G 20 – संकल्प उज्जवल भविष्य का

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‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ One World, One Family, One Future की आधार शिला पर भारत ने विश्व के सभी शक्तिशाली देशों को जी-20 के मंच पर ‘एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य’ के झंडे तले एकत्रित कर लिया है। ज्ञान के प्रतीक कोणार्क चक्र के सामने स्वागत पाकर निहाल हुई दुनिया जहां भारत के नेतृत्व के सामने नतमस्तक हुई वहीं सांझा बयानों में मानवता के संरक्षण की कसमें भी खाईं गई।

अभी तक इस समूह में अर्जेन्टीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक आफ कोरिया, मेस्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के अलावा 20 वां देश यूरोपीय संघ था। नई दिल्ली सम्मेलन में सर्व सम्मति से अफ्रीकी यूनियन को भी स्थाई सदस्य के रूप स्वीकारोक्ति मिली।

जहां अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सबसे बडा आयोजन करने का गौरव प्राप्त होना, देश के लिए एक अविस्मरणीय उपलब्धि रही वहीं बहुविचारधारा के पोषक देशों के साथ मिलकर एक साझा घोषणा पत्र प्रस्तुत करना भी किसी बडी चुनौती के कम नहीं थी, जिस पर भारत ने अपनी योग्यता की दम पर सफलता प्राप्त की। दुनिया जिन बिन्दुओं पर विवाद की संभावनायें व्यक्त कर रही थी, उन पर ही आमराय स्थापित कर ली गई। देश के प्रधानमंत्री ने अपने विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर मानवता के संरक्षण का जो मसौदा तैयार किया वह करतल ध्वनि से सभी ने स्वीकार किया।

जी-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र के प्रमुख 10 कारकों में पहली पायदान पर मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास, दूसरी पर एसडीजी की प्रगति में तेजी लाना, तीसरी पर सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता, चौथी पर 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान, पांचवीं पर तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, छठवीं पर इन्टरनेशनल टैक्सेशन, सातवीं पर लैगिंक समानता और सभी महिलाओं तथा लडकियों को सशक्त बनाना, आठवीं पर वित्तीय क्षेत्र के मुद्दे, नौवीं पर आतंकवाद ओर मनीलांड्रिग का मुकाबला करना तथा दसवीं पर अधिक समावेशी विश्व का निर्माण देखा जा सकता है।

वर्तमान परिवेश में इस जोखिम भरी मेजवानी का सफल निर्वहन करके भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हम विश्व गुरु के सिंहासन की ओर निरंतर बढ रहे हैं। सोने की चिडिया की पुरानत उपाधि पर केवल और केवल हमारा ही हक है। दुनिया को परिवार और परिवार को खुशहाल देखने का दर्शन केवल और केवल भारत भूमि से ही निकल सकता है।

अब दबाव, आतंक और धमकियों की दम पर मां भारती के सपूतों को झुकाना कठिन ही नहीं असम्भव भी है। दुनिया की सोच देश के प्रति निरंतर बदल रही है। विगत 8 सितम्बर को अमेरिका, बांग्लादेश और मारीशस के साथ, 9 सितम्बर को ब्रिटेन, जापान, जर्मनी और इटली के साथ, 10 सितम्बर को कनाडा, तुर्किए, यूएई तथा दक्षिण कोरिया के साथ भारत ने व्दिपक्षीय वार्ता सम्पन्न हो चुकी है जिसमें प्रगति के अनेक सोपान तय किये गये। नव प्रभात के साथ विश्वास की धरती पर विकास की फसल लहलहायेगी और भारत के साथ-साथ दुनिया के चेहरों पर खुशी, सुख और सम्पन्नता की चमक दिखेगी।

आज सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ भी व्दिपक्षीय वार्ता होना है जिसमें आपसी हितों के अलावा अनेक अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर भी मंथन किया जायेगा। अपने तरह के इस अनोखे आयोजन के पहले सत्र को ‘अतिथि देवो भव:’ की परम्परा के साथ जोडते हुए उसे ‘वन अर्थ’ यानी एक धरती का नाम दिया गया। दूसरे सत्र को ‘वन फैमिली’ यानी एक परिवार तथा समापन सत्र की आभारीय गरिमा के साथ उसे ‘वन फ्यूचर’ यानी एक भविष्य के विशेषण से सजाया गया था।

यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि जी-20 ने लिया ’21 वीं सदी, उज्जवल भविष्य’ का संकल्प जो आने वाले समय में एक प्रकाशस्तम्भ के रूप में कार्य करेगा। दुनिया में विश्व बंधुत्व की भावना का विस्तार किया जायेगा। विभाजनकारी, षडयंत्रकारी और कलहकारी ताकतों को नस्तनाबूत करने के लिए आंतकवाद जैसे विष-वृक्षों को जड से उखाडा जायेगा, उनके संरक्षकों को सबक सिखाया जायेगा और किया जायेंगे उनकी वित्तीय रीढ पर प्रहार। चीन, पाकिस्तान जैसे राष्ट्रों की दोधारी चालों पर इस बार खुलकर हमला बोला गया।

संगठन की गरिमा को भारत के गौरव की सुगन्ध ने अनन्त ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आकर्षक और प्रभावशाली व्यक्तित्व की दम पर आगन्तुक अतिथियों को आश्चर्यचकित कर दिया। जहां दुनिया के सबसे बेहतरीय सभागार ‘भारत मण्डम्’ की सज्जा और दुलहन की तरह संवारी गई नई दिल्ली ने पूरे संसार में अपने सौन्दर्य का डंका बजा दिया वहीं सनातन की पुरानत परम्परा से किये गये सत्कार ने अपनी ऊर्जामयी अनुभूतियों से देवतुल्य अगन्तुकों को भावविभोर कर दिया।

इस अनूठे आयोजन में दुनिया के सभी सशक्त नेतृत्वों का एक साथ गरिमामय सम्मान करना सहज नहीं था परन्तु इस असहज कार्य की आशातीत सफलता ने प्रत्येक भारतवासी का सीना गर्व से चौडा कर दिया है। इसका परिणाम आने वाले समय में देश के बहुमुखी विकास के रूप में निश्चय ही मिलेगा यदि सब कुछ सकारात्मक वातावरण में पुष्पित, पल्लवित और फलित होता रहा। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

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