Exclusive -जान लीजिए करवा चौथ के ये दुर्लभ प्राचीन नियम 

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An Exclusive report on Karwa Chauth and its ancient rituals.

करवा चौथ का त्यौहार भारत के अग्रणीय त्योहारों की श्रेणी में आता है। जिसका प्राचीन भारत काल में प्रमुख कथाओं में वर्णन मिलता है। 

लेकिन बीते कुछ वर्षों में बॉलीवुड, घटिया वेब , टीवी सीरीज और व्यापारी वर्ग ने इस त्यौहार की परंपराओं और नियमों में सस्ता भौंडापन, प्रॉप, ड्रामा और बे सिर पैर की नाटकीयता को जोड़ दिया है जिससे ना सिर्फ ये एक प्रायोजित स्थिति में आ पहुंचा है बल्कि इस सुंदर त्यौहार की पावन पवित्र निर्मल छवि को भी धूमिल कर दिया है। हर कोई बाज़ार और फैशन की भेड़ चाल पर नाचता जा रहा हैं । 

इस झूठे भ्रम जाल और व्रत में गलतियां करने से खुद को बचाइए और हमारा निवेदन है कि इस दुर्लभ एवं प्राचीन शास्त्रीय विधि के अनुरूप ही आप इस व्रत का पालन करें और कृतार्थ हो प्रभु का पूरा आशीर्वाद प्राप्त करें। 

स्वयं जागरूक हों और इस जानकारी को आगे भी प्रेषित करें। 

सनातन पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह तिथि 20 अक्टूबर 2024 रविवार को पड़ रही है।

दिनांक- 20 अक्टूबर 2024

दिन वार——: रविवार

हिंदी महीना—: कार्तिक

पक्ष——–: कृष्ण पक्ष

तिथि——–: चतुर्थी

करवा चौथ पूजा मुहूर्त-:

20 अक्टूबर 2024 रविवार, समय शाम 05:46 से शाम 06:54 तक

अवधि-: 01 घंटा 08 मिनट

चंद्रोदय (दिल्ली)-:

20 अक्टूबर 2024, रविवार, शाम 07:54 बजे पर

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पहली बार करवा चौथ व्रत करने के नियम-:

सोलह श्रृंगार-:

करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

लाल रंग के कपड़े-:

* करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। हालांकि लाल रंग की कोई अन्य ड्रेस भी पहनी जा सकती है। लेकिन काले,नीले, भूरे या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें। 

बाया-:

जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं, उनके मायके से बाया भेजा जाता है। जिसमें कपड़े, मिठाइयां एवं फल आदि होते हैं। शाम की पूजा से पहले बाया पहुँच जाना चाहिए। 

व्रत पारण-:

पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करें और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें। रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें। प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक व गरिष्ठ भोजन के सेवन से परहेज करें।

संयमित वार्तालाप व प्रभु स्मरण-:

व्रत के दिन ज्यादा से ज्यादा मौन रहे, अनर्गल वार्तालाप ना करें, कम बोलें। प्रभु का ध्यान स्मरण करें, नाम जप व मंत्र जप करें।

पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें-:

करवा चौथ के व्रत के नियमों का पालन अपनी पारिवारिक व क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर करें। अर्थात अपने पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें।।

||करवा चौथ व्रत नियम पालन||

कुंवारी कन्याओं द्वारा ‘करवा चौथ व्रत’ के नियम पालन-:

सनातन परंपरा संस्कृति में कुंवारी/अविवाहित कन्याओं के लिए भी करवा चौथ व्रत करने का प्रावधान है, मगर इसके नियम काफ़ी अलग होते हैं। ऐसे में जो कुंवारी कन्याएं करवा चौथ व्रत करना चाहती हैं, उन्हें नीचे लिखी हुई बातों का पालन करना चाहिए-:

 निर्जला व्रत न करें-:

नियमानुसार देखा जाए तो विवाहित महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर इस व्रत का पारण करती हैं, इसलिए अविवाहित कन्याओं को निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा कुंवारी कन्याओं के लिए सरगी (सास द्वारा तैयार किया गया भोजन) तैयार करने का नियम भी नहीं है, इसलिए निर्जला व्रत करना उचित नहीं माना जाता है//

चंद्रमा की पूजा न करें-:

चंद्र पूजन करने का विधान सिर्फ़ विवाहित महिलाओं के लिए है, इसलिए कुंवारी कन्याएं चंद्रमा का पूजन न करें। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर किस भगवान की पूजा की जानी चाहिए? तो इसका उत्तर है कि करवा चौथ के दिन कुंवारी महिलाओं को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए

चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत न खोलें-:

कुंवारी कन्याओं के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलने का कोई नियम नहीं है क्योंकि यह नियम सिर्फ़ विवाहित महिलाओं पर लागू होता है। कुंवारी कन्याएं चंद्रोदय के समय माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर सकती हैं

छलनी से चंद्र दर्शन न करें-:

‘करवा चौथ’ के दिन कुंवारी कन्याओं को छलनी से चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह परंपरा केवल विवाहित महिलाओं के लिए होती है

अपनी सामाजिक व पारिवारिक परंपराओं के हिसाब से व्रत के नियम पालन करना भी उचित है।

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