Trade News -FPI ने सितंबर के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयर बाजार में 27,856 करोड़ डाले

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FPI put approximately 27,856 crores in Indian Share Market. Because of the Stability of Indian Market and American low rates of interests turned into big benefits of Indian Bazaar.

भारतीय बाजार की मजबूती तथा अमेरिका में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद बढ़ने के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के पहले पखवाड़े में स्थानीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 27,856 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

एफपीआई जून से लगातार भारतीय बाजार में लिवाल रहे हैं। इससे पहले अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकाले थे।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अब सभी का ध्यान अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक पर है। बैठक के नतीजों से भारतीय शेयरों में एफपीआई के निवेश का रुख तय होगा।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस महीने (13 सितंबर तक) अबतक शेयरों में शुद्ध रूप से 27,856 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 70,737 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने एफपीआई की मजबूत लिवाली के लिए दो प्रमुख कारण बताए हैं। सबसे पहले, अब इस बात पर आम सहमति है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस महीने ब्याज दरों में कटौती का चक्र शुरू करेगा। इससे अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल घटेगा।

शेयरों के अलावा एफपीआई ने सितंबर के पहले दो सप्ताह में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के माध्यम से ऋण या बॉन्ड बाजार में 7,525 करोड़ रुपये और पूर्ण सुलभ मार्ग (एफएआर) के तहत नामित सरकारी ऋण प्रतिभूतियों में 14,805 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए ग्राहकों की बदलती जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालें बैंक : सीईए

चेन्नई, मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि बैंकों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए ग्राहकों की बदलती जरूरतों और बाजार में आ रहे बदलावों के अनुरूप खुद को ढालना चाहिए।

उन्होंने शनिवार को यहां सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

‘भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग: वृद्धि और रुझान’ विषय पर अपने संबोधन में नागेश्वरन ने उद्योग में वृद्धि और नवोन्मेषण को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के महत्व को रेखांकित किया।

बैंक द्वारा जारी बयान के अनुसार, सीईए ने प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए बैंकों को बदलती ग्राहक प्राथमिकताओं और बाजार की गतिशीलता के अनुरूप खुद को ढालने का आह्वान किया।

उन्होंने ज्ञान साझा करने और उत्कृष्टता में निवेश करने के प्रयासों के लिए इंडियन बैंक की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने उद्यमियों को प्रशिक्षित करने के बैंक के ‘एमएसएमई प्रेरणा’ कार्यक्रम को भी सराहा।

अपने संबोधन में इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एस एल जैन ने कहा, ‘‘डॉ. नागेश्वरन द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र पर इसके प्रभाव को लेकर अपने जो विचार साझा किए गए हैं, उसका निश्चित रूप से सभी भागीदारों को लाभ होगा। इससे वे चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।’’

जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्री समूह के संयोजक हों सकते हैं वित्त राज्यमंत्री

वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर काम कर रहे मंत्री समूह (जीओएम) के संयोजक हो सकते हैं। इसमें राज्यों के सदस्य भी शामिल होंगे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने आगे कहा कि संदर्भ की शर्तें (टीओआर) और जीओएम के सदस्यों को अंतिम रूप देने का काम जारी है। अधिकारी ने कहा, ‘‘जीओएम को यह सुझाव देना होगा कि अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर एकत्रित उपकर को केंद्र और राज्यों के बीच कैसे बांटा जाएगा। साथ ही जीओएम इस बदलाव को लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी संशोधनों पर सुझाव देगा।’’

अधिकारी ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह के सदस्यों पर निर्णय की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, चूंकि मुद्दा उपकर के संबंध में है, जो केंद्र द्वारा एकत्र किया जाता है, और इसका बंटवारा होगा, ऐसे में जीओएम में केंद्र से भी एक सदस्य होगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘आमतौर पर जीओएम के सबसे वरिष्ठ सदस्य को इसका संयोजक बनाया जाता है। इसलिए, केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री के जीएसटी मुआवजा उपकर पर जीओएम के संयोजक होने की संभावना है।’’

जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह अपनी बैठक में मंत्रियों का एक समूह गठित करने का निर्णय लिया था जो परिषद को सुझाव देगा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर पर कैसे आगे बढ़ा जाए। कोविड महामारी के वर्षों में राजस्व में कमी की भरपाई के लिए जो कर्ज लिया गया था उसके भुगतान के लिए विलासिता और अहितकर उत्पादों पर यह लगाया जाता है।

सरकार ने राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में 2.69 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। जीएसटी परिषद ने ऋण और ब्याज चुकाने के लिए मुआवजा उपकर को मार्च, 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया था।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा था कि ऋण और ब्याज का भुगतान दिसंबर, 2025 या जनवरी, 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

जीओएम क्षतिपूर्ति उपकर के भविष्य पर फैसला लेगा कि कैसे इसे केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित किया जाए। साथ ही मंत्री समूह यह भी देखेगा कि कानून में क्या बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि अब इसे क्षतिपूर्ति उपकर नहीं कहा जा सकता है। मंत्री समूह यह देखेगा कि क्या इसे क्षतिपूर्ति उपकर के अलावा किसी अन्य रूप में जारी रखा जा सकता है।

क्षतिपूर्ति उपकर को शुरुआत में राज्यों को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए पांच साल को लाया गया था। यह जून, 2022 में समाप्त हो गया था, लेकिन इससे जुटाई गई राशि का इस्तेमाल केंद्र द्वारा कोविड-19 के दौरान लिए गए कर्ज और ब्याज के 2.69 लाख करोड़ रुपये के भुगतान के लिए किया गया। जून, 2022 में केंद्र ने क्षतिपूर्ति उपकर को मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया था।

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था।

सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण दो लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा

सेंसेक्स की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से नौ के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह 2,01,552.69 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। सबसे अधिक लाभ में भारती एयरटेल रही।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,707.01 अंक या 2.10 प्रतिशत के लाभ में रहा। बृहस्पतिवार को सेंसेक्स 83,116.19 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा था।

समीक्षाधीन सप्ताह में भारती एयरटेल का बाजार मूल्यांकन 54,282.62 करोड़ रुपये बढ़कर 9,30,490.20 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सबसे अधिक लाभ में भारती एयरटेल ही रही।

आईसीआईसीआई बैंक का बाजार पूंजीकरण 29,662.44 करोड़ रुपये बढ़कर 8,80,867.09 करोड़ रुपये हो गया।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की बाजार हैसियत 23,427.12 करोड़ रुपये बढ़कर 16,36,189.63 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार मूल्यांकन 22,438.6 करोड़ रुपये बढ़कर 6,89,358.33 करोड़ रुपये पर और एचडीएफसी बैंक का 22,093.99 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 12,70,035.77 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

इन्फोसिस की बाजार हैसियत 17,480.49 करोड़ रुपये बढ़कर 8,07,299.55 करोड़ रुपये पर और आईटीसी की 15,194.17 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी के साथ 6,42,531.82 करोड़ रुपये हो गई।

रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 9,878.19 करोड़ रुपये बढ़कर 19,92,160.61 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का बाजार पूंजीकरण 7,095.07 करोड़ रुपये बढ़कर 7,05,535.20 करोड़ रुपये रहा।

इस रुख के उलट भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की बाजार हैसियत 3,004.38 करोड़ रुपये घटकर 6,54,004.76 करोड़ रुपये रह गई।

शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, एसबीआई, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एलआईसी और आईटीसी का स्थान रहा।

एप्सिलॉन 9,000 करोड़ रुपये के निवेश से कर्नाटक में एनोड संयंत्र लगाएगी

बैटरी सामग्री विनिर्माता एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटेरियल्स कर्नाटक में 9,000 करोड़ रुपये की लागत से 90,000 टन सालाना उत्पादन क्षमता वाला एनोड संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

एप्सिलॉन समूह के प्रबंध निदेशक विक्रम हांडा ने कहा कि इस संयंत्र में निवेश दो चरणों में होगा। पहले चरण में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और शेष 5,000 करोड़ रुपये दूसरे चरण में लगाए जाएंगे।

हांडा ने कहा, ‘‘ऐसे में हम 2026 की चौथी तिमाही तक भारत में 30,000 टन के एनोड संयंत्र के बारे में सोच रहे हैं, जिसपर लगभग 4,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस संयंत्र की क्षमता को 2031 तक बढ़ाकर 90,000 टन किया जाएगा। इस तरह अगले आठ साल में हमारे सालाना कारोबार के लिए कुल पूंजीगत व्यय 9,000 करोड़ रुपये है।’’

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के साथ भारतीय सेल निर्माता कंपनियों को देश में बैटरी संयंत्र स्थापित करने की जरूरत है। एप्सिलॉन उत्पाद इन सेल कंपनियों के लिए एनोड और कैथोड सामग्री के टिकाऊ और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में कार्य करेंगे।

इस तरह, एप्सिलॉन देश में कच्चे माल के प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र और यहां तक ​​कि वैश्विक मांग के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

हांडा ने कहा कि कंपनी अगले छह से आठ महीनों में संयंत्र के लिए भूमि पूजन समारोह की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि संयंत्र के निर्माण में डेढ़ साल का समय लगेगा। उन्होंने बताया, ‘‘हमारा विचार 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक बाजार में आपूर्ति शुरू करने का है।’’

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

नई दिल्ली, स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी। इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर कई वृहद आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार को दिशा देंगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।

भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी उल्लेखनीय रहा। बृहस्पतिवार को निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। उसी दिन बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स ने पहली बार 83,000 अंक के स्तर को पार किया।

स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह साल का सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने जा रहा है। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक 18 सितंबर को होगी। यह लगभग तय है कि इससे ब्याज दर में कटौती चक्र की शुरुआत होगी। अमेरिका में आम सहमति ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती को लेकर है। हालांकि, कुछ बाजार भागीदार ब्याज दर में आधा प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।’’

मीणा ने कहा, ‘‘इस तरह का कदम वैश्विक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेतक होगा, खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए। इससे डॉलर कमजोर होगा और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में कमी आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह बढ़ेगा।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा जापान के मुद्रास्फीति आंकड़े शुक्रवार को आने हैं, जिसके बाद बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति की घोषणा होगी।

उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और कच्चे तेल के दाम भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।

मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, ‘‘बाजार का परिदृश्य प्रमुख घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों…मसलन भारत की थोक मुद्रास्फीति, अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय तथा अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़ों से तय होगा।’’

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,707.01 अंक या 2.10 प्रतिशत के लाभ में रहा। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 504.35 अंक या 2.02 प्रतिशत चढ़ गया।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘आगे की ओर देखें, तो यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर पर निर्णय की घोषणा 18 सितंबर को होगी। घरेलू स्तर पर बाजार भागीदारों की निगाह थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों और विदेशी कोषों के प्रवाह पर रहेगी।’’

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में एक जो प्रमुख बात रही, वह यह कि एफआईआई ने सप्ताह के सभी दिन लिवाली की।’’

उन्होंने कहा कि दो कारण हैं कि एफआईआई ने अपनी रणनीति को बदल दिया है। एक, अब इस बात पर आम सहमति है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस महीने से दरों में कटौती शुरू कर देगा, जिससे अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल घट जाएगा। इससे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ेगा। दूसरा, भारतीय बाजार काफी जुझारू है और यदि एफआईआई यहां निवेश नहीं करते हैं, तो यह एक खराब रणनीति होगी।’’

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