Astro Guru -पूजा में आसन के नियम

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पूजा में आसन का महत्व. Hindu Sanatan Dharm rituals have its own ways of laws. When applied correctly it bring you desired results in no time. There are many aspects that a Sadhak have to follow at the time of adapting a sadhna and daily puja ritual. One of the important aspect is choosing your “Asan-पूजा आसन ” on which a sadhak sit while performing sadhna or puja rituals.

Acharya Yogesh Sharma telling you the ancient directives about Asan niyams. He is One of the renowned priest at world famous Shaktipeeth of Madhya Pradesh – Shri Mata Baglamukhi Ji temple at Nalkheda, Ujjain – The Goddess of Victory, fame and protection. He can be contacted at 9424072531 for all sort of special pooja, hawan and rituals at the siddha-peeth.

हमारे धर्म शास्त्र अपने आप में संपूर्ण विज्ञान है व हमारे शास्त्रों में कुछ भी अन्यथा नहीं है, सनातन शास्त्र की पहुंच इतनी दिव्य व अनंत है जहां तक आधुनिक विज्ञान सोच भी नहीं सकता। हमारी सनातन संस्कृति, शास्त्रों व परंपराओं में छोटी से छोटी वस्तु के उपयोग के पीछे भी पूरा विज्ञान है।

हम सभी अपने घर में पूजा- पाठ हमेशा किसी आसन पर बैठकर करते हैं। लेकिन आसन के कुछ विशेष नियम हैं, जिनके बारे में हर किसी को जानकारी नहीं होती. ऐसे में कोई भी आसन किसी भी पूजा में इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन वास्तव में पूजा के लिए कुछ खास आसनों को उपर्युक्त माना गया है, जैसे-:

1.आसन बिछाना क्यों जरूरी है-:

इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है धरती की चुम्बकीय शक्ति यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति. जब कोई साधक ध्यानमग्न होकर विशेष मंत्र का जाप करता है तो उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है,अगर आसन नहीं बिछाया जाए तो ये ऊर्जा गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से धरती में समाहित हो जाती है और आपको इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता, इसलिए पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना गया है. लेकिन आसन ऐसा होना चाहिए जो ऊर्जा का कुचालक हो।

2. इन आसनों का प्रयोग सही नहीं-:

अब सवाल उठता है कि आखिर कैसा आसन पूजा के लिए उपर्युक्त है क्योंकि आजकल जैसे प्लास्टिक की चटाई, दरी, पटी आदि के बहुत सारे आसन बाजार में बिकते हैं. लेकिन इन्हें शास्त्र सम्मत नहीं माना गया है।

3.सर्वोत्तम आसन

 कंबल का आसन उत्तम है,और  सबसे शुद्ध और पवित्र आसन कुशा का भी माना गया है. कुश आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से अनंत गुना फल प्राप्त होता है. कुश और कंबल आसन दूसरों के गुण दोष स्वीकार नहीं करते. इसलिए इन्हें सबसे अच्छा आसन माना गया है।

4. दूसरे का आसन प्रयोग न करें

आसन के नियमों के अनुसार ये हमेशा आपका व्यक्तिगत होना चाहिए. कभी किसी दूसरे का आसन न तो प्रयोग में लेना चाहिए और न ही अपना आसन उसे प्रयोग के लिए देना चाहिए. क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की चित्तवृत्ति भिन्न होती है और आसन पर चित्तवृत्ति का प्रभाव शेष रहता है. दूसरे का आसन प्रयोग करने से उसकी चित्तवृत्ति का असर आप पर भी पड़ेगा. इसलिए बाहर जाने पर भी यदि संभव हो तो अपना ही आसन साथ लेकर जाएं।

5. रंगों का भी महत्व

अगर आप नियमित पूजा के लिए लाल, पीला, सफेद आसन प्रयोग करें। लेकिन अगर कोई विशेष साधना करनी है, तब आसन के रंगों का चुनाव उसी अनुरूप करना चाहिए. सुख शांति, ज्ञान प्राप्ति, विद्या प्राप्ति और ध्यान साधना के लिए पीला आसन श्रेष्ठ माना गया है। वहीं शक्ति प्राप्ति, ऊर्जा, बल बढ़ाने के लिए मंत्रों को जपते समय लाल रंग के आसन का प्रयोग करें।

महाकाली, भैरव की पूजा साधना में काले रंग के आसन का प्रयोग किया जाता है। शत्रु नाश के लिए की जाने वाली साधना में भी काले आसन और लाल आसन का प्रयोग मंत्र के अनुसार प्रयोग में लिया जाता है।

वर्तमान समय में कुश आसन मिलना थोड़ा मुश्किल हो जाता है,ऐसे में सामान्य पूजा के लिए कंबल आसन सर्वोत्तम है।

आसन छोड़कर उठना भी गलत

पूजा के बाद आसन को यूं ही छोड़कर उठना भी गलत माना गया है. उठने से पहले धरती पर दो बूंद जल डालें इसके बाद धरती को प्रणाम करें. फिर जल को मस्तक से लगाएं. इसके बाद आसन को उठाकर यथा स्थान रखें. ऐसा करने से आपको अपनी साधना का पूर्ण फल मिलेगा।।

किसी भी पूजा-उपासना को शास्त्र में बताएं गये नियम के अनुसार करने से उसके पूरे लाभ निश्चित मिलते हैं।।

ज्योतिष व मुहूर्त संबंधित परामर्श के लिए संपर्क कर सकते हैं-: 9424072531 –  आचार्य योगेश शर्मा

सनातन धर्म मे चैत्र माह से ही नववर्ष प्रारम्भ होता है अपने धर्म का ज्ञान आज की युवा पीढ़ी को कराना हिन्दू नववर्ष के बारे में बच्चो को सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाना हमारा सभी सनातनियो का कर्तव्य है कृपया अधिक से अधिक लोगो तक यह संदेश पहुचाये ।इसी माह को चैत्र प्रतिपदा, गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है यही से देवी की आराधना का पर्व प्रारम्भ होता है।  

नववर्ष के प्रथम दिवस से ही देवी की आराधना कर हम अपने सम्पूर्ण वर्ष को सुखमय कष्टो से रहित कर सकते है तो आइए हम सब मिलकर देवी की आराधना करें और अपने नववर्ष को खूब धूम धाम से मनाए l सभी अपने अपने घरों में देवी की पूजा करे नित्य देवी को दीपक लगाकर आरती उतारे ओर उस आरती में अपने परिवार के सभी सदस्यों को साथ मे खड़ा करे ताकि सभी का एक दूसरे के प्रति सम्मान बड़े प्यार बड़े l सभी सनातनियो को हिन्दू नववर्ष की शुभकामनाए l 

नवरात्रि के पावन पर्व में अपनी समस्त मनोकामना के पूर्ति के लिए माँ बगलामुखी पूजा हवन अनुष्ठान से लाभ-

1. शत्रुओ पर  विजय प्राप्ति

2.राजनीतिक विजय प्राप्ति

3.लक्ष्मी प्राप्ति,

संतान पुत्र-पुत्री प्राप्ति,तंत्र बाधा से मुक्ति ,व्यापार सुरक्षा कवच ,व्यापार वृद्धि,सर्व बाधा निवारण हेतु ,कोर्ट केस में विजय प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण,ऋण कर्ज मुक्ति

मनिच्छित कार्य हेतु तंत्र कर्म* आकर्षण, संमोहन, वशीकरण, उच्चाटन विद्वेषण स्तम्भन !!

माँ बगलामुखी हवन अनुष्ठान जाप कर सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति पा सकते है””!!

प्राचीन पांडव कालीन सर्व सिद्ध पीठ मां बगलामुखी माता मंदिर नलखेड़ा।। 

*ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय । जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा*

आचार्य योगेश शर्मा  9424072531

   

               

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