बीमारियों का घर बढ़ती तोंद
बढ़ती तोंद शरीर को बेडौल तो बना ही देती है, अब नए अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि इससे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों के शिकार होने का खतरा भी बढ़ रहा है। आपने शायद सुना होगा कि आपके मध्य भाग के आसपास अतिरिक्त पाउंड आपके दिल के लिए हानिकारक हैं। लेकिन एक नए अध्ययन में पाया गया है कि आपके पेट में अतिरिक्त वजन – एक शारीरिक आकार जिसे डॉक्टर केंद्रीय वसा कहते हैं – पुरुषों की तुलना में महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य के लिए और भी खराब हो सकता है।

Based in New Delhi , Doctor Deeksha Tyagi MD (UKR), Her Impressive qualifications includes Infertility Imaging Expert, Dip. IVF Reproductive Medicine (Germany), ART Training (Belgium, Israel) is India’s most prominent and seasoned Female Healthcare Specialist and Senior consultant. With her extensive expertise in handling complex cases, Dr. Tyagi excels in women healthcare with remarkably vast career span with renowned National and International Hospitals. Apart from her hospital affiliations Dr. Deeksha Tyagi is actively engaged in cause oriented programs for social health, Fit India movement, women health awareness pursuits etc.
देश की सुप्रसिद्ध वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दीक्षा त्यागी आज आपको दे रहीं हैं ऐसे सुपर हेल्थ सूत्रा जो ना सिर्फ अनियमित वजन की समस्या को दूर करेंगे साथ ही आपकी पूरी फिटनेस और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में आपकी तेजी से मदद करेंगे। बस इनके बताए गए आसान हेल्थ टिप्स को अपनाइए और सुपर फिट हो जाइए।
डॉक्टर दीक्षा त्यागी वरिष्ठ चिकित्सक होने के साथ साथ जानी मानी स्वास्थ्य सलाहकार भी हैं अपनी चिकित्सा प्रणाली में डॉक्टर दीक्षा त्यागी ने अपने विस्तृत कार्यकाल में रोगी पर दवाइयों के प्रभाव के साथ साथ शारीरिक ही नहीं उनके बल्कि मानसिक, वैचारिक और अंतर्मन के स्वास्थय की स्तिथि पर भी गहन अध्ययन किया है। और पाया की उत्तम स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे कारक एक साथ मिलकर काम करते हैं जिनमे बेहद महत्वपूर्ण हैं पेट पर बढ़ता मांस. यह महिलाओं के लिए कई बीमारियों की जद में आने का खतरा बन सकता है।

हमारे देश में ज्यादातर लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते कि उनकी तोंद बढ़ रही है। शायद वे इस बात से भी अनजान हैं कि कमर का बढ़ता आकार उनके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। देश और दुनिया के स्तर पर हुए कई शोध साफ तौर पर यह कहते हैं कि पेट के उभार का सीधा संबंध उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी बीमारियों और मधुमेह से है।
दुनिया भर में हुए शोधों में यह सामने आया है कि पुरुषों में तोंद ज्यादा होती है। वहीं महिलाओं में कूल्हे के आसपास अधिक मांस होता है। भारत में यह आंकड़ा कुछ उल्टा है। यहां छह राज्यों (ग्रामीण व शहरी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र और कर्नाटक) में 7,000 लोगों पर किए गए शोध से सामने आया है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की तोंद अधिक है। पेट पर उभरा यह मांस 50 वर्ष की आयु के बाद हर चार में से एक महिला के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रहा है।

भारत में चिकित्सा विशेषज्ञों ने एक ग्लोबल रिसर्च का समर्थन किया है, जिसमें कहा गया है कि ज्यादा वजन वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है. डॉक्टर दीक्षा त्यागी के मुताबिक, अगर पति-पत्नी दोनों ही वजनी या मोटे हैं, तो पत्नी को गर्भधारण करने में सामान्य लोगों से 55 से 59 फीसदी ज्यादा समय लगता है.
उन्होंने कहा कि एनआईएच का रिसर्च भारत के लिए भी काफी जरूरी है, क्योंकि देश में बहुत से लोग मोटापे के शिकार हैं. प्रजनन और शारीरिक बनावट पर किए गए बहुत से रिसर्च, महिलाओं को केंद्र में रखकर ही किए गए हैं, लेकिन हमारी खोज से पता चलता है कि गर्भावस्था के लिए स्त्री और पुरुष दोनों की शारीरक बनावट का स्टडी करना जरूरी है.
डॉक्टर दीक्षा त्यागी ने बताया कि मोटापे से शरीर का हार्मोन सिस्टम बदल जाता है और इंसुलिन बनने में रुकावट आती है. ज्यादा वजन वाली महिलाएं पीरियड्स की गड़बड़ी और पीसीओडी के साथ मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी झेलती हैं.
उन्होंने कहा कि इन महिलाओं पर बांझपन या गर्भावस्था धारण न करने के इलाज का अच्छा असर नहीं होता. उन्हें गर्भधारण करने में भी समस्या होता है. सही खान-पान के साथ वजन कम करने और एक्सरसाइज से उनके गर्भधारण करने की संभावना में सुधार आता है. वजन कम करने के लिए किए जाने वाले ऑपरेशन और वजन कम करने के बाद कई ज्यादा वजन की महिलाएं गर्भवती हो सकी हैं.

ऑनलाइन जर्नल बीएमजी ओपन में दो सप्ताह पहले इस अध्ययन की रिपोर्ट छापी गई है। इसके अनुसार अध्ययन में शामिल लोगों में से 14 प्रतिशत ओवरवेट यानी तय सीमा से अधिक वजन वाले लोग थे। इनमें हर तीन में से एक की तोंद (35.4 इंच से अधिक कमर पुरुषों में, 31.4 इंच से अधिक कमर महिलाओं में) थी। लगभग दो तिहाई (69 फीसदी) तोंद वाली महिलाएं अमीर परिवारों की थीं, जबकि करीबन आधी यानी 46 प्रतिशत महिलाएं मध्यमवर्गीय व निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों से थीं।
बीमारियों से संबंध:- ज्यादा परेशान करने वाले तथ्य उस अध्ययन से पता चलते हैं, जो अब तक प्रकाशित नहीं हुआ है। यह अध्ययन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स, दिल्ली ने किया है। यह 20 से 60 साल के आयु वर्ग के 500 से अधिक लोगों पर किया गया। इस अध्ययन में सामने आया कि पेट पर बढ़ता मांस महिलाओं के लिए कई बीमारियों की जद में आने का खतरा बन सकता है। इस अध्ययन में शामिल रहे एम्स में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉक्टर नवल विक्रम कहते हैं, हमने इस अध्ययन में पाया कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ी तोंद वाले पुरुषों में 12 गुना व महिलाओं में 20 गुना अधिक हो जाता है।

पेट पर जो मांस जमा है, उसके स्वरूप से भी बीमारियों के खतरे से आगाह किया जा सकता है। आन्त्र से निकलता फैट, खून में फैटी एसिड्स रिलीज करता है। यह एसिड्स हार्मोंस के साथ मिल कर सूजन, बैड कोलेस्ट्रॉल, क्रिगलीसेरेड्स, रक्त ग्लूकोज और रक्तचाप को बढ़ाते हैं। ये न केवल हृदय संबंधी बीमारियों और हृदयाघात के खतरे को बढ़ाते हैं, बल्कि कुछ एस्ट्रोजन सेंसिटिव कैंसर जैसे रजोनिवृत्ति के बाद ब्रेस्ट और गर्भाश्य के कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं।

कैसे बढ़ी समस्या:- फोर्टिस सी-डॉक के अध्यक्ष डॉक्टर अनूप मिश्रा (जिन्होंने एम्स में अपने कार्यकाल के दौरान अध्ययन करने वाले दल की अध्यक्षता की थी) के अनुसार, भारत में हमने जो अध्ययन किया, उसमें पुरुषों के कमर का साइज 78 सेमी निर्धारित किया था और महिलाओं के लिए 72 सेमी। जो भी इससे अधिक कमर वाले पाए गए, वे अच्छा वजन होने के बावजूद भी कम से कम एक मेटाबॉलिक बीमारी की जद में आने के खतरे में थे।
कई अन्य अंतरराष्ट्रीय अध्ययन भी बढ़ती कमर और हृदय संबंधी बीमारियों व मधुमेह के संबंध को स्वीकार करते हैं। अमेरिका में हुए एक अध्ययन में 45,000 महिलाओं का 16 साल के लिए अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि बढ़ी कमर वाली महिलाएं (35 इंच या इससे अधिक कमर) हृदयाघात से मरने के दोगुने खतरे में थीं, बनिस्पत उन महिलाओं के, जिनकी कमर 28 इंच से कम थी। यह शोध नर्सेज हेल्थ स्टडी में छपा था। डॉक्टर विक्रम कहते हैं, जब हमारा शरीर फैट एकत्रित करता है तो उसके कई कारण हो सकते हैं। यह आनुवंशिक हो सकता है या फिर हार्मोन के कारण भी। हालांकि सबसे प्रमुख कारण खान-पान पर नियंत्रण है।

अच्छे वजन वाले फिट लोगों की भी तोंद हो सकती है, इसलिए पैकेट वाले भोजन से बचना चाहिए और शारीरिक तौर पर अधिक परिश्रमी होना चाहिए, ताकि शरीर शेप में रहे। तनाव पर नियंत्रण और पूरी नींद भी इसमें अहम रोल अदा करती है। कुल मिला कर सब कुछ स्वस्थ जीवनशैली पर निर्भर करता है। जिस तरह से आप जीते हैं, वह आपके स्वास्थ्य पर भी झलकता है। इसलिए जितना जल्दी आप तनावमुक्त जीवन जीना आरंभ करेंगे, उतनी जल्दी आपका शरीर सही आकार में आ जाएगा।
परेशान होने का समय…
-अगर आपके शरीर में अतिरिक्त फैट है
-अगर आप प्रतिदिन 6 से 7 घंटे की नींद नहीं ले रहे हैं
-ट्रांस फैट वाला भोजन, पैकेट वाला खाना, प्रिजरवेटिव वाला भोजन अधिक मात्रा में कर रहे हैं

-फल और सब्जियों का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं कर रहे
-दिन में दो गिलास शराब से अधिक पी रहे हैं
-अत्यधिक तनाव में हैं और शारीरिक श्रम नहीं कर रहे
-फैटी लिवर है तोंद है या पेट के आसपास सूजन है
बढ़ता खतरा:- आन्त्र द्वारा निकला फैट शरीर के भीतर ही जमा होता जाता है। पेट के भीतर यह लिवर, किडनी और आंत के आसपास जमा हो जाता है। इसके कारण मेटाबॉलिक बदलाव होते हैं, जो टोटल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देते हैं। इसके साथ एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। इससे रक्तचाप बढ़ता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
हार्वर्ड और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं की कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी होती है, उनमें छोटी कमर वाली महिलाओं की तुलना में कैंसर या हृदय रोग से जल्दी मरने का खतरा अधिक होता है, भले ही उनका वजन सामान्य हो।

पिछले अध्ययनों से पता चला है कि कमर के आसपास वसा जमा होने की प्रवृत्ति से स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। वर्तमान अध्ययन यह दिखाने के लिए किया गया अपनी तरह का सबसे बड़ा, सबसे व्यापक अध्ययन है कि पेट की चर्बी जमा होने से मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्य अध्ययन में 44,000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें 11 राज्यों में स्वास्थ्य इतिहास का अनुसरण किया गया।
“जैसा कि हम अनुसंधान कार्य बल के काम से जानते हैं, मोटापे की महामारी को उलटना चुनौतीपूर्ण है,” मौजूदा निष्कर्ष उस भूमिका को उजागर करते हैं जो शोध मोटापे के खतरों को समझने में निभा सकता है।”
इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि पेट की अतिरिक्त चर्बी मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक स्थितियों के लिए एक जोखिम कारक है। हालाँकि, पेट के मोटापे और मृत्यु के जोखिम के बीच संबंध का व्यापक अध्ययन नहीं किया गया है। वर्तमान अध्ययन पेट के मोटापे और महिलाओं की समय से पहले मृत्यु के जोखिम की सबसे बड़ी विस्तारित जांचों में से एक है।
शोधकर्ताओं ने 16 वर्षों के दौरान 44,000 से अधिक महिलाओं का उनके चिकित्सा इतिहास और जीवनशैली पर नज़र रखने के लिए अनुसरण किया।अध्ययन की शुरुआत में महिलाओं को उनकी कमर और कूल्हों को मापने के लिए कहा गया। हर दो साल में, महिलाओं ने अपने स्वास्थ्य के बारे में प्रश्नावली पूरी की, जिसमें उनकी उम्र, गतिविधि स्तर, धूम्रपान की स्थिति, आहार, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बारे में जानकारी दी गई।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान मरने वाली सभी महिलाओं की मौत के कारणों की जांच की। कुल मिलाकर, 3,507 मौतें हुईं – इनमें से 1,748 कैंसर के कारण और 751 हृदय रोग के कारण थीं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि छोटी कमर वाली महिलाओं की तुलना में बड़ी कमर वाली महिलाओं की समय से पहले मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है, खासकर हृदय रोग से। उदाहरण के लिए, 35 इंच के बराबर या उससे अधिक कमर वाली महिलाओं में हृदय रोग से मरने की संभावना 28 इंच से कम कमर वाली महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुनी थी, भले ही उनका बॉडी मास इंडेक्स कुछ भी हो।इसी तरह, 35 इंच के बराबर या उससे अधिक कमर वाली महिलाओं में भी कैंसर से मरने की संभावना 28 इंच से कम कमर वाली महिलाओं की तुलना में दोगुनी थी।
जिन महिलाओं की कमर का घेरा बड़ा था और वे मोटापे से ग्रस्त थीं, उनमें समय से पहले मौत का खतरा सबसे अधिक था।शोधकर्ताओं ने उसके बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना करके निर्धारित किया कि क्या किसी महिला का वजन अधिक है, जो ऊंचाई के संबंध में किसी व्यक्ति के वजन का माप है। बीएमआई का उपयोग किसी व्यक्ति के वजन के अनुपात का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है जो शरीर में वसा से उत्पन्न होता है। 18.5 और 24.9 के बीच बीएमआई को स्वस्थ माना जाता है। 30.0 – 39.9 के बीएमआई को मोटापा माना जाता है।

कमर का बड़ा घेरा किसी के मध्य भाग के आसपास अतिरिक्त वसा जमा होने का संकेत है, जिसे पेट का मोटापा कहा जाता है। महिलाओं के लिए स्वस्थ कमर की सीमा 35 इंच और पुरुषों के लिए 40 इंच है। कमर की परिधि नाभि रेखा पर कमर के चारों ओर मापकर निर्धारित की जाती है।
शोधकर्ताओं ने मृत्यु दर जोखिम के संभावित निर्धारक के रूप में कमर-से-कूल्हे के अनुपात का भी अध्ययन किया – कूल्हे के सबसे चौड़े हिस्से की परिधि की तुलना में कमर के सबसे संकीर्ण हिस्से का माप। कमर-से-कूल्हे का अनुपात प्रारंभिक मृत्यु के जोखिम के साथ उतना ही दृढ़ता से जुड़ा हुआ पाया गया जितना कि अकेले कमर के आकार का माप। हालाँकि, कमर-से-कूल्हे के अनुपात के लिए दो मापों की आवश्यकता होती है इसलिए केवल कमर की परिधि को मापने की तुलना में गणना करना कम सुविधाजनक हो सकता है.
पांच तरीके फ्लैट पेट के लिए:- डॉक्टर दीक्षा त्यागी कहती हैं कि पेट को फ्लैट करने में समय लगता है। इसके लिए आपको वचनबद्ध, एकाग्र और धैर्यवान बनना होगा। इसके लिए ये उपाय अपनाएं…
-पेट की चर्बी कम करने में सबसे कारगर है एरोबिक व्यायाम। पेट के व्यायाम करें।
-स्टेबिलिटी बॉल और डंबल्स की मदद से क्रंचेज करें।
-पेट का मध्य भाग पेट की हड्डियों से बना होता है। यह हड्डियां आपकी कमर और उसके निचले भाग की हड्डियों को मिला कर करीब 15 हड्डियों से मिली होती हैं, इसलिए प्लैंक्स करें।
-जब भी चलें या बैठें तो सीधे बैठें। जब भी चलें या व्यायाम करें तो पेट को अंदर की ओर सिकोड़ें। अधिक से अधिक फाइबर खाएं। प्रतिदिन 10 ग्राम फाइबर लेने से पेट में 4 प्रतिशत कम चर्बी जमा होगी। दो सेब या दो कप ब्रोकली आपको 10 ग्राम फाइबर दे सकते हैं।

इनसे मिलेगी जल्द राहत…
-ताजे फल, सब्जियां खाएं। भोजन में होल ग्रेन यानी संपूर्ण अनाज को शामिल करें।
-प्रतिदिन 40 मिनट तक व्यायाम अवश्य करें।
-स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या वेट एक्सरसाइज करें।
-तनाव ना लें। मदिरा पान कम करें।