Diplomacy -भारत ने इजराइली बंधकों को रिहा किए जाने का स्वागत किया,शेष को बिना शर्त तत्काल रिहा करने की मांग

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संयुक्त राष्ट्र, भारत ने फलस्तीन के चरमपंथी समूह हमास की ओर से इजराइली बंधकों को रिहा किए जाने का स्वागत किया है और शेष बंधकों को बिना शर्ष तत्काल रिहा किए जाने की मांग की। भारत ने कहा कि आतंकवाद और बंधक बनाने जैसे कृत्यों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। Bharat / India have welcomed the seize and release of hostages.

हमास ने इजराइल पर सात अक्टूबर को अप्रत्याशित हमला कर करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके बाद इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी पर हमला किया। कतर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता से इजराइल और हमास के बीच पिछले सप्ताह युद्ध विराम पर सहमति बनी जिसके बाद दोनों पक्षों में संघर्ष विराम तथा रिहाई का सिलसिला जारी है।

हमास ने अब तक इजराइल और अन्य देशों के 60 से अधिक बंधकों को रिहा किया है, बदले में इजराइल ने फलस्तीन के 150 लोगों को रिहा किया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा, ”हम आज यहां ऐसे वक्त में इकट्ठा हुए हैं जब इजराइल और हमास के बीच युद्ध के कारण बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने तथा मानवीय संकट बढ़ने से पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है और हमने आम नागरिकों के मारे जाने की कड़ी निंदा की है।”

कंबोज ने ‘पश्चिम एशिया में हालात तथा फलस्तीन का सवाल’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि इस मानवीय संकट से निपटने में सभी पक्षकारों को पूरी जिम्मेदारी दिखाने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात से अवगत हैं कि फिलहाल का आक्रोश सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए आतंकवादी हमले से शुरू हुआ। ये हमले स्तब्ध कर देने वाले थे और हमें इनकी स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। आतंकवाद तथा बंधक बनाए जाने को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।”

कंबोज ने कहा कि भारत बंधकों की रिहाई की खबर का स्वागत करता है और शेष बंधकों की बिना शर्त तथा तत्काल रिहाई की भी मांग करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने का रुख है। हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करना सार्वभौमिक दायित्व है।”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बंधकों की रिहाई का स्वागत किया और सभी बंधकों की तत्काल एवं बिना शर्त रिहाई की मांग दोहराई।

कंबोज ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के उन सभी प्रयासों का स्वागत करता है जिससे तनाव कम होगा और फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता मिलेगी।

भारत ने सीरियाई गोलन से इजराइल के नहीं हटने पर चिंता जताने वाले प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया

भारत ने सीरियाई गोलन से इजराइल के वापस नहीं हटने को लेकर गहरी चिंता जताने वाले,संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पेश एक मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है।

सीरियाई गोलन दक्षिण पश्चिम सीरिया में एक क्षेत्र है जिस पर पांच जून, 1967 को इजराइली सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया था।

‘पश्चिम एशिया में स्थिति’ विषय पर आधारित एजेंडा के तहत ‘सीरियाई गोलन’ नामक प्रस्ताव पर मंगलवार को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान हुआ। मिस्र ने प्रस्ताव पेश किया जिसके पक्ष में 91 वोट पड़े और आठ ने इसके विरुद्ध मतदान किया जबकि 62 सदस्य गैर हाजिर रहे।

भारत के अलावा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वालों में बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजराइल, ब्रिटेन और अमेरिका ने मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

प्रस्ताव में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों के विपरीत इजराइल सीरियाई गोलन से पीछे नहीं हटा है, जो 1967 से उसके कब्जे में है।

प्रस्ताव में घोषित किया गया कि इजराइल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 (1981) का पालन करने में विफल रहा है। साथ ही इसमें कहा गया कि ”कब्जे वाले सीरियाई गोलन हाइट्स में अपने कानून, अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को लागू करने का इजराइल का निर्णय अमान्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रभाव के बिना है।”

मंगलवार के प्रस्ताव में 14 दिसंबर, 1981 के इजराइली फैसले को भी अमान्य घोषित कर दिया गया और कहा गया कि इसकी कोई वैधता नहीं है। इसने इजराइल से अपना निर्णय रद्द करने का आह्वान किया।

प्रस्ताव में 1967 से कब्जे वाले सीरियाई गोलन में इजराइली बस्ती निर्माण और अन्य गतिविधियों की अवैधता पर भी जोर दिया गया।

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