Maha Kumbh 2025 will be initiated with the rituals of Paush Purnima puja on 13 January 2025 in Prayagraj, Uttar Pradesh. This Maha-Kumbh will be a Super Special Event in many many ways with High-tech security and International level stay arrangements for the visitors. Special focus on sanitization facilities, medical, food, safety and cleanliness.waste disposal and smooth movement in and around the Kumbh area. Overall it will be a pride and people centric Mega event of the world. Our news team will bring every updates to you. Wait for our exclusive reports and pictures of Maha-kumbht. महाकुंभ 2025: विशेष तैयारियां और खासियतें
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में 14 जनवरी से शुरू होगा और इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। यह महाकुंभ अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जा रहा है, जिसमें लगभग 50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सरकार ने आधुनिक तकनीक, सुरक्षा प्रबंध, और विश्व स्तरीय सुविधाएं सुनिश्चित की हैं। महाकुंभ भारत के सबसे पवित्र और भव्य धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो 2024 में प्रयागराज (प्राचीन इलाहाबाद) में आयोजित होगा। यह आयोजन हर 12 वर्षों में एक बार होता है, और इसे हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। लाखों श्रद्धालु, संत, साधु, और पर्यटक इस आयोजन में भाग लेते हैं। महाकुंभ का मुख्य आकर्षण संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के मिलन स्थल) में पवित्र स्नान है, जिसे सभी पापों से मुक्ति का माध्यम माना जाता है।
महाकुंभ की तिथियाँ और महत्व
2024 के महाकुंभ का शुभारंभ मकर संक्रांति (14 जनवरी 2024) से होगा और यह आयोजन अप्रैल 2024 तक चलेगा। कुंभ मेले में चार मुख्य स्नान दिवसों के साथ अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक तिथियाँ होती हैं, जब करोड़ों लोग संगम में स्नान करते हैं।
आधुनिक व्यवस्थाएं
1. आवास और सुविधाएं:
मेला क्षेत्र में 1 लाख से अधिक साधारण और 2,000 प्रीमियम टेंट बनाए जा रहे हैं।
गंगा पंडाल जैसे भव्य स्थानों की व्यवस्था की जा रही है, जहां सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम होंगे।
पेयजल के लिए 200 वॉटर एटीएम और 6,500 पानी के नल लगाए गए हैं।
2. परिवहन:
भारतीय रेलवे द्वारा 1,000 विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी और यूपी रोडवेज सैकड़ों अतिरिक्त बसें संचालित करेगा।
84 पार्किंग स्थल विकसित किए गए हैं, जिनमें से 18 सेटेलाइट टाउन के रूप में विकसित होंगे।
3. सफाई और स्वच्छता:
1.45 लाख अस्थायी शौचालय बनाए जा रहे हैं और 25,000 डस्टबिन लगाए गए हैं।
संपूर्ण मेला क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त रखने का लक्ष्य है।
4. सुरक्षा व्यवस्था:
37,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को सात-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली के तहत तैनात किया जाएगा।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1,378 महिला पुलिसकर्मी विशेष रूप से तैनात की जाएंगी।
अत्याधुनिक उपकरण जैसे सीसीटीवी, ड्रोन, और फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण
महाकुंभ 2025 को वैश्विक मंच पर लाने के लिए विभिन्न देशों के राजदूत और उच्चायुक्तों को आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का एक प्रयास है।
खासियतें
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत “पेंट माई सिटी” अभियान और लेजर शो का आयोजन।
हेली-टूरिज्म जैसी सुविधाओं की शुरुआत।
धार्मिक स्थलों और घाटों का सौंदर्यीकरण।
क्या है महाकुंभ मेले से जुड़ी पौराणिक कथा?
महाकुंभ से जुड़ी पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन से जब अमृत निकला तो उसे पाने के लिए देवताओं और असुरों में 12 वर्षों तक लगातार युद्ध हुआ। भगवान विष्णु के कहने पर गरुड़ ने अमृत कलश ले लिया तो उससे छलकर अमृत की 4 बुंदे धरती पर गिर गयी। ये बुंदें जहां गिरी वहां प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन शहर बसें। इसलिए महाकुंभ, अर्द्धकुंभ अथवा कुंभ मेले का आयोजन सिर्फ इन्हीं 4 शहरों में किया जाता है। महाकुंभ का प्राचीन इतिहास और कथाएँ
1. समुद्र मंथन और अमृत की कथा
महाकुंभ का मूल समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। यह कथा देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए हुए संघर्ष को दर्शाती है। कथा के अनुसार, जब अमृत (अमरता का अमृत) कलश में निकला, तो देवताओं और दानवों के बीच इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष हुआ। अमृत कलश को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। इस दौरान, अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। यही चार स्थान कुंभ मेले के आयोजन स्थल बने।
2. अमृत बूंदों का महत्त्व
पौराणिक मान्यता है कि जिस स्थान पर अमृत की बूंदें गिरीं, वहां स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस आयोजन के पीछे यही विश्वास है कि संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
3. महर्षि दुर्वासा और गंगा की उत्पत्ति
एक अन्य कथा में महर्षि दुर्वासा द्वारा गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का उल्लेख मिलता है। राजा भगीरथ की तपस्या के फलस्वरूप गंगा का अवतरण हुआ, और महाकुंभ के दौरान इसी गंगा नदी में स्नान को अत्यंत शुभ माना जाता है।
4. तीर्थराज प्रयाग का विशेष स्थान
प्रयागराज को तीर्थराज (तीर्थों का राजा) कहा जाता है। यह स्थान प्राचीन काल से ही यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र रहा है। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद पहला यज्ञ यहीं किया था, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र माना गया।
महाकुंभ के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू
अखाड़ों का योगदान: महाकुंभ में विभिन्न अखाड़े, जैसे जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, और नागा साधु विशेष रूप से भाग लेते हैं। इन अखाड़ों के साधुओं के शाही स्नान का विशेष महत्व है।
कथा प्रवचन और धार्मिक आयोजन: महाकुंभ के दौरान अनेक संत-महात्मा धार्मिक प्रवचन देते हैं, और यह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का उत्कृष्ट अवसर होता है।
सांस्कृतिक विविधता: महाकुंभ में देशभर से लोग आते हैं, जिससे यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक एकता का प्रतीक बनता है।
कब से कब तक चलेगा महाकुंभ मेला ?
देश के जिन 4 शहरों में महाकुंभ मेला लगता है, उनमें प्रयागराज में संगम के तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर और हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा को होती है। अगले साल 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ की शुरुआत होगी। महाकुंभ का मेला अगले करीब 45 दिनों तक चलता है। इसलिए महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी 2025 को होगा। इस दौरान कई शाही स्नान होंगे, जिनमें शामिल होने से लोगों को पुण्य का लाभ मिलता है।
क्या है शाही स्नान का महत्व?
हिंदु धर्म में महाकुंभ मेले में स्नान को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति महाकुंभ मेले में स्नान करता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इसके साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। कहा जाता है कि महाकुंभ मेले में स्नान करने से पितरों को भी शांति मिलती है और उनका आर्शिवाद हमेशा बना रहता है।
कब-कब होगा शाही स्नान?
मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
वसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा – 12 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025