Haryana : ईडी ने धन शोधन मामले में पूर्व विधायक और सहयोगी को किया गिरफ्तार

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चंडीगढ़, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन के एक मामले में हरियाणा के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह और उनके सहयोगी कुलविंदर सिंह को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। ED have arrested mine mafia and ex. counsellor Dilbagh Singh and his associate Kulvinder Singh for running a money laundering syndicate and other illegal activities.

आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सिंह यमुनानगर विधानसभा सीट से इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के पूर्व विधायक हैं। एजेंसी ने चार जनवरी को उनके और सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार के यहां छापेमारी की थी और पांच दिनों तक चली तलाश सोमवार को समाप्त हुई।

छापेमारी के दौरान ईडी ने करीब 20 स्थानों की तलाशी ली थी।

पूर्व विधायक दिलबाग सिंह और उनके सहयोगी कुलविंदर सिंह को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिया गया है और दोनों को एक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा जहां एजेंसी अवैध खनन मामले के साथ-साथ अवैध आग्नेयास्त्र रखने के एक ताजा मामले में उनकी हिरासत के लिए अनुरोध करेगी।

ईडी ने दिलबाग सिंह और उनसे जुड़े अन्य लोगों के परिसरों से कम से कम पांच ‘अवैध’ राइफल, 300 कारतूस और खोखे, 100 से अधिक शराब की बोतलें और पांच करोड़ रुपये बरामद किए हैं।

तलाशी के दौरान बरामद किये गये हथियारों के बारे में केंद्रीय एजेंसी को पता चला कि उनके लाइसेंस समाप्त हो चुके थे, जिसके बाद ईडी ने प्रताप नगर पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई है।

ईडी ने शराब की बोतलें बरामद करने के बारे में हरियाणा आबकारी विभाग से भी जानकारी साझा की है, जिसके बाद कथित तौर पर शराब की बोतलें अवैध रूप से संग्रहीत करने पर पुलिस को एक और शिकायत दी गई है।

यमुनानगर जिले के रायनवाला गांव में बने फार्महाउस से शराब की पेटियां और बोतलें बरामद की गई हैं।

लीज समाप्त होने और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी यमुनानगर और इसके आसपास के जिलों में पत्थर, बजरी और रेत के कथित अवैध खनन को लेकर हरियाणा पुलिस की ओर से कई प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। धनशोधन का यह मामला भी इसी से संबद्ध है।

केंद्रीय एजेंसी ‘ई-रवाना’ योजना में कथित धोखाधड़ी की भी जांच कर रही है। ‘ई-रवाना’ एक ऑनलाइन पोर्टल है, जिसे हरियाणा सरकार ने रॉयल्टी और करों के संग्रह को आसान बनाने और खनन क्षेत्रों में कर चोरी को रोकने के लिए 2020 में शुरू किया था।

ईडी के सूत्रों ने दावा किया कि ये अवैध गतिविधियां कथित तौर पर दो नेताओं से जुड़े एक सिंडिकेट द्वारा अंजाम दी जा रही थीं।

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