प्रयागराज , मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही मस्जिद न्यास की प्रबंधन समिति को अपनी शिकायत मथुरा अदालत के समक्ष रखने को कहा, जहां यह मामला निर्णय के लिए लंबित है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया द्वारा जिला न्यायाधीश, मथुरा के 19 मई, 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया गया। 19 मई के आदेश में जिला न्यायाधीश ने दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में निर्णय देने का निर्देश दिया था।
यह मामला कुछ श्रद्धालुओं द्वारा मथुरा के दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) के समक्ष 25 सितंबर, 2020 को दीवानी मुकदमे के रूप में दायर किया गया था जिसमें कटरा केशव देव में स्थित 13.37 एकड़ विवादित संपत्ति पर दावा किया गया था।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वह भूमि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है और वहां खड़ा किया गया ढांचा हटाया जाना चाहिए। मुकदमा दायर किए जाने के समय दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) ने इस वाद को दीवानी मुकदमा के तौर पर दर्ज नहीं किया बल्कि इसे विविध मामले के तौर पर दर्ज किया जिसका आधार यह था कि वादी संख्या 3 से 8 मथुरा के निवासी नहीं हैं, जबकि प्रश्नगत संपत्ति जिला मथुरा में स्थित है। मथुरा की अदालत के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि इस वाद को अब वर्ष 2022 के मुकदमा संख्या 353 के तौर पर दर्ज किया गया है। निचली अदालत द्वारा पहले ही 26 मई, 2022 को समन जारी किए जा चुके हैं और इस तरह से इस मामले को वापस निचली अदालत के पास भेजकर इसका निस्तारण किया जाता है। अदालत ने कहा, निचली अदालत मुकदमा संख्या 353 पर कानून की उचित प्रक्रिया का पालन कर निर्णय करे। सभी पक्ष अपनी दलीलें निचली अदालत के समक्ष रखने को स्वतंत्र हैं।