Dharm Path -भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी माँ कमला शक्ति

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दस महत्वपूर्ण विद्याओं में से दसवाँ स्थान देवी कमला का हैं . देवी कमला माँ शक्ति का सबसे पहले रूप आदि शक्ति के नाम से भी जानी जाती हैं . देवी कमला भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी है . देवी कमला सभी दिव्य गतिविधियों में मौजूद उर्जा हैं . यह भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति हैं . प्रसिद्धी, भाग्य, धन की देवी है. धन, समृद्धि प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा आराधना की जाती है, साथ ही प्रजनन एवं बच्चों के अच्छे विकास के लिए इन्हें पूजा जाता है.

Maa Devi Kamla is Aadi Shakti of the Universe and 10th Mahavidya among dus-mahavidhyas. Mata is easy to get obliged by simple puja and bless its devotees with eternal abundances. So if you are also facing any worldly problems in achieving prosperity – Pray Maa Kamlasana/ padmasana.

माँ कमला देवी  भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी है. इनकी पूजा अर्चना से कौशल विकास एवं गुणवत्ता में वृद्दि होती हैं . इनकी पूजा से वही पुण्य मिलता है, जो माता लक्ष्मी की पूजा से मिलता हैं यह धन, ऐश्वर्य देती हैं . यह गर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा करती हैं . उनका पोषण करती हैं। बता दें कि मार्गशीर्ष अमावस्या को देवी लक्ष्मी के पूजन का भी विधान है।

कमला देवी माँ शक्ति का रूप हैं इसलिए इस तंत्र शक्ति की पूजा का महत्व बताया गया हैं . यह देवी आदि शक्ति है आदि शक्ति भगवान शिव की अर्द्धागिनी कही जाती हैं . आदि शक्ति में ही जगत की सभी अच्छी बुरी शक्तियाँ समाहित हैं . माता कमला ही आदि शक्ति स्वरूपा हैं इसलिए कमला जयंती के दिन समस्त शक्तियों की पूजा की जाती हैं . इस दिन पूजा, हवन, भंडारे एवं दान का सबसे अधिक महत्व होता हैं .

मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को कभी भी पैसों की कमी नहीं आती, उसे अथाह धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।  मान्यताओं के अनुसार आख़िरी महाविद्या देवी कमला का पूजन श्रेष्ठ है। शास्त्रों में मां कमला को धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। इनकी आराधना से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही इनका पूजन करने से जीवन से दरिद्रता, संकट, गृहकलह और अशांति हमेशा-हमेशा के लिए दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

शास्त्रों में इनके रूप को वर्णित करते हुए बताया गया है कि मां को श्वेत वर्ण के चार हाथी सूंड में सुवर्ण कलश लेकर सुवर्ण के समान कांति लिए हुए स्नान करवाते हैं। मां कमला कमल पर आसीन कमल पुष्प धारण किए हुए सुशोभित होती हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों बताते है समृद्धि, धन, नारी, पुत्रादि के लिए इनकी साधना की जाती है। इस महाविद्या की साधना नदी तालाब या समुद्र में गिरने वाले जल में आकंठ डूब कर की जाती है। मान्यता है कि इसकी पूजा करने से व्यक्ति साक्षात कुबेर के समान धनी और विद्यावान हो जाता है और व्यक्ति का यश, व्यापार व प्रभुत्व संसार भर में प्रचारित हो जाता है।

इन मंत्रों से करें महाविद्या कमला की पूजा

‘ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः ‘ मंत्र का जाप करें।

मां कमला बीज मंत्र-
ॐ ह्रीं हूं क्षों ग्रें क्रौं नमः

मां कमला मूल मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः

एकाक्षरी कमला मंत्र- श्रीः
दवाक्षरी साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र- स्हक्ल्रीं हः
त्रयाक्षरी साम्राज्य लक्ष्मी मंत्र- श्रीं क्लीं श्रीः
चतुराक्षरी मंत्र- ऐं श्रीं ह्रीं क्लीः
पंचाक्षरी कमला- मंत्र श्रीं क्लीं श्रीं नमः
नवाक्षरी सिद्धि लक्ष्मी मंत्र- ॐ ह्रीं हूं ग्रें क्षों क्रों नमः
मां कमला दशाक्षरी मंत्र- ॐ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा ।।

1.अमावस्या  के दिन आप हाथी के पैर के नीचे की मिट्टी लाकर, यानि जिस भी जगह पर हाथी चला हो, उस जगह की थोड़ी-सी मिट्टी लाकर अपने घर में संभालकर रखें और जब कभी आपके घर में कोई शुभ काम हो तो उस मिट्टी से अपने और अपने परिवार वालों के माथे पर तिलक करें।

2.अगर आप कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो मार्गशीर्ष अमावस्या  के दिन एक साफ-सुथरे लोटे में जल भरकर हनुमान जी के सामने रखें। साथ ही चमेली के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद ऋग्वेद से ली गई इस पंक्ति का 108 बार जप कीजिये। पंक्ति इस प्रकार है- ‘अग्ने सख्यं वृणीमहे’ इस प्रकार जप पूरा हो जाने के बाद उस लोटे के जल को पेड़-पौधों में डाल दें और दीपक को घर में इस्तेमाल कर लें।

3.अगर आप अपने दाम्पत्य रिश्ते की ऊष्मा को बरकरार रखना चाहते हैं, तो अमावस्या  के दिन आप एक केले का पत्ता या एक थाली लीजिये और उस पर रोली बिछाइये। अब उस रोली की परत पर एक त्रिकोण बनाइये और उस त्रिकोण के बींचो बीच एक चमेली के तेल की शीशी रखिये। साथ ही उस त्रिकोण के पास एक घी का दीपक जलाइये और आहिल्या कामधेनु की पांडुलिपि से ली गई इस पंक्ति का 21 बार जप कीजिए- ‘अवन्ती समुत्थं सुमेषानस्थ धरानन्दनं रक्त वस्त्रं समीड़े। साथ ही ध्यान रहे कि मंत्र जप के बाद उपयोग हुई सारी सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर दीजिए। अगर आपने उपाय में थाली का यूज़ किया है तो उसे साफ करके अपने घर में ही इस्तेमाल कर लें। 

4. अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को किसी प्रकार का भय बना रहता है, जिससे आपके काम ठीक ढंग से पूरे नहीं हो पाते, तो अमावस्या  के दिन 27 लाल साबुत मिर्च को उस व्यक्ति के ऊपर से सात बार वारकर, घर की किसी साफ-सुथरी जगह पर, एक त्रिकोण की आकृति बनायें और बीच में से उस आकृति को खाली रखिये। अब उसके बींचो बीच एक चमेली के तेल का दीपक जलाइये। इसके बाद संकटमोचन हनुमानष्टक का पाठ करिये। पाठ करने के बाद सारी सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर दीजिए।

5. अगर आप जीवन में पैसों से जुड़ी समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो अमावस्या  के दिन एक केले का पत्ता या न मिलने पर एक थाली लीजिये और उस पर रोली में चमेली का तेल मिलाकर मंगल का यंत्र बनाइये। अब उस यंत्र के बींचो बीच मसूर की दाल की ढेरी बनाइये। ठीक वैसी जैसे कि एक शंकु होता है। इसके बाद यंत्र के पास में घी का एक दीपक जलाइये और पैसों से जुड़ी आपकी जो भी समस्या है, उसके लिए प्रार्थना कीजिये। इसके बाद इस पंक्ति का 108 बार जप कीजिए-‘अग्ने सखस्य बोधि नः’। इस प्रकार जप के बाद सारी सामग्री को किसी नदी या साफ पानी के स्रोत में बहा दीजिए। अगर आपने थाली का इस्तेमाल किया है तो उसे साफ करके अपने घर के यूज में ले लीजिए।

6. अगर आपके बिजनेस में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, तो अमावस्या  के दिन मिट्टी से बना हाथी घर लाएं और उसे उचित स्थान पर रखें। अब उस पर लाल कपड़ा ओढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप, पुष्प आदि से उसकी पूजा करें। पूजा के बाद वहीं पर बैठकर मंगल के मंत्र का जप करें। मंगल का मंत्र है- ‘ॐ भूमि पुत्राय नमः।’

7. अगर आप अपने किसी खास कार्य में बिना किसी रूकावट के सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो अमावस्या  के दिन एक चॉकलेटी रंग का कपड़ा लेकर उसे त्रिकोण आकृति में काट लें और उस पर केसरिया सिन्दूर में चमेली का तेल मिलाकर 18 बिन्दियां लगाएं। इसके बाद उस कपड़े को घर से दूर किसी विरानी जगह पर छोड़ आएं और घर आने के बाद मंगल के इस मंत्र का एक माला, यानि 108 बार जप करें। मंत्र है- ‘ॐ भौमाय नमः’।

8. अगर आप अपने परिवार के सदस्यों के जीवन में खुशहाली बनाये रखना चाहते हैं तो अमावस्या के दिन किसी मंदिरके प्रांगण में केले का पेड़ रोपित करें और उसकी जड़ में थोड़ी-सी हाथी के पांव के नीचे की मिट्टी लाकर डाल दें। फिर जड़ में थोड़ा पानी चढ़ाएं और केले के पेड़ की विधिवत रोली-चावल से पूजा करें। इसके बाद मंगल के इस मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है- ‘ॐ मंगलाय नमः।’

9. अगर आप अपने घर में धन का अंबार लगाना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन आपको अपने घर में लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। अमावस्या  का दिन लक्ष्मी यंत्र की स्थापना के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है। अमावस्या  के दिन घर में लक्ष्मी यंत्र लाकर उसकी विधि-पूर्वक धूप-दीप, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए और उस पर देवी लक्ष्मी के मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। देवी लक्ष्मी का मंत्र इस प्रकार है- ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’।

10. अगर आप अपने घर और कारोबार की लक्ष्मी को हमेशा बनाये रखना चाहते हैं या कहें उसे सिद्ध करना चाहते हैं तो अमावस्या  के दिन आपको देवी लक्ष्मी के आगे घी का दीपक जलाकर, उन्हें शक्कर का भोग लगाएं। साथ ही देवी मां के चरणों में 5 कौड़ियां रखें। अब पूर्व दिशा के ओर मुख करके देवी मां का ध्यान करते हुए स्फटिक की माला पर 108 बार देवी मां के इस विशेष मंत्र का जप करें। मंत्र है- ‘ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्यै नमः’। इस प्रकार मंत्र का जप करने के बाद देवी मां के चरणों में रखी कौड़ियों को एक लाल कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें।

11. अगर आप अपने सौभाग्य में बढ़ोतरी करना चाहते हैं और अपेन चेहरे पर प्रसन्नता बनाये रखना चाहते हैं, तो अमावस्या  के दिन मां लक्ष्मी को हल्दी कुमकुम अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर उनकी आरती करें। इसके बाद गऊ माता की भी हल्दी कुमकुम से पूजा करें और दोनों हाथ जोड़कर उनका आशीर्वाद लें।

12. अगर आप अपनी कला को निखारना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष अमावस्या  के दिन आपको उचित स्थान पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए और वहीं पास में ही एक छोटी-सी रंगोली बनानी चाहिए। अब देवी मां के सामने और उस रंगोली के बीचो-बीच घी का एक दीपक जलाना चाहिए और देवी मां की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। साथ ही अपने हाथों से ताजे फूलों की माला बनाकर देवी मां को चढ़ानी चाहिए।

मंगल ग्रह स्त्रोत्र

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नश्यन्ति दर्शनात्तस्य कवचे हृदि संस्थिते 

मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजोवृद्धिकरं परम् 

अस बिवेक जब देइ बिधाता 

तब तजि दोष गुनहिं मन राता 

काल सुभाउ करम बरिआई 

भलेउ प्रकृति बस चुकइ भलाई 

सो सुधारि हरिजन जिमि लेहीं 

दलि दुख दोष बिमल जसु देहीं 

खलउ करहिं भल पाइ सुसंगू 

मिटइ न मलिन सुभाउ अभंगू 

लखि सुबेष जग बंचक जेऊ 

बेष प्रताप पूजिअहिं तेऊ 

उघरहिं अंत न होइ निबाहू 

कालनेमि जिमि रावन राहू 

किएहुं कुबेषु साधु सनमानू 

जिमि जग जामवंत हनुमानू 

ऊं नम:शिवाय 

ऊं नमो भगवते वासुदेवाय 

श्री राम जय राम जय जय राम।

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