भारत का वातावरण श्रेष्ठ और सुगम होने से मनुष्य की बुद्धि यहां ज्यादा तीक्ष्ण रूप से काम करती है
नई दिल्ली छतरपुर, श्री कृष्णागिरी पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तमिलनाडु के पीठाधिपति संत वसंत विजय जी महाराज ने कहा कि भारत देव और नदी सभ्यता वाली भूमि है । भगवान ने यहां वातारण व्यवस्थित किया है । भारत का वातावरण श्रेष्ठ और सुगम होने से मनुष्य की बुद्धि यहां ज्यादा तीक्ष्ण रूप से काम करती है।
भारत में आत्म विचारण जीवन है । हमें अपने घर में बड़ों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इससे हमारे पूर्वजों का दिल प्रसन्न होता है उस प्रसन्नता का तरंग भविष्य में हमारे लिए आशीर्वाद के रूप में प्रकट होता है। भारत में जन्म लेना ही हमारा पुण्य और भाग्य है।
श्री वसंत विजय महाराज छतरपुर मंदिर के सामने मार्कंडेय हाल में आयोजित 55 दिवसीय शिव महापुराण, यज्ञ महोत्सव में शिव और शिवभक्तों की कथा का भक्तों को रसापान करा रहे थे। भक्तों को सत्संग में स्वयं को सुधारकर पुण्य मिले यह भाव रखना । हमारे जीवन में सत्संग से परिवर्तन आए तो सत्संग का महत्व है।
व्यक्ति वहीं श्रेष्ठ बनता है जो उसूलों, सिद्धांतों आचरण पर चलता है । कथा में आना ही काफी नहीं है कथा का सार जीवन में आए जाए तो ही सार्थक है। राम का वेश करने से कोई राम नहीं होगा राम के चरित्र को अपनाने से राम होगा।
सादगी भरा जीवन भक्ति के लिए कुछ समय निकलवाएगा । भगवान से कहो कि तुझे जैसे रखता है चलेगा लेकिन तेरे चरणों में रख ये मुझे चाहिए। संत भले ही चले जाएं लेकिन संतों के दिए संस्कार नहीं जाने चाहिए। संत के प्रवचन जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदलने की ताकत रखते हैं। संत धर्मसंगत व्यवहार, आचरण की शिक्षा देते हैं जिससे जीवन में खुशियों के रास्ते खुल जाते हैं।