Bharat lead the world talks on climate change and MDB.
भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसकी जी20 अध्यक्षता के दौरान बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) सुधारों पर गहन चर्चा हुई और जलवायु कार्रवाई एवं सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में ऐसे बैंक महत्वपूर्ण हैं।

भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने शिखर सम्मेलन से पूर्व संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम चाहते हैं कि दुनिया जलवायु कार्रवाई और जलवायु वित्तपोषण के संदर्भ में हरित विकास का नेतृत्व करे और, सतत विकास लक्ष्य एवं जलवायु कार्रवाई दोनों के लिए वित्तपोषण की आवश्यकता होती है, खासकर वैश्विक दक्षिण में विकासशील और उभरते बाजारों के लिए, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम 21वीं सदी के बहुपक्षीय संस्थानों पर अपना ध्यान केंद्रित करें।?’

उन्होंने कहा, ”हमारा विचार है कि वैश्विक दक्षिण, विकासशील देश और उभरते बाजार जो भारत की अध्यक्षता का अहम घटक रहे हैं, उन्हें दीर्घकालिक वित्तपोषण प्राप्त करने के लिए सक्षम होना चाहिए और उन्हें सतत विकास लक्ष्य तथा जलवायु वित्तपोषण दोनों को आगे बढ़ाने के लिए नए तरीकों के उपयोग में सक्षम होना चाहिए।”
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधारों के मुद्दे पर कहा, ‘बहुत गहन चर्चा हुई, और हमें पूरी उम्मीद है कि पिछले नौ महीनों में हुई बातचीत पर नेतागण सकारात्मक रूप से विचार करेंगे।” कांत ने कहा कि जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त घोषणा को वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों की आवाज के तौर पर देखा जाएगा।

पृथ्वी की वैश्विक सतह के तापमान में करीब 1.15 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से ज्यादातर विकसित देशों द्वारा वायुमंडल में छोड़ी गई कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) का इससे गहरा संबंध है। अनुमान है कि सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में करीब 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।
जलवायु विज्ञान के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से बचने के लिए विश्व को औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर की तुलना में वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2030 तक उत्सर्जन को आधा करना होगा।
विकासशील देशों की दलील है कि अमीर देशों द्वारा ऐतिहासिक रूप से भारी उत्सर्जन किए जाने के मद्देनजर उन्हें कटौती के लिए अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए तथा विकासशील और कमज़ोर देशों को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने में सहायता करनी चाहिए।