क्रोध में समंदर

WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

चक्रवाती तूफान के रूप में ‘बिपरजॉय’, अर्थात आपदा, आई और अपना रौद्र रूप दिखा कर गुजर गई, लेकिन गुजरात के तटीय इलाकों में ‘काले-लाल निशान’ छोड़ गई। आज हम एक राष्ट्र के तौर पर महातूफानों से लडऩे में सक्षम हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमें सटीक चेतावनियां देती रही हैं, लिहाजा बंदोबस्त भी पुख्ता किए जा रहे हैं। अरब सागर अमूूमन शांत समंदर रहा है, लेकिन अब उसका तापमान बढ़ रहा है। वह क्रोध में है। यह भी जलवायु परिवर्तन का एक घातक प्रभाव है। नतीजतन अरब सागर से उठने वाले तूफानों में 3 गुना बढ़ोतरी हुई है और वे संहारक साबित हुए हैं। मौसम विभाग का आकलन है कि ‘बिपरजॉय’ अभूतपूर्व तूफान था। उसके फलितार्थ अभी सामने आने हैं। वे जलवायु, पर्यावरण, मॉनसून संबंधी बेहद महत्त्वपूर्ण फलितार्थ होंगे। गनीमत है कि चेतावनियों से सावधान होकर गुजरात सरकार ने एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों तक शिफ्ट कर दिया था। उनके आवास, खाने-पीने का बंदोबस्त सरकार ने ही किया। सैकड़ों गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों मेें भर्ती करा दिया गया। नतीजतन करीब 125 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं का महातूफान किसी इनसानी जिंदगी को नहीं लील सका। भावनगर में पिता-पुत्र की मौत जरूर हुई, लेकिन उसके कारण भिन्न थे। चक्रवाती तूफान में हजारों पेड़ जमींदोज हो गए। कुछ पेड़ तो सदियों पुराने थे। कई कच्चे घर ‘मलबा’ हो गए। बिजली के 3672 खंभे मुड़ गए और टूट कर गिर पड़े। यह आंकड़ा बीती रात 9.30 बजे तक का है।

जाहिर है कि आंकड़े ज्यादा होंगे! संचार के टॉवर ध्वस्त हो गए। तटीय इलाकों के 940 गांवों की बिजली गुल कर दी गई थी, ताकि किसी भी बड़ी त्रासदी से बचा जा सके, लिहाजा गुरुवार की रात्रि लंबी, काली और डरावनी रही। सन्नाटा और अंधेरा….सिर्फ समंदर की 9 मीटर तक उछलने वाली लहरों का भयावह शोर..! बेशक 22 लोग घायल हुए और 23 मवेशियों की मौत हो गई, लेकिन फिर भी हम ईश्वर की कृपा मानेंगे कि गुजरात पर त्रासदी के मंजर नहीं बन पाए। विनाश कितना व्यापक हुआ है और नुकसान कितना हुआ है, तबाही कितनी ज्यादा है और मछुआरों की संपदा नावों का क्या हुआ है, ऐसे आकलन सरकार अभी करेगी, लेकिन यह तय है कि हम आपदाओं को खत्म नहीं कर सकते, क्योंकि समंदर का क्रोध बढ़ता जा रहा है। बंगाल की खाड़ी का औसतन तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने लगा है, नतीजतन सालाना 5-6 महातूफान हमें झेलने ही पड़ेंगे। गुजरात के अलावा, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी चक्रवाती तूफानों की आपदा बनी रहती है। फिलहाल तूफान दक्षिण राजस्थान की तरफ गया है। अभी तेज बारिश हो रही है। भगवान जाने यह पानी कैसा रूप धारण करेगा। इस तूफान ने मॉनसून की गति को रोक दिया था।

माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 54 फीसदी बारिश कम होगी। देश भर में 30 फीसदी से अधिक बरसात कम हो सकती है। जाहिर है कि इसका प्रभाव मौसम, पर्यावरण और कृषि पर पड़ेगा। तूफान का असर महाराष्ट्र, गोवा, पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों, राजस्थान पर पड़ेगा। इस चक्रवाती तूफान का दायरा 300-350 किमी बताया गया है, लेकिन सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में ही करीब 1 लाख वर्ग किमी का इलाका प्रभावित होगा। सौराष्ट्र में मई, 2021 में जो चक्रवाती तूफान आया था, उसमें कमोबेश 50 लोग मारे गए थे। 1998 का महातूफान तो काफी विनाशकारी था, जिसमें हजारों लोग हताहत हुए थे। दरअसल जलवायु परिवर्तन और चक्रवात को भी हम ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते और सिर्फ मौसम से जोड़ कर देखते रहे हैं, लेकिन ऐसे महातूफान सिर्फ इनसानी जिंदगी ही नहीं, सार्वजनिक संपत्तियों और निजी आशियानों को भी बर्बाद करते हैं। उनकी भरपाई इतनी आसान नहीं है। समंदर का तापमान भी न बढ़े और पानी की ऊपरी सतह भी ज्यादा गर्म न हो, यह इनसान के वश में नहीं है।

Share Reality:
WhatsAppFacebookTwitterLinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *