राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन शाजी के. वी. ने बुधवार को कहा कि सरकार का लक्ष्य सहकारी समितियों की पारदर्शिता तथा दक्षता में सुधार के लिए अगले साल मार्च तक करीब 65,000 सहकारी समितियों को कंप्यूटरीकृत करने का है।
Another top target of NABARD is to develop a strong Digital model of more than 65,000 cooperative committees by March 2024 says Chairman Nabard Shri Shazi K V.
नाबार्ड को राष्ट्रीय स्तर की निगरानी तथा कार्यान्वयन समिति और सहकारिता मंत्रालय के मार्गदर्शन व निर्देशों के तहत सहकारी समितियों को डिजिटल करने के लिए परियोजना प्रबंधक के रूप में नामित किया गया है।
सा-धन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘करीब 10,000 सहकारी समितियों को पहले ही डिजिटल किया जा चुका है। हम मार्च, 2024 तक 65,000 समितियों को डिजिटल करने का लक्ष्य बना रहे हैं।’’
सहकारी समितियों में दक्षता के स्तर पर पिछले कुछ वर्षों में आई खामियों पर उन्होंने कहा, ‘‘हम पारदर्शिता में सुधार करके और इन संस्थाओं के कंप्यूटरीकरण के जरिये उन्हें महत्वपूर्ण मूल्य श्रृंखला का खिलाड़ी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि नाबार्ड सहकारी समितियों और ग्रामीण क्षेत्र के लिए एक डेटा वेयरहाउस भी बना रहा है। यह करीब छह महीने में तैयार हो जाना चाहिए।
सूक्ष्म वित्त पहुंच के संबंध में क्षेत्रीय असमानता की ओर इशारा करते हुए शाजी ने कहा कि पूर्व और दक्षिण की ओर इसका झुकाव अधिक है।
उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में सूक्ष्म वित्त पहुंच करीब दो-तिहाई है, जबकि उत्तर, मध्य तथा पश्चिम सहित शेष भारत में केवल एक-तिहाई है।
शाजी ने कहा, ‘‘यह सवाल उठता है कि क्या हम क्षेत्रीय असमानता से ठीक से निपट रहे हैं। यदि आप इस डाटा को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) योगदान या राष्ट्रीय आय योगदान के साथ जोड़ते हैं, तो हम यहां कुछ असमानता पाएंगे।’’ लैंगिक समानता पर उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को कर्ज देते समय इसे ध्यान में रखने के लिए कहा है।