नई दिल्ली, विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन किए जाने के बाद रविवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम से दूर रखा गया जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ”दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा समुदाय विरोधी” रुख को दिखाता है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ऐसे ”आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री” ने संसद के नए भवन का उद्घाटन किया है, जिन्हें संसदीय परंपराओं से नफरत है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को उनके संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने दिया जा रहा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार सुबह नए संसद भवन का उद्घाटन किया।
कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, ”संसद के नए भवन के शिलान्यास कार्यक्रम से तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दूर रखा गया। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया, ”यह आरएसएस की पिछड़ा समुदाय विरोधी और उच्च जाति वाली सोच है। यही वजह है कि रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू् को वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने रूप में हकदार थे।”
वेणुगोपाल ने दावा किया कि कोविंद और मुर्मू को जानबूझकर दूर रखा जाना इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी लाभ के लिए उनका इस्तेमाल किया, लेकिन इस तरह के ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा नहीं बनने दिया।
आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा, ”इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया। भाजपा की मानसिकता हमेशा दलित और आदिवासी विरोधी रही है।”
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा, ”लोकशाही से राजशाही तक इस विशाल देश को ले जाने का मेरा सपना आज पूरा हुआ…कुछ ऐसी ही भावनाओं से ओतप्रोत होंगे, हमारे प्रधानमंत्री जी। जय हिंद”
राजद ने रविवार को नए संसद भवन की वास्तुकला की तुलना एक ताबूत से की, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता राजद को ऐसे ही ताबूत में दफना देगी।