नई दिल्ली, वैज्ञानिकों ने पता लगाया है जिन महिलाओं के गर्भ में भ्रूण के विकास में ज्यादा वक्त लगता है उनमें गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती है।
नीदरलैंड के रोटरडम में यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, इरासमस एमसी के वैज्ञानिकों ने 611 गर्भवती महिलाओं में इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करके भ्रूण के विकास का अध्ययन किया। इनमें से 33 महिलाओं का गर्भपात हो गया। भ्रूण का 3डी होलोग्राम बनाने के लिए वर्चुअल रियलिटी तकनीक अपनायी गयी। यह अध्ययन पत्रिका ‘ह्यूमैन रीप्रोडक्शन’ में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने हाथ और पैर, मस्तिष्क के आकार और लंबाई और भ्रूण की गोलाई समेत पूरे भ्रूण के विकास का अध्ययन किया। उन्होंने भ्रूण के भार और उसके सिर से कमर के निचले हिस्से के बीच की दूरी भी मापी।
इरासमस एमसी में स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं मुख्य अनुसंधानकर्ता मेलेक राउसियन ने कहा, ‘‘हमने पाया कि गर्भधारण के पहले दस हफ्तों में जिन महिलाओं का गर्भपात हुआ उनमें उन महिलाओं के मुकाबले भ्रूण के विकास में चार दिन का अधिक वक्त लगा जिनका गर्भपात नहीं हुआ। हमने यह भी पाया कि भ्रूण के विकास में जितना अधिक वक्त लगेगा उतनी ही गर्भपात की आशंका अधिक रहेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे स्वास्थ्य पेशेवर महिलाओं तथा उनके साथियों को गर्भपात के संभावित नतीजे को लेकर सलाह दे सकते हैं तथा गर्भपात होने का समय रहते पता लगा सकते हैं।’’ इस अध्ययन में 2010 से 2018 के बीच उन महिलाओं को शामिल किया गया जो सात से 10 हफ्तों की गर्भवती थीं।
अध्ययन की मुख्य लेखक कार्टसेन पीटरस्मा ने कहा, ‘‘3डी वर्चुअल रियलिटी तकनीक से हाथ और पैरों का विकास देखना अधिक आसान हो गया। भ्रूणविज्ञान में कार्नेगी चरण प्रणाली में भ्रूण की गोलाई और हाथ तथा पैरों की स्थिति की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।’’