Travel India -भारत के अजब-गजब गांव

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India is country of wonders and a lifetime is not enough to explore it all. in travel trends today we are telling you about the wonderous villages of India where you go in your next vacations.

भारत के 11 अजब-गजब गांव, जिनकी है अपनी विशेषता.

भारत जैसे महान देश में आश्चर्यजनक चीजों की कमी नही है। यहां पर आपको हर जगह कोई न कोई अजब-गजब चीजें मिल ही जाएगी। आपने यहां पर ऐतेहासिक धरोहरें, मंदिर, खूबसूरत जगहों के बारें में सुना और देखा ही होगा। जो आपको अन्दर से एक सुकून और शान्ति देता है, लेकिन आप क्या ऐसे गावों में गए है जो अपनी खासियतों के कारण प्रसिद्ध है जिनके अपने खुद के नियम कानून, एकता, एक जैसे लोगों होने का कारण फेमस है। अगर आप कुछ अलग तरह का ट्रेवल एक्सपीरियंस लेना चाहते है तो एक बार इन गांवों में जरूर जाए जहां आपको कुछ हट कर देखनें को मिलेगा। जानिए भारत के ऐसे गांवों के बारें में।

यहां अब भी चलता है राम राज्य

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुके में शनि शिंगनापुर भारत का एक ऐसा गांव है जहां लोगों के घर में एक भी दरवाजा नही है यहां तक की लोगों की दुकानों में भी दरवाजे नही हैं, यहां पर कोई भी अपनी बहुमूल्य चीजों को तालेदृ चाबी में बंद करके नहीं रखता फिर भी इस गांव में आजतक कोई चोरी नहीं हुई। यह जगह शनि मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

इस गांव में दूध दही मिलता है फ्री

आज जहां कही इंसानियत देखनें को नही मिलती जो इस दुनिया से खो गई है जहां लोग किसी से पानी के लिए नही पूछते वही यह ऐसा गांव है जहां के लोग कभी दूध या उससे बनने वाली चीजो को बेचते नही हैं बल्कि उन लोगों को मुफ्त में दे देते हैं जिनके पास गाए या भैंस नहीं हैं। यह अनोखा गांव है गुजरात में बसा धोकड़ा गांव। यहां के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें एक महीनें में 7500 का दूध फ्री मिलता है।

ऐसा गांव जहां हर कोई संस्कृत में बोलता हैं

आज भारत देश की राष्ट्र भाषा हिंदी भी पहचान के संकट से जूझ रही हैं वही कर्नाटक के शिमोगा शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर किमी दूर मुत्तुरु और होसाहल्ली, तुंग नदी के किनारे बसे इन गाँवों में संस्कृत प्राचीन काल से ही बोली जाती है। यहां लगभग 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं। भाषा पर किसी धर्म और समाज का अधिकार नहीं होता तभी तो गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवार के लोग भी संस्कृत उतनी ही सहजता से बोलते हैं जैसे दूसरे लोग।

एक गांव जो हर साल कमाता है 1 अरब रुपए

यूपी का एक गांव अपनी एक खासियत की वजह से पूरे देश में पहचाना जाता है। शायद आप इस गांव को नही जानते होगे लेकिन इस गांव ने देश के कोने-कोने में अपने झंडे गाड़ दिए हैं। इस गांव का नाम है सलारपुर खालसा जो अमरोहा जनपद के जोया विकास खंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है। इस गांव की जनसंख्या 3500 है। इस गांव के फेमस होने का कारण टमाटर है। इस गांव में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। देश का शायद ही कोई कोना होगा, जहां पर सलारपुर खालसा की जमीन पर पैदा हुआ टमाटर न जाता हो।

हमशक्लों का गांव

केरल के मलप्पुरम जिले का एक गांव कोडिन्ही जो जुड़वों के गांव के नाम से जाना जाता है। इस समय यहां पर करीब 350 जुड़वा जोड़े रहते है जिनमे नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक शामिल है। विश्व स्तर की बीत करें तो हर 1000 बच्चों में 4 बच्चें जुड़वां पैदा होते है। लेकिन इस गांव में हर 1000 बच्चों पर 45 बच्चे जुड़वा पैदा होते है। इस गांव में मुस्लिम की संख्या ज्यादा है। यहां पर हर जगह पमशक्ल आपतको मिल जाएगें।

इस गांव को कहते है भगवान का अपना बगीचा

हमारे देश में सफाई के मामले में बहुत पीछे है लेकिन हमारे देश में एक ऐसा गांव है जो एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव है। इस गांव को भगवान का अपना बगीचा कहते है। यह गांव है मावल्यान्नॉंग गांव जो खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट का यह गांव मेघालय के शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है। सफाई के साथ-साथ यह गांव साक्षरता में भी नम्बर 1 है यहां पर 95 परिवार रहते है जिनकी जीविका का मुख्य कारण सुपारी है। इतना ही नहा यहां के ज्यादातर लोग अंग्रेजी में बात करते है। यहां लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं।

यह है मंदिरों का गांव

भारत में ऐसा गांव जहां भी आप देखों वहां पर आपको मंदिर ही नजर आएगें क्योंकि यह एक ऐसा गांव है यह गांव है झारखंड के दुमका जिले में शिकारीपाड़ा के पास बसे एक छोटे से गांव मलूटी। यहां पर जहां पर 108 प्राचीन मंदिर थे जो ठीक ढंग से संरक्षण न हो पाने के कारण 72 ही रह गए है। यह मंदिर छोटे-छोटे लाल सुर्ख ईटों से निर्मित है और जिनकी ऊंचाई 15 फीट से लेकर 60 फीट तक हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर रामायण-महाभारत के दृश्यों का चित्रण भी बेहद खूबसूरती से किया गया है। इस गांव को गुप्त काशी भी कहा जाता है। यहां पर अधिक मात्रा में पर्यटक आते है।

एक श्राप के कारण 170 सालों से हैं वीरान

हमारे देश भारत के कई शहर अपने दामन में कई रहस्यमयी घटनाओ को समेटे हुए है ऐसी ही एक घटना हैं राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा गांव की जो पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा हैं। कुलधरा गांव के हजारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते-जाते यह श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से यह गांव वीरान पड़ा हैं। कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है।

इस गांव का कुछ भी छुआ तो 1000 रुपए का जुर्माना

भारत में एक ऐसा गांव भी है जहों बाहर से आने वाले लोगों ने इस गांव का कुछ भी छुआ तो उस पर जुर्माना लगता है। यहां देश पर लागू कानून नही चलता है यह अपना कानून खुद बनाते हैं। इस गांव का नाम है मलाणा जो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अति दुर्गम इलाके में है। यहां के लोग खुद को सिकंदर का वंशज मानते है। यह इकलौता गांव है जहां पर सम्राट अकबर की पूजा होती है। इस गांव की विचित्र पंरपराओे के कारण यहां हर साल हजारों संख्या में पर्यटक आते है। लेकिन वो यहां कि कोई चीज नही छू सकते है अगर छुआ तो 1000 से 25000 तक का जुर्माना लगता है जो गांव के हर जगह बोर्ड में लिखा हुआ है। अगर उसे दुकान से कुछ लेना है तो उसे दुकानदार लाकर दे देगा और आप पैसे दुकान के बाहर ही रख दो वो लेलेगा।

यह गांव कहलाता है मिनी लंदन

झारखंड की राजधानी रांची से उत्तर-पश्चिम में करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित एक कस्बा गांव है मैक्लुस्कीगंज। एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए बसाई गई दुनिया की इस बस्ती को मिनी लंदन भी कहा जाता है। पश्चिमी संस्कृति के रंग-ढंग और गोरे लोग होने के कारण इसे लंदन का सा रूप देती तो इसे लोग मिनी लंदन कहने लगे। इंसानों की तरह मैकलुस्कीगंज को भी कभी बुरे दिन देखने पड़े थे। यहां के लोग उस दौर को भी याद करते हैं जब एक के बाद एक एंग्लो-इंडियन परिवार ये जगह छोड़ते चले गए। कुछ 20-25 परिवार रह गए, बाकी ने शहर खाली कर दिया। इसके बाद तो खाली बंगलों के कारण भूतों का शहर बन गया था मैकलुस्कीगंज, लेकिन अब कुछ गिने-चुने परिवार मैकलुस्कीगंज को आबाद करने में जुटे हैं। जो सब एक नए मैकलुस्कीगंज की ओर मिनी लंदन को ले जा रहे हैं।

इस गांव में लोगों के घर छत पर रखी पानी की टंकियों से पहचाना जाता है

पंजाब के जालंधर शहर के एक गांव उप्पला जहां अब लोगों की पहचान उनके घरों पर बनी पानी की टंकियों से होती है। अब आप सोच रहे होंगे की पानी की टंकियों में ऐसी क्या खासियत है तो हम बता दे की यहां के मकानों की छतों पर आम वाटर टैंक नहीं है, बल्कि यहां पर शिप, हवाईजहाज, घोडा, गुलाब, कार, बस आदि अनेकों आकार की टंकिया है। इस गांव के अधिकतर लोग पैसा कमाने लिए विदेशों में रहते है। गांव में खास तौर पर एनआरआईज की कोठियां में छत पर इस तरह की टंकिया रखी है। अब कोठी पर रखी जाने वाली टंकियों से उसकी पहचानी जा रही हैं। इसकी शुरूआत आज से 70 साल पहलें तरसेम सिंह ने की थी जो हांगकांग गए थे। वहां से वापस आकर अपने बेटों को अपनी पहली यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि हम भी अपने घर पर शिप बनवाएंगे और 1995 में यह शिप बनाई गई।

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