ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी का निधन, सीएम समेत अन्य नेताओं ने जताया दुख. Rajmata Madhavi Raje Scindia of Madhya Pradesh passed away yesterday morning. She was admitted in Delhi AIIMS from 15 February 2024 and was in ICU since then.
ग्वालियर राजघराने की राजमाता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का बुधवार सुबह निधन हो गया। वह 70 वर्ष की थीं। माधवी राजे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। 15 फरवरी को उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था और तब से ही उनकी तबियत खराब चल रही थी। दिल्ली के एम्स से जुड़े सूत्रों ने कहा कि माधवी राजे ने सुबह 9:28 बजे अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिन से वह वेंटिलेटर पर थीं और जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थीं। उन्हें 15 फरवरी को एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें सेप्सिस के साथ निमोनिया भी हो गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं, जहां सात मई को मतदान हुआ था। चुनाव प्रचार के दौरान भी सिंधिया का लगातार दिल्ली दौरा होता रहा था।
भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया मूल रूप से नेपाल की रहने वाली थीं। उनका नेपाल के राजघराने से संबंध था। उनके दादा जुद्ध शमशेर बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री थे। साल 1966 में उनका माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था।
15 फरवरी को किया गया था भर्ती
माधवी राजे को सांस में तकलीफ होने पर 15 फरवरी को दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम (वेंटिलेटर) पर थीं। खुद ज्योतिरादित्य ने गुना में चुनाव प्रचार के दौरान राजमाता के बीमार होने की जानकारी दी थी। दो मार्च को 195 प्रत्याशियों की सूची में भाजपा ने सिंधिया को गुना-शिवपुरी से उम्मीदवार बनाया था। इसके तीन दिन बाद सिंधिया ने अपने क्षेत्र में पहला कार्यक्रम किया था। इस दौरान उन्होंने बताया था कि राजमाता पिछले कुछ दिनों से बीमार है। आप लोगों में भी तो मेरा भाई, बहन, मां-पिता हैं। मैं परिवार को परेशानी में नहीं देख सकता। ओलावृष्टि ने फसलों को बर्बाद किया है। ऐसे दुख के समय में मुझे भी आपसे मिलने आना ही था।
मां के करीब थे ज्योतिरादित्य
ज्योतिरादित्य को अपनी मां के काफी करीब माना जाता है। मां की तबियत ठीक नहीं होने की वजह से ज्योतिरादित्य भी भाजपा के कार्यक्रमों से दूर ही रहे। सिर्फ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसके बाद से वे लगातार दिल्ली में ही बने हुए थे। चुनाव प्रचार के दौरान भी बीच-बीच में दिल्ली दौरा करते रहे। चुनाव प्रचार थमते ही ज्योतिरादित्य का पूरा परिवार दिल्ली आ गया था।
सिंधिया कार्यालय से यह बयान किया गया जारी
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि “बड़े दुःख के साथ ये साझा करना चाहते हैं कि राजमाता साहब नहीं रहीं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया जी का इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा था। पिछले दो सप्ताह स्थिति बेहद क्रिटिकल थी। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली।
कल ग्वालियर में होगा अंतिम संस्कार
राजमाता माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार ग्वालियर में होगा। इससे पहले आज दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक उनका पार्थिव शरीर नई दिल्ली स्थित आवास 27 सफदरजंग रोड पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बादा उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ग्वालियर लाया
सीएम यादव बोले- मां जीवन का आधार होती है
मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर की राजमाता के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स कर लिखा- भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधया की पूज्य माता जी माधवी राजे सिंधिया जी के निधन का हृदय विदारक समाचार प्राप्त हुआ। मां जीवन का आधार होती हैं, इनका जाना जीवन की अपूरणीय क्षति है। बाबा महाकाल से दिवंगत पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
मंत्री लोधी ने शोक व्यक्त किया
राजमाता माधवी राजे सिंधिया के निधन पर प्रदेश के संस्कृति पर्यटन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने एक्स (ट्वीट) कर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की पूजनीय माताजी माधवी राजे सिंधिया जी के निधन का दु:खद समाचार मिला। परमात्मा से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
कमलनाथ ने जताया दुख
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजमाता सिंधिया के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने एक्स कर लिखा- स्वर्गीय माधव राव सिंधिया की धर्मपत्नी और ज्योतरादित्य सिंधिया की माता जी माधवी राजे सिंधिया जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। मैं शोक संवेदना व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति और सिंधिया परिवार को यह असीम दुख सहने की शक्ति देने के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।
जानें ग्वालियर रियासत की राजमाता को: नेपाल राजघराने से था ताल्लुक, शादी के बाद किरण से बनीं माधवी राजे सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की पत्नी माधवी राजे सिंधिया का बुधवार सुबह निधन हो गया। वह पिछले तीन महीने से बीमार थीं। उनका दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा था। माधवी राजे सिंधिया का ताल्लुक नेपाल राजघराने से रहा है। शादी से पहले उनका नाम किरण राजलक्ष्मी देवी था। माधवराव से विवाह के बाद मराठी परंपरा के तहत नाम बदलकर माधवी राजे सिंधिया हो गया था।
70 वर्षीय माधवी राजे लंबे समय से बीमार थी। माधवी राजे सिंधिया मूलतः नेपाल की रहने वाली हैं। उनका परिवार वहां के राजघराने से जुड़ा रहा है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के पीएम भी रह चुके हैं। विवाह से पहले उनका नाम प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी था। 1966 में उनका विवाह ग्वालियर के सिंधिया राजपरिवार के राजकुमार माधवराव सिंधिया से हुआ था। मराठी परंपरा के अनुसार शादी के बाद उनका नाम बदल गया और उनका नया नाम माधवी राजे सिंधिया हो गया। पहले उन्हें महारानी कहा जाता था। लेकिन, माधवराव के निधन के बाद उन्हें राजमाता कहा जाने लगा। माधवी राजे के पति पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का 30 सितम्बर 2001 को यूपी के मैनपुरी के पास विमान हादसे में निधन हुआ था। उस समय उनकी उम्र महज 56 साल थी।
प्रियदर्शनी राजे पूरे समय रहीं उनके पास
चुनाव प्रचार जब शबाब पर था तब ज्योतिरादित्य और उनके बेटे महाआर्यमान जहां गुना-शिवपुरी में प्रचार कर रहे थे, तब ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी राजे दिल्ली लौट आई थी। उन्होंने अधिकांश समय राजमाता के साथ बिताया। खुद प्रियदर्शनी राजे का जन्म गायकवाड़ मराठा राजघराने में हुआ। उनके पिता कुंवर संग्राम सिंह के तीसरे बेटे थे। प्रियदर्शनी की मां नेपाल से ताल्लुक रखती थी। प्रियदर्शनी का विवाह 12 दिसम्बर 1994 को ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुआ था। माधवराव सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य महल के साथ-साथ अपने पिता की राजनैतिक विरासत भी संभाल रहे हैं।