Leadership -ऑडिटर को आलोचक नहीं, सुशासन का मार्गदर्शक समझा जाए : राष्ट्रपति मुर्मू

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि ऑडिटर को आलोचक नहीं बल्कि सुशासन का मार्गदर्शक समझा जाए। ऐसा मार्गदर्शक, जिसकी स्क्रूटनी से सही राह पर चलने की सीख मिलती है। Proud President Of Bharat Smt. Draupadi Murmu addressed at “Audit Diwas 2023”.

राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में सीएजी मुख्यालय में ऑडिट दिवस समारोह में अपने संबोधन में कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के नेतृत्व में सरकार की ऑडिटर बॉडी ने अखंडता, शासन और प्रणाली निर्माण को मजबूत करने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज सीएजी की पूरी टीम से अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसे नियंत्रक और परीक्षक के रूप में योगदान दें, जो देश की विकास यात्रा में सहयात्री भी हो तथा मार्गदर्शक भी हो। निकट भविष्य में भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाने में आप सब की विशेष भूमिका रहेगी।

उन्होंने कहा कि वित्तीय औचित्य तथा वैधानिकता सुनिश्चित करते हुए त्वरित वृद्धि और विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आने वाले अवरोधों को दूर करना, सीएजी सहित, सुशासन के लिए जिम्मेदार प्रत्येक संस्था एवं व्यक्ति के प्रभावी योगदान की कसौटी है। राष्ट्रपति ने कहा, “ऑडिटर को आलोचक नहीं बल्कि सुशासन का सूत्रधार समझा जाए; ऐसा मार्गदर्शक समझा जाए जिसकी स्क्रूटनी से सही राह पर चलने की सीख मिलती है।”

राष्ट्रपति ने कहा कि बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में भारत के सीएजी द्वारा संयुक्त राष्ट्र से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण संस्थानों का ऑडिट किया गया है। अन्य अनेक प्रतिष्ठित अंतर-राष्ट्रीय संस्थान ऑडिट के लिए भारत की सीएजी की टीम की सेवाएं प्राप्त करते हैं। यह सीएजी टीम की विश्व-स्तरीय दक्षता का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि इस दौर में औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आकर समता-मूलक और लोकतान्त्रिक सोच के साथ आगे बढ़ने को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता का दर्जा दिया गया है। परंपराओं और व्यवस्थाओं में जो कुछ उपयोगी है, उसे हम जारी रखें तथा जो कुछ समता, लोकतन्त्र तथा त्वरित विकास के अनुरूप नहीं है, उसे छोड़ दें या सुधारें।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारे देशवासी वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। सीएजी सहित, देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों और समुदायों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना योगदान देना है।

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