जिन महा वीरों के पावन चरण चूमने आसमान तक झुक जाता है नदिया जिनकी युद्ध गीत से मार्ग बदल लेती हैं हुंकार सुन पर्वत नीचे हो जाते हैं आहट से ही दुश्मन प्राण छोड़ देते हैं, माताएं जिनकी शोर्य गाथाओं से बालकों के मन सींचती हैं ऐसे वीरों को जन्म देने वाली धरती है भारत भूमि। भारतीय सेना जल थल वायु में अपने अदम्य साहस, पराक्रम, राष्ट्रीय प्रेम ही नही अपितु जानी जाती है कड़े नियमों और अनुशासन के कठोर पालन के लिए भी। इसके लिए सेना की अपनी विशिष्ठ नियमावली होती है देश की सेना से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को सेना के नियम मानने होते है और इनके सही प्रारूप की जानकारी रखने वाले अनुभवी को ही सेना द्वारा ये बागडोर संभालने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है भारतीय वायुसेना के ऐसे ही शूरवीर नितिज्ञ कानूनविद हुए हैं स्क्वाड्रन लीडर महिंदर सिंह जी (4191- इक्विपमेंट ) जिनका नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है
इनकी निष्ठा एवं अति विशिष्ठ कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत चौथे राष्ट्रपति महामहिम वराह गिरी वेंकट गिरी से वायुसेना में उनकी विशिष्ठ सेवाओं के लिए सम्मान पत्र एवं मेडल भी प्रदान किया गया। स्क्वाड्रन लीडर महिंदर सिंह जी ने मई 1968 में वायुसेना के हेडक्वार्टर में कमांडेंट जज एडवोकेट की कमान संभाली थी और यह वो स्वर्णिम काल था जब वायुसेना में इन्होंने अपने पद पर रहते हुए काफी मजबूत फैंसले लिए जिनसे न केवल आए दिन होने वाले नियम उल्लंघन और सजा के मामलों में बड़े स्तर पर कमी आई साथ ही वायु सेना में आम नागरिकों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के स्तर एवं कोऑर्डिनेशन में भी आश्चर्यजनक रूप बड़े सुधार हुए।
स्क्वाड्रन लीडर महिंदर सिंह जी ने अपनी उत्कृष्ट सोच का प्रदर्शन करते हुए देश हित, सेना के नियमों के क्रियान्वयन में मानवीय पहलू का अद्भुत समन्वय स्थापित कर के दिखाया जो अक्सर सेना और आमजन के बीच अवरोध की स्तिथि उत्पन्न करता आया था। इनके कार्यकाल में ना सिर्फ सिविल मुकदमों में भारी कमी देखी गई साथ ही इनकी सूझ बूझ, लंबे अनुभव और वायुसेना के कानून की बारीकियों की समझ के चलते केंद्र, राज्य सरकार, सेना और सिविल बॉडीज के बीच बेहतरीन सामंजस्य स्थापित हुआ।
सेवानिवृति के बाद भी महिंदर सिंह जी ने देश और नागरिकों की सेवा, जनहित एवं सुरक्षा का जज़्बा बरकरार रखा एक अग्रगणी समाज सुधारक, विचारक एवं लेखक के रूप में ये हमेशा सक्रिय भूमिका निभाते रहे। सैन्य ,सामाजिक, न्यायिक मामलों पर इनकी लिखी कई किताब बेस्टसैलर बनीं और आज भी सार्थक मानी जाती हैं।
अब स्क्वाड्रन लीडर महिंदर सिंह जी हमारे बीच नहीं हैं किंतु वह हम सब के लिए ज्ञान और साहस की जो मशाल जला कर गए हैं उसे हम प्रणाम करते हैं उत्तम प्रदेश न्यूज की पूरी टीम देश के इन वीर सपूतों को हृदय से आभार व्यक्त करती है क्योंकि इनकी दीर्घगामी दृष्टि और सच्चे प्रयत्नों से ही वो भारत बना है जो आज का आधुनिक विश्व का गुरु, एक सशक्त भारत है।
11 जुलाई को इनके जन्मदिवस पर हम पुनः इनके योगदान एवं उपलब्धियों को याद करें और नई पीढ़ी को इन्ही वीरों के संस्कार दें।
साभार
श्री विनोद विधूड़ी जी
वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
नेशनल कमिश्नर एवं सचिव हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स