैश्विक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।
कच्छ के रण के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाने वाला धोर्डो अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, लोक संगीत और वार्षिक रण उत्सव के लिए खास तौर पर चर्चित है।
धोर्डो परंपरा, पर्यटन और प्रौद्योगिकी का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करने वाला स्थान है तथा ‘विकसित भारत’ के सार को परिभाषित करता है।
हाल ही में यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) द्वारा इसे सांस्कृतिक विरासत घोषित किया गया है। इसकी झलक झांकी में स्पष्ट नजर आई जिसमें धोर्डो के पारंपरिक ‘भंगा’ मकान, स्थानीय हस्तशिल्प, रोंगन कला, तंबू शहर आदि को दिखाया गया।
गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में जब झांकी कर्तव्य पथ पर निकाली गई तो पारंपरिक पोशाक पहने महिलाओं ने गरबा खेला।
झांकी में पारंपरिक पोशाक में एक विदेशी पर्यटक को डिजिटल भुगतान करते हुए दिखाया गया है, जो सीमावर्ती गांव में तकनीकी प्रगति का प्रतीक है।
परेड में शामिल हुए प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार के विजेता
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं ने शुक्रवार को 75वीं गणतंत्र दिवस परेड में नवाचार, साहस और उत्कृष्टता से भरपूर अपनी उपलब्धियों और प्रतिभा की झलक प्रस्तुत की।
इस वर्ष के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 19 बच्चों को प्रदान किए गए हैं जिनमें नौ लड़के और 10 लड़किया हैं। 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के इन बच्चों को असाधारण वीरता, रचनात्मक शक्ति, नवाचार वाली सोच और निस्वार्थ सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया गया है।

ये पुरस्कार छह श्रेणियों में प्रदान किए गए जिनमें कला और संस्कृति श्रेणी में सात बच्चों को, वीरता श्रेणी में एक बच्चे को, नवाचार श्रेणी में एक बच्चे को, विज्ञान और प्रौद्योगिकी श्रेणी में एक बच्चे को, समाज सेवा श्रेणी में चार बच्चों को और खेल श्रेणी में पांच बच्चों को सम्मानित किया गया।
इन बच्चों ने गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया और लोगों का अभिवादन किया।
एसएसबी और तटरक्षक की टुकड़ियों ने कर्तव्य पथ पर शौर्य का प्रदर्शन किया
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और भारतीय तटरक्षक के बैंड और टुकड़ी ने 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर परेड में भाग लिया।
एसएसबी की टुकड़ी जहां ‘जोश भरा है सीने में, है हथेलियों पे जान’ की धुन पर मार्च में भाग ले रही थी तो तटरक्षक के जवानों ने ‘सुरक्षा’ की धुन के साथ इसमें भाग लिया।
एसएसबी की टुकड़ी की कमान उप कमांडेंट नैन्सी सिंगला संभाल रही थीं जिसमें तीन उप निरीक्षक और 144 अन्य कर्मी शामिल थे।
एसएसबी की स्थापना 1963 में 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बने हालात के बाद ‘विशेष सेवा ब्यूरो’ के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्र में लोगों के आत्मविश्वस को मजबूत करना था।
वर्ष 2001 में करगिल युद्ध के बाद इस बल को भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और 2004 में इसे भारत-भूटान सीमा की पहरेदारी का जिम्मा भी दिया गया। इसी साल बल को सशस्त्र सीमा बल नाम दिया गया।
भारतीय तटरक्षक की टुकड़ी का नेतृत्व सहायक कमांडेंट चुनौती शर्मा ने किया। उनके साथ सहायक कमांडेंट प्रिया दहिया, हार्दिक और पल्लवी भी रहीं।
तेलंगाना की झांकी ने दिखाया आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत के प्रति सम्मान
गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को तेलंगाना की झांकी में उन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत के प्रति सम्मान को दर्शाया गया जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मार्गदर्शक बनकर सामने आए थे।
झांकी में कोमाराम भीम, रामजी गोंड और चित्याललम्मा (चकलिल्लम्मा) जैसे नेताओं के वीरतापूर्ण प्रयासों की झलक दिखाई गई, जिनकी अदम्य भावनाएं इस क्षेत्र की लोककथाओं का अभिन्न हिस्सा बन गई हैं।

कोमाराम भीम और रामजी गोंड अपने जीवकाल में हमेशा स्वदेशी आदिवासी समुदायों की स्वतंत्रता, सम्मान और अधिकारों की पैरवी करते रहे।
उन्होंने व्यापक समर्थन हासिल करने के लिए ”जल, जंगल, जमीन” के नारे में समाहित सशक्तीकरण और न्याय का एक शक्तिशाली संदेश दिया और गुरिल्ला युद्ध रणनीति भी अपनाई।
चकलिल्लम्मा, सामंती जमींदारों के अधीन खेती करने वालों और किसानों के शोषण की गवाह थीं। उनके दृढ़ संकल्प ने इन समुदायों को उत्पीड़न करने वालों का मुकाबला करने और चुनौती देने के लिए प्रेरित किया।
आधुनिक समय में ग्राम सभाओं और पंचायतों की स्थापना इन स्वतंत्रता सेनानियों के स्थायी प्रभाव के प्रमाण हैं।
ये जमीनी स्तर की संस्थाएं स्थानीय आदिवासी आबादी को सशक्त बनाती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि ‘जल, जंगल और ज़मीन’ पर उनके उचित दावों को मान्यता दी जाए तथा संरक्षित भी किया जाए।
गणतंत्र दिवस पर इसरो की झांकी में नजर आए चंद्रयान-3, आदित्य एल-1
गणतंत्र दिवस के अवसर पर निकाली गई झांकियों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की झांकी बेहद आकर्षक रही और इसमें चंद्रयान-3, आदित्य एल-1 को प्रमुखता दी गई।
झांकी में इसरो के विभिन्न मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी को भी प्रदर्शित किया गया। इसरो अगले वर्ष भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान को अंजाम देने की योजना बना रहा है।
इस झांकी में ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ का एक मॉडल पेश किया गया जिसके जरिए चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा से चंद्रमा तक भेजा गया था। झांकी में अंतरिक्ष यान के चंद्रमा में उतरने के स्थान को भी दर्शाया गया। इस स्थान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया है।
इसरो की झांकी में सूरज के अध्ययन के लिए निचली कक्षा में भेजे गए आदित्य एल-1 को भी प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा इसरो के भविष्य के मिशन गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन आदि को भी झांकी में स्थान दिया गया।
मेघालय की झांकी में दिखा चेरी ब्लॉसम फूलों का मनमोहक नजारा
गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को मेघालय की झांकी में राज्य के चेरी ब्लॉसम के फूलों का मनमोहक नजारा देखने को मिला।
धीरे-धीरे लहराते फूलों से सजे चेरी ब्लॉसम के पेड़ मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पैदा करते हैं।
कोमल पंखुड़ियां जमीन पर शांति और सुंदरता का एहसास कराती हैं।

यह चित्रण मेघालय के चेरी ब्लॉसम मौसम का प्रतीक है। झांकी डावकी में उमंगोट नदी के किनारे मीठे पानी के एक स्कूबा डाइविंग स्थल को भी दर्शा रही थी।
झांकी में मेघालय की कालजयी गुफाओं का भी प्रदर्शन किया गया।

इसमें राज्य के समृद्ध अभ्यारण्य पर भी प्रकाश डाला गया। साथ ही इसमें एशिया के सबसे साथ-सुथरे गांव ‘मावलीनोंग’ में सामुदायक स्वच्छता पहल को भी दिखाया गया।