-बरसाना की पहाडी पर गाड़ियों को किया गया प्रतिबंधित
– गांव गांव परिक्रमा कर रहे लोग, धार्मिक स्थलों पर भी परिक्रमार्थियों की भीडभाड
मथुरा, अधिक मास में समूचा ब्रज भक्ति भाव से ओतप्रोत है। अधिक मास में ब्रज चौरासी कोसी परिक्रमा का महात्म्य माना जाता है। लेकिन इस समय ब्रज में हर ओर भक्तिभाव से लोग परिक्रमा करते देखे जा सकते हैं। ब्रज रज को मस्तक लगाने के लिए लोग दंडवती परिक्रमा भी कर रहे हैं। चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग के अलावा गांव गांव महिला पुरुष अपने गांव की परिक्रमा नियमित रूप से कर रहे हैं। गोवर्धन, बरसाना जैसे धार्मिक स्थलों पर भी परिक्रमार्थियों की संख्या एकाएक बढ़ गई है। हर कोई पाठ पूजा व धर्म कर्म से पुण्य कमाने में लगा है। बरसाना में श्री राधा रानी के दर्शन, परिक्रमा व दंडोती करने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे है। भीड के बढ़ते दबाव के आगे व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही हैं। बरसाना में परिक्रमा मार्ग में दो पहिया व चार पहिया वाहनों की वजह से दंडवती परिक्रमा लगा रहे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड रहा है। कस्बे के मेन बजार, सुदामा चौक, थाना गली और यादव मोहल्ला, बड़ी परिक्रमा में वाहनों की वजह से छोटी बड़ी घटना प्रतिदिन देखने को मिल रही है। बरसाना नगर पंचायत से लेकर प्रशासन के उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहनों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
पुरुषोत्तम मास में दंडवती परिक्रमा एवं पैदल परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु बरसाना मंदिर पहाड़ी पर जाने वाली गाड़ियों पर 29 जुलाई से 15 अगस्त तक रोक लाग दी गई है। अतः श्रद्धालु अपनी गाड़ियों को नीचे ही पार्क कर दें।
-थाना प्रभारी अरुण कुमार बालियान
अधिक मासः मनौती मांगने गिरिराज जी की शरण पहुंच रहे भक्त
-अधिक मास में गिरिराज परिक्रमा दुख और दरिद्रता से मिलती है मुक्ति, दीन बंधु शास्त्री
अधिक मास में योगी राज भगवान कृष्ण की लीला स्थली गिरिराज तलहटी आस्था और भक्ति से सराबोर नजर आ रही है। गिरिराज तलहटी में मौसम भी खुशनुमा बना हुआ है। बारिश में हल्की हल्की पानी की फुहारों के साथ श्रद्धालु भक्त गिरी गोवर्धन की पूजा अर्चना कर मनौती मांग रहे हैं। गिरिराज महाराज के जयकारों से तलहटी गुंजायमान हो रही है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए मल मास की उत्पत्ति की थी।
मल मास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मल मास में ही हिरण्यकश्यप का बध किया था। दीनबंधु शास्त्री बताते हैं कि हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि वह वर्ष के किसी भी माह में न मरे, न धरती पर मरे और न आकाश में, रात में मरे न दिन में, घर के बाहर मरे न घर के भीतर आदि वरदान प्राप्त कर वह अपने आप को भगवान कहने लगा और भक्तों पर अत्याचार करने लगा। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के अधिक मास की उत्पत्ति की। भगवान विष्णु ने नृसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया। प्रमोद शास्त्री ने बताया ज्योतिष के अनुसार जिस महीने में कोई संक्रांति न पड़े, वही अधिक मास कहलाता है। इस मास में श्रद्धालु भक्त गिरिराज प्रभु की अनन्य भक्ति करते हैं। खासकर जो भक्त लेट कर दंडवती परिक्रमा लगाते हैं। वह सर्प योनि से मुक्ति पाते हैं। दुख और दरिद्रता से मुक्ति होती है।
अधिक मास में मांगलिक पर रहती है रोक
दानघाटी मंदिर के सेवायत दीप चंद पुरोहित ने बताया इस मास में मांगलिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं। इसमें केवल धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व माना गया है। अधिक मास में लोगों को सादगी से रहना चाहिए। सादा भोजन व जमीन पर सोना चाहिए।
आस्था, भक्ति एवं सेवा से सराबोर ब्रज चौरासी कोस
-परिक्रमा मार्ग में पड़ी परिक्रमार्थियों की माला
पुरुषोत्तम मास में ब्रज में चौरासी कोस परिक्रमा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड रही है। कस्बा राया से होकर गुजर रही चौरासी कोस यात्रा में भक्ति के अलग अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। परिक्रमार्थियों की मानव श्रृंखला धीरे धीरे बढ़ती हुई देखी जा रही है। कस्बा राया में परिक्रमार्थियों के लिए जगह जगह विश्राम स्थल, मेडिकल सुविधा कैंप एवं प्रसाद की व्यवस्था भी स्थानीय संगठन व स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है। राया के संगठन कल्याण फाउंडेशन, खाटू श्याम सेवा मित्र मंडल, जन कल्याण सेवा समिति, राधे राधे सेवा समिति के द्वारा अलग अलग जगहों पर कैंप लगाए गए हैं। जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान रखते हुए व्यवस्थाएं की गई हैं। वहीं स्थानीय लोग भी कहीं चाय सेवा, कहीं जल सेवा, तो कहीं भंडारा सेवा करते हुए पुण्य लाभ कमा रहे हैं। बुजुर्ग, युवा, बच्चे व महिलाओं के अलावा दिव्यांग भी यात्रा में राधे राधे का गुणगान गाते चल रहे हैं।