Modi in Action -चीन की विस्तारवादी नीतियों पर भारत का प्रहार

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PM Modi’s strict message to China for promoting its false map.

PM participated in the 18th East Asia Summit at Jakarta, in Indonesia on September 07, 2023.

-अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन होना आवश्यक

-सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास सुनिश्चित किये जाएं

श्री मोदी ने कहा, “हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में ही हम सबका हित

PM participated in the 20th ASEAN-India Summit at Jakarta, in Indonesia on September 07, 2023.

जकार्ता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आह्वान किया कि दक्षिण चीन सागर में समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र की संधि (यूएनसीएलओएस) पर आधारित आचार संहिता अमल में लायी जाये तथा इस बात पर जोर दिया कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करते हुए सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास सुनिश्चित किये जाएं।

श्री मोदी ने आज यहां 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में चीन की विस्तारवादी नीतियों को खारिज कर दिया और उसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति जवाबदेह बनने की नसीहत दी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की अध्यक्षता में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के तुरंत बाद श्री मोदी स्वदेश के लिए रवाना हो गये।

PM participated in the 20th ASEAN-India Summit at Jakarta, in Indonesia on September 07, 2023.

प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य कठिन परिस्तिथियों और अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है । आतंकवाद, उग्रवाद, और भू-राजनीतिक टकराव हम सभी के लिए बड़ी चुनौतियाँ है। इनका सामना करने के लिए बहुपक्षवाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अहम हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन होना आवश्यक है। और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास भी आवश्यक हैं। उन्होंने संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को लेकर सैन्य टकराव से बचने के इरादे का इजहार करते हुए कहा, “आज का युग युद्ध का नहीं है। संवाद और कूटनीति ही समाधान का रास्ता है।”

श्री मोदी ने कहा, “हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में ही हम सबका हित है। वक्त की जरूरत है कि एक ऐसा हिन्द प्रशांत क्षेत्र हो जहां समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र की संधि (यूएनसीएलओएस) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून सभी देशों के लिए समान रूप से लागू हों; जहां नौवहन और उड़ान भरने की स्वतंत्रता हो; और जहां सभी के फ़ायदे के लिए निर्बाध वैधानिक वाणिज्यिक गतिविधियां हो सकें।

भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावकारी हो, यूएनसीएलओएस के अनुरूप हो; और इसमें उन देशों के हितों का भी ध्यान रखा जाए जो चर्चाओं का हिस्सा नहीं हैं।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र काे लेकर आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करता है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत और आसियान के विज़न में सामंजस्य है। और इसीलिए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हिन्द प्रशांत महासागर पहल को क्रियान्वित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। क्वॉड के विज़न का केंद्रबिंदु आसियान है। क्वॉड का सकारात्मक एजेंडा आसियान की विभिन्न कार्यप्रणालियों के लिए पूरक का काम करता है।

श्री मोदी ने म्यांमार को लेकर भारत की नीति को आसियान की नीति के अनुकूल बताते हुए कहा, “म्यांमार में भारत की नीति, आसियान के विचारों को ध्यान में रखती है। साथ ही, एक पड़ोसी देश के तौर पर सीमाओं पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना और भारत- आसियान कनेक्टिविटी को बढ़ाना भी हमारा फ़ोकस है।” उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, खाद्यान्न, स्वास्थ्य एवं ऊर्जा सम्बन्धी चुनौतियों का ग्लोबल साउथ पर विशेष प्रभाव पड़ रहा है। अपनी जी-20 अध्यक्षता में हम ग्लोबल साउथ से जुड़े इन अहम मुद्दों पर फ़ोकस कर रहें हैं।

प्रधानमंत्री ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मेज़बान राष्ट्रपति श्री विडोडो का आभार जताया और बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में तिमोर लेस्ते के प्रधानमंत्री सेनाना गुज़माओ का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक बहुत महत्वपूर्ण मंच है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सामरिक मुद्दों पर बातचीत और सहयोग के लिए ये एकमात्र शीर्ष नेताओं के नेतृत्व वाली व्यवस्था है। ये एशिया का प्रमुख परस्पर विश्वास निर्माण प्रणाली भी है। और इसकी सफलता का मूल आसियान केन्द्रीयता है।

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