Special -हनुमान जयंती : विशेष कृपा पा तो लेंगे, पर सम्भालेंगे कैसे ?

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हनुमान जी जल्दी ही प्रसन्न और उतनी ही जल्दी रुष्ट होने वाले देवता है. इनकी परीक्षाएं दुष्कर होती हैं . साधना के बारे में कुछ लोग पहले ही बता चुके हैं आजीवन हनुमान जी के नियम यदि पाल सकें तो अच्छा अन्यथा किसी और देव के आराधना करें-

Hanuman Jayanti Special -An insightful deep analysis of Shri BajrangBali Ji Sadhna disciplines by Ramesh Chauthani who devoted years on finding the answers.

समर्पण

सबसे पहला भाव समर्पण का ही होना चाहिए तभी आप ईश्वर का प्रेम और उनका सानिध्य प्राप्त करने योग्य बन सकते हो।अब बात आती है कि समर्पण का भाव कब और कैसे आए तो उसके लिए आपके ह्रदय में ईश्वर के प्रति सच्चा विश्वास होना चाहिए क्योंकि बिना विश्वास के आपके अंदर न तो श्रद्धा ही होगी और न ही भक्ति और बिना श्रद्धा और भक्ति के किया हुआ समर्पण झूठा होगा और उसमें प्रेम की वो डोर नही बन पाएगी जिसमें बंधकर ईश्वर आपकी ओर चले आए।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावे , संकट से हनुमान छुडावैं। अगर हमारे स्वभाब में सरलता आ जावे, सरल स्वभाव का अर्थ है जो हमारे मन में हो ,वही वाणी में, तथा वही कर्म में होना चाहिए। तीनों एक सरल रेखा में होना चाहिए।रामचरित मानस में भी भक्त के लक्षण में बताया है, तिनमही जो परिहरि मद माया , भजहि मोहि मन वच अरु काया। और कर्म वचन मन छांड़ि छल जब तक जान न तुमहारि ,तब तक कुशल न जीव कहँ ,करिय कोटि उपचारि।अर्थात यदि मन वचन व कर्म में एकरूपता नही आई तो करोङों उपाय सब निरर्थक जावेंगे, अतः उनमें एकता लाइयेगा। हनुमान जी की कृपा हो जावेगी।

३१ नियम यहाँ में दे रहा हूँ. शेष राम जी की इच्छा.

१. भूमि शयन

२. ब्रह्ममुहूर्त में स्नान ध्यान

३. बिना सिले लाल कपडे ध्यान और पूजन के लिए

४. समस्त जगत को पिता राम और माता सीता की सृष्टि मानना

५. आंतरिक बाह्य संयम

६. केवल अपने हाथो या माता के हाथो से बना भोजन (यदि आप अविवाहित है)

७. प्रत्येक स्त्री में माता सीता के दर्शन

८. सदेव दिन दुखियो की सेवा में संलग्न रहना

९. सुबह ७. के पश्चात ही हनुमान जी की पूजा (उससे पहले वह राम दरबार में होते हैं )

१०. पहले सीताराम की पूजा फिर हनुमान की पूजा

११. हनुमान लंगोट धारण करना (जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन) यदि विवाह की इच्छा है तो एक पत्नीव्रत

१२. यदि आप विवाह करते हैं तो आपकी पत्नी के घुटनों में लम्बा रहने वाला दर्द हो सकता है, और य्य्दी आप नियम में चुकेंगे तो विवाहेतर संबंधो में दिक्कतें होंगी. (ऐसा लगभग अधिकांश भक्तो का अनुभव है)

१३. परस्त्री के स्पर्श, दर्शन से बचाव

१४. अहंकार, लोभ, क्रोध और चटोरेपन से सावधान

१५. बंदरो, गायों, कुत्तो, पक्षियों की सेवा (नित्यप्रति)

१६. सूर्य अर्घ्य प्रतिदिन

१७. माता पिता की सेवा अनिवार्य है

१८. यदि हनुमान जी आपको दर्शन देते हैं, या आपकी पूजा से प्रसन्न हो कर अप्रत्यक्ष रूप से कृपा करते हैं तब भी याद रकियेगा आप स्वयं के लिए लाभ न ले पाएंगे, जो भी कृपा मिलेगी वो दुसरो के कष्ट दूर करने के लिए मिलेगी. तो इसलिए आपको लाभ हो ऐसा उनसे कहियेगा ही नहीं, बजरंगबली प्रसन्न हुए तो स्वयम ही आपके दुःख दूर क्र देंगे

१९. सीताराम का रटन

२०. किसी भी रूप में , किसी भी कारण किसी भी नारी का अपमान होता है आपके द्वारा, या आपके सामने कोई ऐसा कृत्य करता है, जिसका विरोध आप नहीं करते तो समझिएगा उसी क्षण आपका समस्त तेज समाप्त

२१. आपको देवी देवतायो में भेद नहीं करना, न ही बजरंगबली को अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सोचना, कहना या बोलना है.

२२. हनुमान चालीसा, रामायण, राम रक्षा स्त्रोत्र प्रतिदीन नियम से पाठ करें और पाठ के साथ जल रखे जो बजरंगी को पीने को दे

२३. रोगियों की अधिक रूप में सहायता करें, अक्सर भक्तो के अनुभव रहे हैं की, बाबा रोगी या दुखी ब्यक्ति के रूप में आते हैं

२४. बाबा यदि सामने आये, तो उन्हें जिद न करे,न ही पाँव पकड लेवे, उनकी इच्छा हो तो नमस्कार कर, आसन दे, भोजन और जल दे. यथायोग्य आतिथ्कय करें

२५. प्याज लहसुन मांस मदिरा सिगरेट जीवन पर्यंत दूर रहियेगा

२६. हर मंगलवार को चोला चढ़ाना, नियम से

२७. साधना कोई ही हो, गुरु से ले कर ही कीजियेगा, गुरु न हो तो माता (जो की प्रथम गुरु है) उनसे मन्त्र को कहियेगा, अथवा तो गुरु गीता का पाठ कीजियेगा

२८. स्त्रियाँ भी हनुमान जी की पूजा कर सकती है, ५ दिन की उन्हें (महीने में) छूट रहती है, चोला पुरुष चढ़ाएं तो अच्छा माना जाता है, और आप स्त्री हैं तो बाबा के पैर न छुइयेगा

२९. ऐसा नियम लिजियेंगा की सीताराम का रटन सोते, जागते, उठते बैठते चलता रहे. यदि किसी भी नियम में कोई गलती हो जायें तो करूण भाव से बाबा को याद कीजियेगा और दंड की पुकार कीजियेगा.

३०. सेवा नियम से कीजियेगा, बिना दिखावे या कुछ पाने की उम्मीद से, भक्ति के अनुभव गोपनीय रखियेगा. में भक्ति कर रहा हूँ, ऐसा दंभ यदि कभी आया तो बाबा ही पटकनी लगा देंगे.

३१. हनुमान जी दास्य भाव से अत्यंत प्रसन्न होते हैं, अतेव जीवन में जो भी मौका मिले किसी की सेवा करने का तो जरुर कीजियेगा.

अब इतना सब लिखा है, तो जाहिर है लोग प्रमाण की बात करेंगे, या मुझ से मेरे अनुभव पूछेंगे . तो उन सब बातो के लिए शास्त्र अनुमति नहीं देता.

भक्ति वाद विवाद से परे होती है. और साधना में गलती होने के लिए दंड होता है. अतेव भली भाँती विचार क्र ले, और लगे की नहीं करना ही है, तभी बाबा को याद करें.बाबा के नियम, बच्चों, वृद्धो, स्त्रियों, बीमारों पर इतने कड़े रूप से लागू नही होते. जप, नियम, भोग, मन्त्र, पूजा, इन सबके लिए मेरा एक ही मत है, भाव प्रधान ही देव सेवा है. अतेव, जो दिल से, श्रध्हा से , आपके हेसियत से बन पड़े वो कीजियेगा. और सबसे जरूरी की में ये वास्तु अर्पण करूंगा, वो करूँगा, से बचियेगा.

यदि आपकी हेसियत १०० रुपये की है तो केवल १० की ही बात कीजियेगा. फिर चाहे २००० आप खर्च कर पाएं. परन्तु यदि संकल्प लेते हैं और पूरा न कर पाते हैं तो देव नाराज़ होते हैं.

एक भाई ने उपरोक्त पंक्तियों का गलत अर्थ लिया तो उसका जवाब यही दे देता हूँ.

बात व्यापार या दिखावे की नहीं है, बात सरल और स्पष्ट है, भक्ति में आडम्बर से बचना चाहिए, कई भक्त साधना काल में संकल्प ले क्र कार्य करते हैं की यह काम हो जाएँ तो ऐसा करूँगा, इतने की माला और इतने की भेंट, इसीलिए कहा गया की जितनी क्षमता हो उससे कम का आग्रह करें, बल्कि कोशिश तो ऐसी ही हों की मानसपूजा पर अधिक ध्यान हो, यदि भाव सच्चे हैं और आप १० रूपये की माला तक न चढ़ा रहे हो, तो यकीन जानिए आपकी पूजा लाखो करोड़ो के यज्ञों से अधिक फलदायी है.

काली भक्ति से जुडी वाम्क्षेपा Vamakhepa , Maa Tara Kalika की कथा सुनियेगा. अधिक समझ आ पायेगा.

ये इसलिए भी लिख पा रहा हूँ, क्योंकि खोजी रहा हूँ और अलग अलग भक्तो के वृतांत, सुनने, पढने, देखने को मिले हैं. हाँ संकलन यहाँ करके लिख रहा हूँ, किसी भी की मदद होगी तो अच्छा लगेगा. बाकी बाबा भली करेंगे.

जेसी विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये.

किन्ही महिला का प्रश्नं था की ऐसे नियम महिलायों के लिए भी लिख कर देवें.

सच कहूँ तो ऐसा प्रसंग कही मिला नही की जो भक्ति पुरुष कर सकते हैं वो महिलाएं नहीं. या लिंग के भेद के आधार पर अलग नियम बनाएं जाएँ. यथार्थ यह है की नारियों के द्वारा किये गये भक्ति से प्रभु अत्यंत प्रसन्न होते ही है.

गार्गी, मदालसा, मीरा, राधा -ऐसे कितने ही वृतांत सुनने को मिलते रहे हैं. भगवन भक्ति और भाव से प्रसन्न होते हैं, और यह गुण तो हरेक स्त्री में पहले से ही विध्ह्य्मान है.

बजरंगी बाल ब्रम्हचारी है, अर्थार्त समस्त स्त्रियाँ और नारी तत्व उनके लिए माता समान है. इसलिए उनकी पूजा में थोड़े कड़े नियम होते हैं. (इसका गलत अर्थ न लीजियेगा. ) पर ऐसा बिलकुल नहीं है की नारी उन्हें पूजे ही नहीं, कितने ही विवरण मिले हैं जब रक्षाबन्धन पर बहनों ने हनुमान को राखी बाँधी है.

आपसे यही विनम्र निवेदन है, किन्तु परन्तु छोड़ कर, ऐसी सुगम पूजा का विधान रखिये जो आप आजीवन कर सकती हो. इन्टरनेट पर सेकड़ो ऐसी विडियो, विधान पहले से ही दिए हुए हैं. बाकी प्रभु सबको अंतर प्रेरणा तो देता ही है. उसी पर ध्यान दीजिये. और एक बात और, जितने नियम मेने लिखे हैं ऊपर, जरूरी नहीं है की वः करेंगे तो ही विशेष कृपा मिलेगी.

कई ऐसे वृतांत सुनने को मिलते हैं, की गलत व्यक्ति ने भी भगवन को गाली दी तो उन्होंने उस पर भी कृपा की. यानी की अपवाद हर जगह है, अतेव अंतरात्मा से बड़ा प्रेरक और पथप्रदर्शक कोई नहीं है. जैसी पूजा भक्ति से दिल प्रसन्न हो, अच्छा महसूस हो वैसा कीजिये. ]

राम रमेति रामं, राम नाम वरानने

All images courtesy google social.

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